कम मेरिट पर सीट? सुप्रीम कोर्ट ने पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज (NEET-PG) की काउंसलिंग प्रक्रिया में सीट-ब्लॉकिंग जैसी गंभीर गड़बड़ियों पर रोक लगाने के लिए कई व्यापक और दूरगामी निर्देश जारी किए हैं।
कोर्ट ने यह निर्देश उस समय जारी किए जब वह उत्तर प्रदेश के एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान सीटों की ब्लॉकिंग और कम योग्यता वाले उम्मीदवारों को सीट मिलने की शिकायत की गई थी।
कम मेरिट पर सीट? इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती
वर्तमान मामला उत्तर प्रदेश राज्य और लखनऊ के महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2018 के एक आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने यह आदेश 2017-2018 की NEET-PG काउंसलिंग में सीट ब्लॉकिंग को लेकर दाखिल रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया था।
आरोप यह था कि पहले और दूसरे राउंड में सीट पा चुके उम्मीदवारों को फिर से मॉप-अप राउंड में भाग लेने की अनुमति दी गई, जिससे कई रेडियोलॉजी जैसी प्रतिष्ठित शाखाओं की सीटें उन उम्मीदवारों को दे दी गईं जो अपेक्षाकृत कम मेधावी थे। हाईकोर्ट ने इसे न्यायसंगत नहीं माना और कुछ सख्त निर्देश भी पारित किए, जिनमें दो याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश भी शामिल था।
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सीट ब्लॉकिंग को सुप्रीम कोर्ट ने बताया प्रणालीगत भ्रष्टाचार
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि NEET-PG काउंसलिंग प्रक्रिया का उद्देश्य योग्यता पर आधारित पारदर्शी और निष्पक्ष प्रवेश प्रणाली बनाना था। लेकिन समय के साथ इसमें सीट ब्लॉकिंग जैसी गंभीर खामियां उभर कर सामने आई हैं। कोर्ट ने इसे व्यापक कदाचार और प्रणालीगत कमजोरी करार दिया। कोर्ट ने कहा, “सीट ब्लॉकिंग सिर्फ एक अलग-थलग पड़ी गड़बड़ी नहीं है बल्कि यह पारदर्शिता की कमी, समन्वयहीनता और कमजोर नीति प्रवर्तन की संकेतक है।”
सुप्रीम कोर्ट के 10 मुख्य निर्देश:
- राष्ट्रीय समन्वित काउंसलिंग कैलेंडर: AIQ (All India Quota) और स्टेट राउंड को संरेखित करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का समन्वित काउंसलिंग कैलेंडर लागू किया जाए, जिससे सीट ब्लॉकिंग से बचा जा सके।
- प्री-काउंसलिंग फी डिस्क्लोजर अनिवार्य: सभी निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि वे ट्यूशन फीस, हॉस्टल फीस, कॉशन मनी और अन्य शुल्कों का पूरा विवरण काउंसलिंग से पहले सार्वजनिक करें।
- फीस विनियमन ढांचा: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के अंतर्गत एक केंद्रीकृत शुल्क विनियमन प्रणाली विकसित की जाएगी जिससे कॉलेज मनमानी फीस वसूली न कर सकें।
- अपग्रेड विंडो का प्रावधान: पहले और दूसरे राउंड के बाद एक अपग्रेड विंडो उपलब्ध कराई जाए ताकि पहले से भर्ती उम्मीदवार अपनी सीट को बेहतर विकल्प से बदल सकें, बिना काउंसलिंग को फिर से खोलने के।
- पारदर्शिता के लिए परीक्षा डेटा सार्वजनिक करना: मल्टी-शिफ्ट NEET-PG परीक्षाओं में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए रॉ स्कोर, आंसर की और नॉर्मलाइजेशन फार्मूले को प्रकाशित करना अनिवार्य होगा।
- सीट ब्लॉकिंग पर सख्त दंड: सीट ब्लॉक करने वाले उम्मीदवारों के लिए कॉशन फीस जब्त करने, उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से अयोग्य घोषित करने और गलती में शामिल कॉलेजों को ब्लैकलिस्ट करने जैसे दंडात्मक प्रावधान लागू किए जाएं।
- आधार-आधारित सीट ट्रैकिंग सिस्टम: एक सीट पर एक ही उम्मीदवार द्वारा बार-बार कब्जा करने और गलत जानकारी देने की घटनाओं को रोकने के लिए आधार-आधारित ट्रैकिंग प्रणाली लागू की जाए।
- राज्य प्राधिकरणों की जवाबदेही: यदि कोई राज्य अथवा संस्थागत डीएमई (Directorate of Medical Education) निर्धारित नियमों या समयसारणी का उल्लंघन करता है, तो उनके खिलाफ अवमानना या अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
- एक समान काउंसलिंग कोड ऑफ कंडक्ट: पात्रता, मॉप-अप राउंड, सीट वापसी और शिकायत समाधान की समय-सीमा जैसे विषयों पर सभी राज्यों के लिए एक समान आचरण संहिता लागू की जाएगी।
- तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट तंत्र: NMC के तहत एक स्वतंत्र निरीक्षण और ऑडिट तंत्र स्थापित किया जाएगा जो हर वर्ष काउंसलिंग प्रक्रिया की निष्पक्षता और अनुपालन का मूल्यांकन करेगा।
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हाईकोर्ट द्वारा दिए गए पूर्व निर्देशों पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2018 के आदेश को आंशिक रूप से संशोधित करते हुए दोनों याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये की जगह एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि 2021 में निहिला पीपी बनाम मेडिकल काउंसलिंग कमेटी मामले में दिये गए निर्देशों का पालन करते हुए केंद्र सरकार और DGHS ने काउंसलिंग की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इनमें काउंसलिंग के चार चरणों की योजना भी शामिल है।
काउंसलिंग प्रक्रिया के सभी चरण होंगे अब निगरानी में
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में एक बहुत ही अहम कदम माना जा रहा है। इससे न केवल सीट ब्लॉकिंग जैसी गड़बड़ियों पर लगाम लगेगी बल्कि योग्य उम्मीदवारों को न्यायसंगत और पारदर्शी तरीके से अवसर प्राप्त होगा। यह फैसला देशभर में NEET-PG काउंसलिंग प्रक्रिया में एकरूपता, अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।