ई-प्रिजन मॉड्यूल: धारा 479 के तहत विचाराधीन कैदियों को शीघ्र जमानत पर रिहा करने के आदेश

ई-प्रिजन मॉड्यूल: सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच ने इस दिशा-निर्देश को जारी करते हुए कहा कि विचाराधीन

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ई-प्रिजन मॉड्यूल: सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच ने इस दिशा-निर्देश को जारी करते हुए कहा कि विचाराधीन कैदियों की जमानत के मामलों को शीघ्रता से निपटाया जाए। यह कदम देश की जेलों में बढ़ती भीड़भाड़ को नियंत्रित करने के प्रयास का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में जेलों में भीड़भाड़ की समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार से जवाब मांगा था और इस मुद्दे पर अपनी निगरानी बनाए रखी थी।

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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर एमिकस क्यूरी (कोर्ट की तरफ से नियुक्त वकील) गौरव अग्रवाल ने कहा कि धारा 479 के तहत विचाराधीन कैदियों को जमानत मिलने से जेलों में भीड़भाड़ को कम करने में मदद मिलेगी। गौरव अग्रवाल ने अदालत को बताया कि यदि कोई कैदी किसी विशेष कानून के तहत निर्धारित सजा का एक तिहाई समय हिरासत में बिता चुका है, तो उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस प्रावधान को जल्द से जल्द लागू किया जाए ताकि कैदियों को राहत मिल सके और जेलों में भीड़ कम हो सके।

धारा 479 के अनुसार, विचाराधीन कैदी को सजा का एक-तिहाई समय हिरासत में बिता चुके कैदियों को जमानत पर रिहा करने का प्रावधान है। इसका उद्देश्य जेलों में कैदियों की अधिक भीड़ को नियंत्रित करना और मानवाधिकारों का सम्मान करना है।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय जेलों में कैदियों की स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल जेलों में कैदियों की संख्या को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, बल्कि विचाराधीन कैदियों को उनकी जेल की अवधि के आधार पर शीघ्र जमानत पर रिहा करने का अवसर भी प्रदान करेगा।

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केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के इस प्रयास से यह उम्मीद जताई जा रही है कि जेलों में सुधार होगा और कैदियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत जल्द राहत मिलेगी। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट की जेल सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है और न्यायिक प्रणाली में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

ई-प्रिजन मॉड्यूल: सुप्रीम कोर्ट का ई-प्रिजन मॉड्यूल की जरूरत पर जोर: कैदियों की कानूनी जानकारी में सुधार की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ई-प्रिजन मॉड्यूल की आवश्यकता पर बल दिया, यह बताते हुए कि यह प्रणाली कैदियों की कानूनी जागरूकता और जेल प्रबंधन में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। न्यायमित्र के तौर पर काम कर रहे सीनियर वकील विजय हंसारिया ने अदालत के सामने यह मुद्दा उठाया कि कई कैदी कानून की मूल बातें नहीं समझते हैं, जिससे उनकी कानूनी सेवाओं तक पहुंच मुश्किल हो जाती है। उनका कहना है कि दोषियों को यह जानकारी नहीं दी जाती कि वे कानूनी सेवा प्राधिकरण के माध्यम से अपीलीय अदालतों में जाकर अपने मामलों में सुधार कर सकते हैं और संभावित सजा से बच सकते हैं।

ई-प्रिजन मॉड्यूल का महत्व

हंसारिया की बात पर गौर करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि एक यूनिफॉर्म ई-प्रिजन मॉड्यूल इस तरह की समस्याओं को सुलझाने में मददगार साबित हो सकता है। ई-प्रिजन मॉड्यूल कैदियों की कानूनी स्थिति को पारदर्शी और सुलभ बनाएगा, जिससे वे आसानी से अपनी कानूनी सेवाओं तक पहुंच सकेंगे और अपनी मामलों की निगरानी कर सकेंगे। इस प्रणाली के माध्यम से, कैदियों को उनके अधिकारों के बारे में सूचित किया जा सकेगा और उनके मामलों को तेजी से निपटाया जा सकेगा। इसके अलावा, यह प्रणाली जेलों में व्यवस्था बनाए रखने में भी सहायता करेगी, जिससे कैदियों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।

ई-प्रिजन मॉड्यूल: ओपन जेल का सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही 9 मई को ओपन जेल के प्रस्ताव पर विचार किया था। ओपन जेल, जो कैदियों को दिनभर जेल परिसर से बाहर काम करने की अनुमति देती है और शाम को वापस लौटने का विकल्प प्रदान करती है, कैदियों के पुनर्वास और उनकी मानसिक स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक हो सकती है। इस तरह की जेलें कैदियों को समाज में घुलने-मिलने का मौका देती हैं, जो उनके सामाजिक पुनर्वास में मददगार साबित हो सकती हैं।

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इसके अलावा, ओपन जेलों का संचालन उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने और मानसिक दबाव को कम करने में सहायक हो सकता है। जेलों में आधे से अधिक कैदी गैर-संगीन अपराध के मामलों में हैं, और इन कैदियों के लिए ओपन जेल एक सकारात्मक बदलाव का प्रतीक हो सकता है।

ई-प्रिजन मॉड्यूल: जेलों में भीड़भाड़ और सुधार की आवश्यकता

गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में देश की जेलों में करीब 5.5 लाख कैदी हैं, जिनमें से आधे गैर-संगीन अपराध के मामले में हैं। इनमें से लगभग 2 लाख अंडर ट्रायल कैदी हैं, जो अधिकतम सजा से अधिक समय से जेल में बंद हैं। इन आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए, जेलों में भीड़भाड़ एक गंभीर समस्या बन चुकी है, और इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है।

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ई-प्रिजन मॉड्यूल: 1 जुलाई से लागू हुए नए कानून

1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम जैसे नए कानूनों को लागू किया गया है। ये नए कानून अंग्रेजों के जमाने के कानूनों, जैसे IPC (1860), CrPC (1973), और एविडेंस एक्ट (1872) की जगह लाए गए हैं। इन नए कानूनों का उद्देश्य न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाना और सुधार की प्रक्रिया को सुगम बनाना है। इन बदलावों के तहत कैदियों की कानूनी प्रक्रियाओं और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता में सुधार लाना मुख्य उद्देश्य है।

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ई-प्रिजन मॉड्यूल की आवश्यकता और ओपन जेल जैसे सुझावों को मान्यता देना, देश में जेल प्रबंधन और कैदियों के पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करेगा कि कैदियों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी मिले और जेलों में सुधार की दिशा में सार्थक प्रयास किए जा सकें।

JUDGES ON LEAVE
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Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi✌🏻

'50 सीटों' का फॉर्मूला 1 'NFS कांग्रेस की देन है' धर्मेंद्र प्रधान का पलटवार 1 'अपरिवर्तनीय' शब्द का प्रभाव 1 'अपरिवर्तनीय' शब्द के प्रयोग मात्र से पावर ऑफ अटॉर्नी अपरिवर्तनीय नहीं 1 'अब का सलाद खईब' गाने से मनोज तिवारी ने दिखाया महंगाई का दर्द 1 'आतंकवादी' शब्द ने बिगाड़ा माहौल 1 'आप' और बीजेपी के बीच मुकाबला 1 'कस्टम अधिकारी' 'पुलिस अधिकारी' नहीं 1 'कांग्रेस को पीलिया हो गया है' 1 'केसरी चैप्टर 2' का ट्रेलर दर्शकों के दिलों को कर गया छू 1 'गलती से मिस्टेक' 1 'जलसा' बंगला श्वेता बच्चन को किया गिफ्ट? 1 'जाट' की रिलीज से पहले उठे सवाल क्या कला और आस्था के बीच संभव है संतुलन? 1 'जाट' टाइटल पर रणदीप हुड्डा का तीखा जवाब "पहचान खुद फिल्म में सामने आएगी" 1 'जुमलों पर झाड़ू चलाएंगे फिर केजरीवाल को लाएंगे' 1 'ट्रिपल इंजन' सरकार की दिशा में सुदृढ़ कदम 1 'देवा' फिल्म की स्क्रीनिंग में रुकावट से अली गोनी का गुस्सा INOX को किया निशाना 1 'पराक्रमो विजयते' बोले अखिलेश यादव 1 'पुष्पा' पर बड़े प्रड्यूसर की विवादित टिप्पणी 1 'बड़ा भाई' 1 'बिग बॉस 18' के विनर बने करण 1 'बिग बॉस 18' में भी दिखा था अनोखा रिश्ता 1 'बिग बॉस 18' से बनी दोस्ती 1 'बिस्मिल्लाह' के साथ मां बनने की भावुक घोषणा 1 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' का नारा 0 'भूल भुलैया 2' की सफलता और तैमूर का प्यार 1 'भूल भुलैया 2'और 'भूल भुलैया 3' की सफलता 1 'मर्दानी' फ्रेंचाइजी की वापसी का ऐलान 1 'मुफ्त की रेवड़ी' आरोपों पर भाजपा को जवाब 1 'मैया यशोदा' गाने की शूटिंग के दौरान क्या हुआ था? 1 'मोहल्ला बस' से 'नमो बस सेवा' तक 1 'रावण के वंशज' आरोप 1 'लाफ्टर शेफ्स 2' में बर्थडे सेलिब्रेशन 0

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GEMINI 3 FEATURES जो ChatGPT को कर सकते हैं Obsolete

Gemini 3 Features ने AI की दुनिया में तहलका मचा दिया है। इसके उन्नत फीचर्स और

GEMINI 3 FEATURES जो ChatGPT को कर सकते हैं Obsolete

Gemini 3 Features ने AI की दुनिया में तहलका मचा दिया है। इसके उन्नत फीचर्स और नए एल्गोरिदम इंसानों के काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

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GEMINI 3 FEATURES उन्नत reasoning और मल्टीमॉडल कौशल

Gemini 3, LMArena leaderboard में शीर्ष स्थान पर है, PhD-स्तर की reasoning क्षमता रखता है और विज्ञान, गणित जैसे विषयों में उच्च सफलता प्राप्त करता है। वीडियो, इमेज और मल्टीमॉडल क्वेरी पर भी यह बेहतरीन प्रदर्शन करता है, जो इसे व्यापक और बहु-आयामी प्रश्नों के लिए उपयुक्त बनाता है।

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Gemini 3 Deep Think मोड

यह नया मोड Gemini 3 की reasoning और समझ को और भी गहरा बनाता है, जिससे कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान संभव होता है। इसका प्रदर्शन AI परीक्षाओं में अप्रत्याशित रूप से बेहतर है, जो इसे विश्लेषण और योजना कार्यों में उपयोगी बनाता है।

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सीखना, बनाना, और योजना बनाना

Gemini 3 के साथ सीखना आसान है, चाहे वह परिवार की परंपरागत रेसिपी ट्रांसलेट करना हो या ऐडवांस रिसर्च पेपर का विश्लेषण। यह ब्लॉक्स, कोड और विजुअलाइजेशन के माध्यम से जटिल जानकारियों को समझाने और प्रदर्शित करने में सक्षम है।

डेवलपर्स के लिए नया अनुभव

Google ने Google Antigravity नामक एजेंटिक डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जिससे डेवलपर्स Gemini 3 के साथ अधिक स्वायत्त और कार्य-केंद्रित एप्लिकेशन बना सकते हैं। यह कोडिंग को नए स्तर पर ले जाता है और निरंतर स्व-पुष्टिकरण प्रदान करता है।

योजना और ऑटोमेशन में सुधार

Gemini 3 लंबे समय के लिए योजना बनाने और जटिल, बहु-चरण वाली प्रक्रियाओं को संचालित करने में सक्षम है। यह आपके ईमेल को व्यवस्थित कर सकता है, स्थानीय सेवाएं बुक कर सकता है, और दैनिक कार्यों में मदद करता है।

सुरक्षा और जिम्मेदारी

Google ने Gemini 3 को सबसे सुरक्षित AI मॉडल बनाया है। इसमें साइबर हमलों, गलत जानकारी, और हानिकारक प्रोत्साहनों से सुरक्षा के लिए व्यापक परीक्षण और सहयोग किया गया है।

Gemini 3 का भविष्य

Gemini 3 अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में है और जल्द ही इसके कई नए संस्करण और फीचर जारी होंगे। Google इसे Google एजेंसियों, डेवलपर्स, और एंटरप्राइज क्लाइंट्स तक पहुंचा रहा है।

Gemini 3 की उपलब्धता

Gemini 3 एप्लिकेशन, AI Studio, Vertex AI, Google Antigravity, और Gemini CLI के माध्यम से उपलब्ध है। कॉलैबोरेशन प्लेटफॉर्म्स जैसे GitHub, Replit में भी इसका उपयोग किया जा रहा है।

Gemini 3 पर Google की यह नई पहल AI के आयामों का विस्तार करती है और इसे हर क्षेत्र में व्यावहारिक, सुलभ और अधिक सक्षम बनाती है। इसका लक्ष्य AI को उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत और प्रभावी बनाना है।

विषयविवरण
मॉडल का नामGemini 3
मुख्य विशेषताएंउन्नत reasoning, मल्टीमॉडल इनपुट, एजेंटिक कोडिंग
प्रमुख प्रदर्शन मानकLMArena leaderboard topper, PhD-level reasoning
नया मोडGemini 3 Deep Think
उपयोगकर्ता लाभबेहतर सीखना, निर्माण, योजना, और ऑटोमेशन
डेवलपर टूल्सGoogle Antigravity, AI Studio, Vertex AI
सुरक्षाव्यापक परीक्षण, सुरक्षा सुधार
उपलब्धताGemini app, AI Studio, Vertex AI, CLI, Dritt platforms
भविष्य की योजनानए संस्करण, फीचर्स, व्यापक उपयोग
लक्ष्यAI को ज्यादा प्रभावी और व्यक्तिकृत बनाना