गणेश चतुर्थी 2024: गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को हर वर्ष धूमधाम से मनाया जाता है, और इस बार यह पर्व 7 सितंबर को पड़ रहा है। गणेश चतुर्थी के आने में कुछ ही दिन बाकी हैं, ऐसे में गणपति की पूजा की तैयारी अभी से कर लेनी चाहिए। पूजा के दौरान किसी भी सामग्री की कमी पूजा में विघ्न डाल सकती है, इसलिए गणेश पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट पहले से ही तैयार कर लें। इस लिस्ट में रोली, मौली, फूल, फल, दूर्वा, मोदक, सुपारी, पान के पत्ते, लड्डू, लाल कपड़ा, धूप, दीपक, अगरबत्ती, और नारियल आदि प्रमुख रूप से शामिल होते हैं।
गणेश चतुर्थी 2024: गणेश चतुर्थी का महत्व और इतिहास
गणेश चतुर्थी का पर्व भारत में हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी का जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए इसे गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है, और उनकी पूजा से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में यह त्योहार विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अब देशभर में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
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गणेश चतुर्थी 2024: गणेश उत्सव की शुरुआत और विधि
इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा, और यह पर्व 10 दिनों तक चलेगा। गणेश चतुर्थी की शुरुआत 7 सितंबर दिन शनिवार से होगी और 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ इस पर्व का समापन होगा। इस दौरान भगवान गणेश की मूर्ति को घरों और पंडालों में स्थापित किया जाता है, और उनकी विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। भक्तजन बप्पा की खूब सेवा करते हैं और प्रतिदिन उनके लिए विशेष प्रसाद, जैसे मोदक और लड्डू, तैयार करते हैं। गणेश उत्सव के दौरान गणपति को 10 दिनों तक घर में रखा जाता है, और अंत में नदी या समुद्र में विसर्जित किया जाता है।
गणेश चतुर्थी 2024: गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष गणेश चतुर्थी की चतुर्थी तिथि का आरंभ 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट से होगा, और इसका समापन 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 36 मिनट पर होगा। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए, 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। यह दिन गणेश जी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है और सुबह-सुबह उनकी पूजा की जाती है। पूजा के लिए विधिवत सामग्री का होना जरूरी है ताकि पूजा में कोई विघ्न न आए।
गणेश चतुर्थी 2024: गणेश चतुर्थी पूजन सामग्री
गणेश चतुर्थी की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की सूची पहले से ही तैयार कर लेना चाहिए, ताकि पूजा के समय किसी चीज की कमी न हो। यहां गणेश पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की सूची दी गई है:
- गणेश जी की प्रतिमा: भगवान गणेश की मूर्ति, जो मिट्टी या धातु की हो सकती है।
- कलश: पूजा के लिए पानी से भरा हुआ कलश।
- पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर तैयार किया गया पंचामृत।
- रोली: तिलक के लिए रोली।
- मोली: भगवान गणेश के हाथ में बांधने के लिए लाल धागा (मोली)।
- चावल: अक्षत, जो गणेश जी को अर्पित किए जाते हैं।
- फूल-माला: गणेश जी को चढ़ाने के लिए ताजे फूल और माला।
- दूर्वा: गणेश जी को विशेष रूप से प्रिय दूर्वा (घास)।
- फल और मिठाई: प्रसाद के लिए फल और गणेश जी के प्रिय मोदक और लड्डू।
- नारियल: पूजा के दौरान अर्पित करने के लिए नारियल।
- धूप-अगरबत्ती: गणेश जी के सामने धूप और अगरबत्ती जलाने के लिए।
- दीपक: पूजा के दौरान दीपक जलाने के लिए तेल और बाती।
गणेश चतुर्थी 2024: गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह-सुबह स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा की शुरुआत करें। सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ कर लें और वहां गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें। फिर पंचामृत से भगवान गणेश का अभिषेक करें और उन्हें रोली, मोली, अक्षत, फूल, माला, दूर्वा, फल, मिठाई आदि अर्पित करें। इसके बाद धूप और दीप जलाएं और भगवान गणेश की आरती करें। आरती के बाद प्रसाद का वितरण करें और भगवान गणेश से जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें।
गणेश चतुर्थी 2024: गणेश उत्सव का महत्व और समाजिक संदेश
गणेश चतुर्थी का पर्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका समाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इस दौरान लोग एकजुट होते हैं, सामूहिक रूप से गणेश जी की पूजा करते हैं, और समाज में भाईचारे का संदेश देते हैं। इस पर्व का एक और महत्वपूर्ण पहलू पर्यावरण संरक्षण है। आजकल लोग मिट्टी की गणेश प्रतिमा का प्रयोग करने लगे हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल होती है। गणेश उत्सव हमें न केवल धार्मिक आदर्शों की याद दिलाता है, बल्कि समाज और पर्यावरण की भलाई के लिए भी प्रेरित करता है।