किसानों की बढ़ी चिंता: अमेरिका और भारत के बीच बढ़ती टैरिफ लड़ाई का असर अब स्वादिष्ट दशहरी आम पर भी नजर आने लगा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय प्रोडक्ट्स पर 26% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा ने देश के आम उत्पादकों और निर्यातकों की टेंशन बढ़ा दी है। भले ही फिलहाल इस टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगी है, लेकिन किसान और व्यापारी पहले से ही बेचैन हैं।
किसानों की बढ़ी चिंता: दशहरी आम की पहचान और टेंशन
उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद के दशहरी आम दुनियाभर में अपनी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर हैं। हर साल जून के पहले हफ्ते से इसका सीजन शुरू होता है। सिर्फ मलिहाबाद ही नहीं, वाराणसी, सहारनपुर, प्रतापगढ़, गुजरात और आंध्र प्रदेश में भी इस आम की खेती होती है।
अब जब एक्सपोर्ट सीजन आने वाला है, ऐसे में टैरिफ वॉर ने बाजार में बेचैनी बढ़ा दी है। किसानों को डर है कि अगर अमेरिका में 26% टैरिफ लागू हुआ, तो आम के दाम गिर सकते हैं और निर्यात पर असर पड़ेगा।
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क्या कहती है एपीडा और सरकार?
एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) का कहना है कि अभी टैरिफ का सीधा असर बताना मुश्किल है। दो-तीन हफ्ते में ही साफ होगा कि एक्सपोर्ट पर कितना फर्क पड़ेगा। वहीं, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यातकों से घबराने की जरूरत नहीं है, ऐसा भरोसा दिलाया है।
टैरिफ बढ़ा तो सड़कों पर ही रह जाएंगे आम
मलिहाबाद के आम एक्सपोर्टर परवेज़ खान बताते हैं कि अमेरिका में आम भेजना वैसे ही जोखिम भरा है। वहां के सख्त नियमों और ट्रीटमेंट प्रोसेस के कारण कई व्यापारी पहले ही हिचकिचाते हैं। अगर टैरिफ बढ़ा तो आम का एक्सपोर्ट और महंगा हो जाएगा, जिससे विदेश भेजना घाटे का सौदा बन सकता है।
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ट्रीटमेंट में भी अड़चन
अमेरिका में आम एक्सपोर्ट करने के लिए पहले उसे खास ट्रीटमेंट देना होता है ताकि वह लंबे समय तक ताजा रहे। लखनऊ के रहमानखेड़ा स्थित एपीडा मैंगो पैक हाउस में सभी सुविधाएं ना होने के कारण आम को ट्रीटमेंट के लिए कर्नाटक भेजना पड़ता है। इससे लागत और बढ़ जाती है।
ट्रंप की टैरिफ वॉर से मीठे दशहरी आम की मिठास पर मंडराया संकट!
फिलहाल दशहरी आम के किसान और व्यापारी दोनों अमेरिका की अगली चाल और भारत सरकार की रणनीति पर नजरें टिकाए बैठे हैं। अगर टैरिफ वॉर लंबा खिंचा, तो देश के मीठे आम का स्वाद विदेशों तक पहुंचाना मुश्किल हो सकता है।