खरगे का आरोप: महाराष्ट्र चुनाव की गर्माहट के बीच कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए विवादित टिप्पणी कर एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है।
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी द्वारा आयोजित रैली के दौरान खरगे ने अपने संबोधन में पीएम मोदी को लेकर कई आरोप लगाए और उन्हें “झूठों का सरदार” तक कह डाला। साथ ही, उन्होंने मोदी सरकार पर जनता से किए गए वादों को निभाने में असफल होने का आरोप लगाते हुए अडानी-अंबानी के साथ निकटता का भी दावा किया। खरगे की इस टिप्पणी ने भाजपा को भी आक्रामक बना दिया, और भाजपा नेता किरेन रिजिजू ने इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
खरगे का आरोप: मल्लिकार्जुन खरगे का पीएम मोदी पर सीधा हमला
खरगे का आरोप: महाराष्ट्र में बीकेसी मैदान में आयोजित इस रैली में, जहां कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के नेता एकजुट होकर जनता को संबोधित कर रहे थे, खरगे ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना ऐतिहासिक आक्रांता तैमूर लंग से की। उन्होंने मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह सरकार सिर्फ बड़े उद्योगपतियों और धनाढ्यों के हितों की रक्षा में लगी है और आम जनता के हितों की अनदेखी कर रही है। खरगे ने कहा कि मोदी ने 15 लाख रुपये देने का वादा किया था, लेकिन वह वादा झूठा साबित हुआ। उन्होंने मोदी पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि मोदी सरकार झूठे दावों पर टिकी हुई है।
खरगे का आरोप: मोदी सरकार पर घोटालों और निजीकरण का आरोप
खरगे ने मोदी सरकार पर लगातार निजीकरण और सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने देश के कई प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों, एयरपोर्ट और पोर्ट्स को निजी हाथों में सौंप दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियां सिर्फ पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई जा रही हैं, जिससे आम जनता का हित प्रभावित हो रहा है। खरगे ने यह आरोप भी लगाया कि अडानी के बंदरगाहों से नशीली सामग्री की बरामदगी हुई है, और इस पर सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
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भाजपा का पलटवार: किरेन रिजिजू का बयान
मल्लिकार्जुन खरगे की इन तीखी टिप्पणियों का भाजपा की ओर से भी कड़ा जवाब आया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने खरगे की टिप्पणियों की निंदा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदेशों में जो सम्मान मिल रहा है, वह भारत के हर नागरिक के लिए गर्व की बात है। रिजिजू ने कहा कि पीएम मोदी का अंतरराष्ट्रीय मंच पर जो प्रभाव है, वह भारत की बढ़ती साख को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने भी हाल ही में पीएम मोदी को फोन किया था, जो यह बताता है कि दुनिया के बड़े नेता भी मोदी की भूमिका और कद का सम्मान करते हैं।
रिजिजू ने आगे कहा कि विपक्षी नेताओं को प्रधानमंत्री के प्रति इस प्रकार की अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि बार-बार मोदी का अपमान करना, उन्हें अपशब्द कहना न केवल पीएम का, बल्कि देश का अपमान है। भाजपा के अनुसार, कांग्रेस पार्टी का यह रवैया दिखाता है कि उनके पास अब कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा है, इसलिए वे व्यक्तिगत हमलों का सहारा ले रहे हैं।
कांग्रेस और भाजपा के बीच लगातार बढ़ता आरोप-प्रत्यारोप
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि खरगे की इस बयानबाजी ने भाजपा को एक नया मुद्दा दे दिया है। पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के बीच व्यक्तिगत हमले लगातार बढ़े हैं। पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस नेताओं द्वारा पहले भी कई विवादास्पद टिप्पणियां की गई हैं, जिनमें “चायवाला”, “हत्यारा” और अब “तैमूर लंग” जैसे शब्दों का उपयोग शामिल है। भाजपा का मानना है कि कांग्रेस पार्टी इन टिप्पणियों के जरिए अपने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन ये बयान अब राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन गए हैं।
चुनावी रणनीति और बयानबाजी का असर
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस द्वारा की गई इस प्रकार की बयानबाजी का असर महाराष्ट्र के आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है। इस प्रकार के तीखे बयान न केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा होते हैं बल्कि पार्टी के कैडर को भी एकजुट रखने का प्रयास होते हैं। हालांकि, ऐसे विवादित बयान कभी-कभी उल्टा असर भी डाल सकते हैं, क्योंकि विपक्षी पार्टियां इसे अपने प्रचार में इस्तेमाल कर सकती हैं। भाजपा ने इन बयानों को जनता के सामने लाने का निर्णय लिया है और इसे एक चुनावी मुद्दा बनाकर कांग्रेस को घेरने की योजना बनाई है।
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संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन?
भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए इस प्रकार की भाषा का उपयोग संविधान की मर्यादाओं का उल्लंघन है। वे मानते हैं कि चुनावी प्रतिस्पर्धा के बावजूद, संवैधानिक पदों का सम्मान किया जाना चाहिए। वहीं, कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि वे जनता के सवालों को उठा रहे हैं और जो वादे सरकार ने किए थे, उन्हें याद दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।
जनता के बीच कैसा प्रभाव?
खरगे की टिप्पणी ने एक बार फिर से चुनावी माहौल को गरमा दिया है। जनता के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवादित बयानबाजी का उन पर क्या असर पड़ता है। यह स्पष्ट है कि चुनावी राजनीति में इस प्रकार के बयानबाजी आम बात हो गई है, लेकिन जनता ऐसे बयानों के पीछे के राजनीतिक मकसद को भी समझने लगी है।