आंबेडकर विवाद: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक विवादित पोस्ट पर तीखा पलटवार किया है।
यह विवाद बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर से संबंधित है, जब पीएम मोदी ने कांग्रेस पर आंबेडकर की विरासत को नष्ट करने का आरोप लगाया। इस पर केजरीवाल ने मोदी से सवाल किया कि यदि कांग्रेस ने आंबेडकर का अपमान किया, तो उनकी पार्टी और गृह मंत्री अमित शाह को बाबासाहेब के अपमान का अधिकार कैसे मिल गया। यह बहस उस समय शुरू हुई जब राज्यसभा में संविधान दिवस पर हुई चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डॉ. आंबेडकर को लेकर विवादित बयान दिया था, जिससे विपक्षी दलों ने बीजेपी पर हमला बोल दिया था।
आंबेडकर विवाद: पीएम मोदी का पोस्ट और केजरीवाल का पलटवार
आंबेडकर विवाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पोस्ट में दावा किया कि कांग्रेस पार्टी ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के साथ सही व्यवहार नहीं किया और उनकी विरासत को मिटाने की कोशिश की। मोदी ने लिखा कि कांग्रेस पार्टी ने आंबेडकर की सोच और उनके योगदान को नकारने के लिए कई गलत रास्ते अपनाए। उनके इस बयान के बाद, पीएम मोदी ने कांग्रेस पर आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाते हुए इसे एक गंभीर मुद्दा बताया।
इस बयान के बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने एक्स पोस्ट (पूर्व ट्विटर) पर पीएम मोदी के बयान का विरोध करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी। केजरीवाल ने लिखा कि पीएम मोदी का यह स्पष्टीकरण न केवल गलत था, बल्कि उन्होंने बाबासाहेब के अपमान को लेकर अपनी पार्टी और गृह मंत्री अमित शाह के कृत्य पर सवाल भी उठाए। केजरीवाल ने पूछा, “यदि कांग्रेस ने आंबेडकर का अपमान किया, तो क्या आपकी पार्टी और गृह मंत्री अमित शाह को बाबासाहेब के अपमान का अधिकार मिल जाता है?”
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आंबेडकर विवाद: राज्यसभा में अमित शाह का बयान
यह विवाद उस समय बढ़ा जब राज्यसभा में संविधान दिवस पर हुई चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डॉ. आंबेडकर को लेकर एक बयान दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने आंबेडकर के योगदान को नकारा और उनकी विरासत को कमजोर करने की कोशिश की। अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा आंबेडकर के विचारों को नजरअंदाज किया और उनके योगदान को दबाने की कोशिश की। शाह के इस बयान ने विपक्षी दलों को आक्रोशित कर दिया, और कांग्रेस समेत अन्य दलों ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह आंबेडकर की जयंती के अवसर पर उनकी सम्मानजनक स्थिति का उल्लंघन कर रहे हैं।
आंबेडकर विवाद: कांग्रेस और विपक्षी दलों का हमला
अमित शाह के बयान के बाद, कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखा हमला किया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी आंबेडकर के नाम का सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने का काम कर रही है, लेकिन उनकी वास्तविक विचारधारा और योगदान को वह नकार रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता और अन्य नेताओं ने यह सवाल उठाया कि बीजेपी यदि आंबेडकर के विचारों का सम्मान करती है, तो फिर क्यों वे उनके योगदान को अस्वीकार कर रहे हैं और उनकी विचारधारा से हटकर चल रहे हैं। विपक्ष का कहना था कि बीजेपी की ओर से आंबेडकर के नाम पर राजनीति करना और उनके विचारों को नकारना उनके सम्मान के साथ खिलवाड़ है।
आंबेडकर विवाद: अरविंद केजरीवाल का आरोप
केजरीवाल ने पीएम मोदी और अमित शाह के बयान के बाद यह सवाल उठाया कि यदि कांग्रेस ने आंबेडकर के साथ अन्याय किया, तो क्या बीजेपी को भी उसी रास्ते पर चलने का अधिकार है? उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री का इस तरह का बयान बहुत निराशाजनक और असंवेदनशील है। केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने सदन में आंबेडकर के प्रति अनादर का प्रदर्शन किया, जिससे देशभर में गुस्सा फैल गया। और अब पीएम मोदी का यह बयान सिर्फ इस गुस्से को और बढ़ाने का काम कर रहा है।
केजरीवाल का यह आरोप गंभीर है क्योंकि वह सीधे तौर पर बीजेपी की नीतियों और उनके नेताओं के बयानों को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बीजेपी को आंबेडकर की विरासत और योगदान के बारे में कुछ कहना है, तो उन्हें अपनी नीतियों को सही तरीके से लागू करना चाहिए, न कि केवल आंबेडकर के नाम पर राजनीति करनी चाहिए।
आंबेडकर की विरासत पर राजनीति
यह विवाद देश में आंबेडकर की विरासत और उनके योगदान को लेकर चल रही राजनीतिक बहस को एक नए मोड़ पर ले जाता है। डॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय समाज के बड़े नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए लड़ाई लड़ी और भारतीय संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी विचारधारा ने भारतीय राजनीति और समाज को आकार दिया है।
हालांकि, आंबेडकर की विरासत को लेकर भारतीय राजनीति में हमेशा एक प्रकार की राजनीति होती रही है। खासतौर पर विभिन्न राजनीतिक दल आंबेडकर के नाम पर अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश करते रहे हैं। इस राजनीतिक खेल में अक्सर उनके विचारों को पूरी तरह से समझे बिना उनका उपयोग किया जाता है। इस विवाद में भी यही देखने को मिल रहा है, जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के अपने-अपने राजनीतिक एजेंडों को आगे बढ़ाने के लिए आंबेडकर की विचारधारा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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क्या है मोदी और केजरीवाल के बयानों का संदेश?
प्रधानमंत्री मोदी और अरविंद केजरीवाल के बयानों के बीच एक बड़ा अंतर है। जहां मोदी ने आंबेडकर के योगदान को लेकर कांग्रेस पर आरोप लगाए, वहीं केजरीवाल ने बीजेपी की नीतियों और उनके नेताओं के व्यवहार पर सवाल उठाए। मोदी का बयान कांग्रेस को निशाना बनाने का था, जबकि केजरीवाल ने सीधे तौर पर बीजेपी की सरकार और उनके नेताओं के आंबेडकर के प्रति रवैये को चुनौती दी है।
यह बहस एक तरफ जहां आंबेडकर की विरासत और उनके योगदान के महत्व को सामने लाती है, वहीं दूसरी तरफ यह भी दर्शाती है कि भारतीय राजनीति में आंबेडकर के नाम पर राजनीति कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। दोनों ही पक्ष अपने-अपने राजनीतिक लाभ के लिए आंबेडकर के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं, और इससे आंबेडकर के विचारों का वास्तविक सम्मान कहीं न कहीं पीछे छूटता जा रहा है।
केजरीवाल और मोदी के बयानों का विवाद
यह विवाद भारतीय राजनीति में आंबेडकर की विरासत और उनके योगदान को लेकर चल रही गहरी बहस का हिस्सा है। अरविंद केजरीवाल का पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ पलटवार इस बात को दर्शाता है कि आंबेडकर की विचारधारा पर राजनीति करना अब एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। हालांकि, यह भी जरूरी है कि इस बहस से बाहर निकलकर हम आंबेडकर के योगदान को सही तरीके से समझें और उनके विचारों को सम्मान देने की दिशा में काम करें।