अवंतिका गौर विवाद: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कानून विभाग की BALLB प्रथम वर्ष की छात्रा अवंतिका गौर का मामला इन दिनों सुर्खियों में है।
अवंतिका ने आरोप लगाया है कि उन्हें जान-बूझकर और धर्म के आधार पर लगातार तीन साल से फेल किया जा रहा है। उनका कहना है कि उन्हें विभाग के प्रोफेसर एहतेशाम ने बार-बार फेल करने का षड्यंत्र रचा है, जिसके चलते उन्हें मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अवंतिका ने 4 नवंबर को एक साथी छात्र के साथ एएमयू के प्रशासनिक ब्लॉक पर धरना भी दिया।
संवाददाता :
बबलू खान अलीगढ
अवंतिका गौर विवाद: अवंतिका का दावा
अवंतिका गौर विवाद: अवंतिका का आरोप है कि एएमयू (AMU) के प्रोफेसर एहतेशाम द्वारा उन्हें फेल करने का कारण उनका गैर-मुस्लिम होना है। उन्होंने दावा किया कि धर्म के आधार पर उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। उनके अनुसार, पिछले तीन वर्षों से उन्हें जान-बूझकर पास नहीं होने दिया गया है, जिससे उनकी शिक्षा में लगातार बाधाएं आ रही हैं।
अवंतिका ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी शिकायत विश्वविद्यालय के कंट्रोलर कार्यालय में दर्ज कराने की कोशिश की थी, लेकिन कंट्रोलर ने उनका शिकायती पत्र नहीं लिया। उनके अनुसार, बार-बार शिकायत करने के बावजूद भी उनकी सुनवाई नहीं हुई, जिसके कारण उन्हें धरना देना पड़ा।
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अवंतिका गौर विवाद: विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया
मौके पर पहुंचे विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली और डिप्टी प्रॉक्टर हशमत अली ने अवंतिका के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उनके द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। प्रॉक्टर ने कहा कि विश्वविद्यालय में सभी छात्रों के साथ समान व्यवहार किया जाता है और यहां किसी भी प्रकार का धार्मिक भेदभाव नहीं किया जाता है। प्रॉक्टर ने यह भी कहा कि अवंतिका द्वारा लगाया गया आरोप उनके निराशा का नतीजा है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने ऐसा कदम उठाया।
अवंतिका गौर विवाद: परीक्षा में फेल होने का कारण
एएमयू के कंट्रोलर मोजीबुल्लाह जुबेरी ने इस मुद्दे पर कहा कि 2021 में BALLB में प्रवेश के बाद अवंतिका पहली बार परीक्षा में बैठीं, तो वह फेल हो गई थीं। इसके बाद जब उन्होंने दूसरी बार परीक्षा दी, तो उन्हें नकल करते हुए पकड़ा गया, जिसके कारण उन्हें 2022 की परीक्षा से डिबार (परीक्षा में बैठने पर रोक) कर दिया गया था। 2023 में तीसरी बार परीक्षा में बैठने पर भी वह तीन विषयों में फेल हो गईं, जिसमें उन्होंने पांच में से केवल तीन सवालों के ही जवाब दिए थे। इन कारणों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें बार-बार फेल किया गया, जो कि नियमों के अनुसार है।
अवंतिका गौर विवाद: जाँच के लिए कमेटी का गठन
कंट्रोलर ने यह भी बताया कि छात्रा की शिकायत को ध्यान में रखते हुए एक तीन-सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में इतिहास विभाग के प्रोफेसर मानवेन्द्र कुमार पुंढीर को अध्यक्ष बनाया गया है, और इसके अन्य सदस्य भी इतिहास विभाग के ही प्रोफेसर हैं। कमेटी का गठन इसलिए किया गया है ताकि अवंतिका के दावों की पूरी तरह से जांच की जा सके और इस मामले में निष्पक्षता बरती जा सके। कमेटी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह अवंतिका के पेपर की समीक्षा करे और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
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अवंतिका गौर विवाद: विश्वविद्यालय प्रशासन के दावे
कंट्रोलर मोजीबुल्लाह जुबेरी ने स्पष्ट किया कि अवंतिका द्वारा लगाए गए आरोप गलत और आधारहीन हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है और किसी भी छात्र को शिकायत दर्ज कराने से रोका नहीं जाता। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में शिकायतें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से दर्ज की जाती हैं और इस बात का ध्यान रखा जाता है कि हर छात्र को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिले।
कंट्रोलर ने यह भी कहा कि कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही अगली कार्रवाई की जाएगी और यदि अवंतिका के आरोपों में सच्चाई पाई जाती है, तो विश्वविद्यालय निश्चित रूप से आवश्यक कदम उठाएगा।
अवंतिका गौर विवाद: अवंतिका की मांग
अवंतिका ने अपनी मांग में यह स्पष्ट किया है कि उनके पेपर की जांच किसी अन्य प्रोफेसर से कराई जाए ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। उनका कहना है कि उन्हें विश्वास है कि वर्तमान में जो भी जांच हो रही है, उसमें भेदभाव किया जा रहा है। अवंतिका का आरोप है कि प्रोफेसर एहतेशाम उन्हें जान-बूझकर फेल कर रहे हैं और इसलिए वह चाहती हैं कि किसी अन्य प्रोफेसर द्वारा उनके पेपर की समीक्षा हो।
एएमयू विवाद: क्या अवंतिका को न्याय मिलेगा? जांच कमेटी की ओर टिकी निगाहें
इस पूरे मामले ने विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र समुदाय में एक नई बहस छेड़ दी है। विश्वविद्यालय के अधिकारी जहां अवंतिका के आरोपों को गलत ठहरा रहे हैं, वहीं अवंतिका का कहना है कि उनके साथ न्याय नहीं हो रहा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच कमेटी की रिपोर्ट क्या निष्कर्ष निकालती है और विश्वविद्यालय इस पर क्या कार्रवाई करता है।