ईडी को बड़ा झटका: दिल्ली की विशेष अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट को ठुकरा दिया है।
आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग और दिल्ली वक्फ बोर्ड (DWB) में अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। अदालत ने कहा कि मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जरूरी मंजूरी नहीं ली गई थी, जिसके कारण कोर्ट ने ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार किया। इस आदेश ने एक बार फिर दिल्ली में राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और इसने केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी के बीच चल रही तनातनी को और बढ़ा दिया है।
ईडी को बड़ा झटका: मामले की शुरुआत और आरोप
ईडी को बड़ा झटका: अमानतुल्लाह खान, जो दिल्ली वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष थे, पर आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान वक्फ बोर्ड में अनियमितताएँ हुईं। इन अनियमितताओं के कारण धन की हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए थे। ईडी ने इस मामले में खान के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत चार्जशीट दायर की थी। साथ ही, खान पर आरोप था कि उन्होंने भ्रष्ट तरीके से सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया और इसे अपनी निजी संपत्ति के रूप में इस्तेमाल किया।
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ईडी ने खान के खिलाफ एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दायर की, जिसमें एक महिला, मरयम सिद्दीकी का नाम भी शामिल था। आरोप था कि सिद्दीकी ने जानबूझकर अमानतुल्लाह खान की मदद की थी और उनके मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में सक्रिय रूप से भाग लिया था। ईडी का दावा था कि यह दोनों आरोपी आपसी समझ के तहत अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाने, रखने और उसका इस्तेमाल करने में शामिल थे। हालांकि, अदालत ने सिद्दीकी के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि मामले में आरोप अस्पष्ट थे और इन्हें अनुमानों पर आधारित माना गया।
ईडी को बड़ा झटका: अदालत ने दिया रिहाई का आदेश
ईडी को बड़ा झटका: विशेष जज जितेंद्र सिंह ने 22 पन्नों के आदेश में कहा कि “सीआरपीसी की धारा 197(1)” के तहत सरकारी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी होती है। चूंकि अमानतुल्लाह खान एक सार्वजनिक पद पर थे, इसलिए इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकारी मंजूरी की आवश्यकता थी। अदालत ने कहा कि इस मंजूरी का अभाव था और इस कारण से खान के खिलाफ पीएमएलए की धारा 3 और धारा 4 के तहत संज्ञान नहीं लिया जा सकता था।
अदालत ने कहा कि यदि यह मंजूरी ली जाती तो यह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के खिलाफ होता, जिनमें यह कहा गया है कि बिना सरकारी मंजूरी के सार्वजनिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा चलाना गलत होगा। अदालत ने इस आधार पर अमानतुल्लाह खान के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करने से इनकार कर दिया और उन्हें तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया।
रिहाई का आदेश
अमानतुल्लाह खान को जेल से रिहा करने के आदेश के बाद, अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि यदि भविष्य में मंजूरी मिलती है तो उन्हें फिर से अदालत में पेश होने के लिए बाध्य किया जा सके। अदालत ने उनके खिलाफ एक लाख रुपये का व्यक्तिगत बॉन्ड भरवाने का आदेश दिया ताकि वह न्यायालय के सामने पेश हो सकें, यदि भविष्य में मामले की आगे की सुनवाई होती है। अदालत ने यह भी कहा कि यदि खान को और अधिक हिरासत में रखा जाता, तो वह अवैध हिरासत में रहते, क्योंकि उनके खिलाफ संज्ञान लेने के लिए जरूरी मंजूरी नहीं ली गई थी।
राजनीति में इस फैसले का प्रभाव
यह फैसला दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस का कारण बन सकता है। आम आदमी पार्टी ने इस फैसले को अपनी जीत के रूप में लिया है और आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित ईडी राजनीतिक रूप से प्रेरित मामलों का सामना कर रही है। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह मामला साजिश का हिस्सा था और आम आदमी पार्टी के नेताओं को निशाना बनाने के लिए केंद्र सरकार ने ईडी का दुरुपयोग किया।
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वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और केंद्र सरकार ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है और आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ आरोपों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी ने यह भी कहा कि इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि आम आदमी पार्टी सरकार के नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उन्हें कोई भी कानूनी कार्रवाई से बचने का रास्ता मिल गया है।
ईडी को बड़ा झटका: आम आदमी पार्टी ने जीत के रूप में लिया फैसला
यह मामला अब दिल्ली के राजनीतिक माहौल को और गरमाने का काम कर सकता है। जबकि आम आदमी पार्टी इस फैसले को अपनी जीत के रूप में पेश कर रही है, बीजेपी और केंद्र सरकार इससे असहमत हैं और उन्होंने इस फैसले को चुनौती देने का संकेत दिया है। इसके अलावा, अदालत का यह फैसला दिल्ली में मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच पर भी असर डाल सकता है।
ईडी के लिए यह बड़ा झटका साबित हुआ है, क्योंकि यह उनकी कुछ प्रमुख जांचों को कमजोर कर सकता है। हालांकि, ईडी के अधिकारियों का कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। इसके अलावा, दिल्ली वक्फ बोर्ड के मामलों में जांच जारी रहेगी और अगर भविष्य में मंजूरी मिलती है, तो मामले में आगे की कार्रवाई की जा सकती है।
इस फैसले ने यह भी साबित कर दिया है कि न्यायिक प्रक्रिया और कानूनी ढांचे के भीतर कोई भी कार्रवाई तभी वैध मानी जाती है जब सभी आवश्यक कानूनी प्रावधानों का पालन किया जाए। इसके अलावा, यह भी स्पष्ट हो गया कि सत्ता के दुरुपयोग के मामलों में अदालतें किसी भी प्रकार का पक्षपाती व्यवहार नहीं अपनातीं और सही कानूनी प्रक्रिया का पालन करती हैं।
न्यायपालिका का स्वतंत्रता और कानून के अनुसार निर्णय
अमानतुल्लाह खान के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली की विशेष अदालत का फैसला एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यह न केवल कानूनी प्रक्रिया में अनिवार्य मंजूरी की अहमियत को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव से मुक्त रहती है और कानून के हिसाब से निर्णय देती है। अब यह देखना होगा कि ईडी इस फैसले को चुनौती देती है या फिर इस मामले में आगे की कार्रवाई करती है।