अब कहां खुलेगा पिटारा? भारत सरकार मध्यम वर्ग को लगातार कर राहत देने की योजना बना रही है।
केंद्रीय बजट में 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को कर-मुक्त घोषित करने के बाद, अब सरकार एक और बड़ा तोहफा देने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार अब जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) में भी राहत दे सकती है। सरकार इस संदर्भ में जीएसटी मंत्रियों के समूह (जीएमओ) के साथ बैठक करने की योजना बना रही है।
अब कहां खुलेगा पिटारा? बजट में मिली टैक्स छूट
इस वर्ष के केंद्रीय बजट में सरकार ने मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दी है। वार्षिक 12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया गया है, जिससे बड़ी संख्या में नौकरीपेशा और व्यवसायी वर्ग को लाभ मिलेगा। साथ ही, इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव कर लोगों को अतिरिक्त राहत प्रदान की गई है।
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जीएसटी में बदलाव की तैयारी
अब सरकार जीएसटी स्लैब को सरल बनाने और कर की दरों में बदलाव करने पर विचार कर रही है। वर्तमान में, जीएसटी चार प्रमुख दरों में बंटा हुआ है:
- 5% – आवश्यक वस्तुएं और सेवाएं
- 12% – कुछ सामान्य उपयोग की चीजें
- 18% – अधिकांश वस्तुएं और सेवाएं
- 28% – लक्जरी वस्तुएं और सिन गुड्स (शराब, तंबाकू, आदि)
कुछ विशिष्ट वस्तुओं जैसे कि कीमती धातुओं (सोना, चांदी आदि) पर विशेष दरें लागू हैं। वहीं, सिन गुड्स पर अतिरिक्त सेस भी लगाया जाता है।
किन चीजों पर है वर्तमान जीएसटी?
वर्तमान जीएसटी संरचना के तहत:
- 21% वस्तुओं पर 5% जीएसटी
- 19% वस्तुओं पर 12% जीएसटी
- 44% वस्तुओं पर 18% जीएसटी
- 3% वस्तुओं पर 28% जीएसटी लागू होता है।
मौजूदा जीएसटी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता
सरकार जीएसटी स्लैब को तर्कसंगत बनाने के लिए जीएसटी मंत्रियों के समूह (जीएमओ) के साथ बैठक करने जा रही है। इसमें जीएसटी स्लैब को सरल बनाने और पुनर्गठित करने पर चर्चा की जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार का फोकस जीएसटी दरों को समायोजित करने का है, लेकिन इसे लागू करने के लिए मौजूदा ढांचे में बदलाव की आवश्यकता होगी।
अगर जीएसटी स्लैब में बदलाव होता है, तो कई वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दर कम हो सकती है। इससे रोजमर्रा की जरूरत की चीजें सस्ती हो सकती हैं और आम लोगों पर महंगाई का बोझ घट सकता है। विशेष रूप से मध्यम वर्ग, जो पहले ही इनकम टैक्स में छूट का लाभ उठा रहा है, उसे और अधिक राहत मिलेगी।
सितंबर 2021 में, जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी दरों को अधिक तर्कसंगत बनाने के लिए एक जीओएम (मंत्रियों का समूह) का गठन किया था। हालांकि, अब तक इस समूह ने अपनी अंतिम सिफारिशें प्रस्तुत नहीं की हैं। आगामी बैठकों में इस पर फैसला लिया जा सकता है।
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RBI भी दे सकता है राहत
इस बीच, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) भी मध्यम वर्ग को एक और राहत देने की योजना बना रहा है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 5 फरवरी से शुरू हो रही है और 7 फरवरी तक चलेगी। इसमें ब्याज दरों में कटौती पर चर्चा हो सकती है।
यदि आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है, तो:
- होम लोन
- पर्सनल लोन
- कार लोन जैसी ब्याज दरें घट सकती हैं।
इससे ईएमआई का बोझ कम होगा और कर्जदारों को राहत मिलेगी। यह मध्यम वर्ग के लिए एक और बड़ी राहत साबित हो सकती है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इन कदमों से देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। टैक्स में छूट और जीएसटी दरों में संभावित कटौती से:
- उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा – जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी।
- व्यापारियों को राहत मिलेगी – जिससे वे अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकेंगे।
- महंगाई नियंत्रित होगी – जिससे आम लोगों को वित्तीय राहत मिलेगी।
इनकम टैक्स में छूट के बाद अब जीएसटी में बदलाव की तैयारी
सरकार लगातार मध्यम वर्ग को राहत देने की दिशा में काम कर रही है। पहले इनकम टैक्स में बड़ी छूट दी गई और अब जीएसटी में भी बदलाव की संभावना है। इसके साथ ही, आरबीआई की संभावित ब्याज दर कटौती से लोन लेने वालों को राहत मिल सकती है।
यदि ये सभी कदम लागू होते हैं, तो देश के मध्यम वर्ग को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। आने वाले दिनों में जीएसटी काउंसिल और आरबीआई की बैठक के नतीजों पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।