गाजियाबाद लाठीचार्ज: हाल ही में गाजियाबाद में हुए लाठीचार्ज के विरोध में अलीगढ़ के वकीलों में गहरी नाराजगी है, जो अपने सहकर्मियों के साथ हुए इस अत्याचार के खिलाफ खुलकर मैदान में उतर आए हैं।
अलीगढ़ के अधिवक्ताओं ने पुलिस की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है और इसे न्यायपालिका के सम्मान और वकीलों के अधिकारों का खुला उल्लंघन करार दिया है। इसी के चलते शहर में वकील अपने अधिकारों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं और उनकी मांग है कि इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
संवाददाता :
बबलू खान अलीगढ
गाजियाबाद लाठीचार्ज: अलीगढ़ में वकीलों का कड़ा विरोध
गाजियाबाद लाठीचार्ज: अलीगढ़ के वकीलों ने काली पट्टी बांधकर दीवानी कचहरी से लेकर कलेक्ट्रेट तक प्रदर्शन किया, जहां वे पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। उनका कहना है कि गाजियाबाद में हुई यह घटना न्यायपालिका के मंदिर में पुलिस की बर्बरता की पराकाष्ठा है, जो अधिवक्ताओं के सम्मान पर हमला है।
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प्रदर्शन कर रहे वकीलों ने इसे अत्यंत गंभीर मुद्दा मानते हुए इस घटना की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
गाजियाबाद की घटना और वकीलों का विरोध
गाजियाबाद लाठीचार्ज: गाजियाबाद में हुई इस घटना में वकीलों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया था। वकीलों का आरोप है कि यह लाठीचार्ज न केवल अनुचित था, बल्कि इसके पीछे न्यायपालिका की ओर से किसी भी प्रकार की सहायता भी नहीं मिल पाई। अलीगढ़ के वकील इस घटना के खिलाफ अपने गुस्से का इज़हार करते हुए कार्यस्थल पर हड़ताल पर बैठ गए हैं और कई दिनों से कचहरी परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं।
उनका मानना है कि इस प्रकार की घटनाओं से न केवल अधिवक्ताओं का मनोबल गिरता है, बल्कि न्यायपालिका के प्रति आमजन में भी अविश्वास बढ़ता है। वकीलों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से न्यायपालिका और पुलिस के बीच एक नकारात्मक छवि बन रही है, जो लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, वे अपने विरोध को जारी रखेंगे।
न्यायिक हस्तक्षेप की मांग
गाजियाबाद लाठीचार्ज: वकीलों ने मांग की है कि इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप किया जाए। उनका कहना है कि यह केवल लाठीचार्ज नहीं है, बल्कि न्याय के पहरेदारों के सम्मान पर हमला है। वकीलों का आरोप है कि पुलिस की इस तरह की कार्रवाई को अगर अभी नहीं रोका गया, तो यह भविष्य में खतरनाक रूप ले सकती है और इसके परिणामस्वरूप अधिवक्ताओं के अधिकारों का हनन होता रहेगा। वकीलों ने यह भी कहा कि अगर उनके अधिकारों की रक्षा के लिए उच्च न्यायालय और अन्य जिम्मेदार संस्थाएं हस्तक्षेप नहीं करती हैं, तो उन्हें और भी बड़े स्तर पर आंदोलन करना पड़ेगा।
वकीलों की मुख्य मांगें
अलीगढ़ के अधिवक्ताओं ने कुछ मुख्य मांगें रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई: वकील चाहते हैं कि गाजियाबाद की घटना के दोषी पुलिस अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए और उन्हें तुरंत सेवा से निलंबित किया जाए।
- न्यायाधीश की भूमिका की जांच: वकीलों का कहना है कि उस समय न्यायाधीश मूकदर्शक बने रहे, जो अस्वीकार्य है। वे मांग कर रहे हैं कि इस घटना के दौरान न्यायाधीश की भूमिका की जांच की जाए और उचित कार्रवाई की जाए।
- न्यायिक संस्थाओं का सहयोग: अधिवक्ताओं का मानना है कि न्यायिक संस्थाओं को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि भविष्य में वकीलों पर इस प्रकार का अत्याचार न हो।
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वकीलों का संदेश और आंदोलन की चेतावनी
अधिवक्ताओं ने अपने प्रदर्शन के दौरान चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं, तो वे अपने प्रदर्शन को और भी बड़े स्तर पर ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, क्योंकि यह उनके अधिकारों और सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने न्यायपालिका और पुलिस प्रशासन को स्पष्ट संदेश दिया है कि इस प्रकार की घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। उनका कहना है कि न्यायालय का परिसर एक पवित्र स्थान है, जहां न्याय की रक्षा की जाती है, लेकिन इस तरह की बर्बरता से न्याय का ही हनन हुआ है।
अलीगढ़ के वकीलों ने अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान गाजियाबाद में हुए लाठीचार्ज के खिलाफ न्यायपालिका के लिए जागरूकता बढ़ाने और पुलिस प्रशासन की बर्बरता के खिलाफ आवाज़ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वकील केवल कानून के रखवाले ही नहीं हैं, बल्कि न्याय के मार्गदर्शक भी हैं। इस तरह का उत्पीड़न केवल वकीलों के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी हानिकारक है।
प्रदर्शन के प्रति जनता का समर्थन
इस विरोध प्रदर्शन को जनता का भी समर्थन मिल रहा है। कई सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक वकीलों के साथ खड़े हैं, क्योंकि उनका मानना है कि वकीलों पर इस प्रकार का अत्याचार लोकतंत्र के लिए खतरा है। जनता का समर्थन वकीलों के मनोबल को बढ़ा रहा है और उनके संघर्ष को नई दिशा दे रहा है।
अलीगढ़ के वकीलों ने यह साफ कर दिया है कि वे अपने अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और अगर प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन और भी व्यापक हो सकता है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं वकीलों के आत्म-सम्मान पर चोट करती हैं और अगर इसे रोका नहीं गया, तो यह भविष्य में एक खतरनाक परंपरा बन सकती है।
गाजियाबाद की घटना ने उठाए पुलिस शक्ति पर सवाल
अलीगढ़ के वकीलों का यह आंदोलन उनके सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए एक संघर्ष है। गाजियाबाद में हुई घटना ने एक नया सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पुलिस को ऐसे शक्ति का प्रयोग करने का अधिकार है, जो न्याय के रक्षकों के खिलाफ हो? वकीलों का विरोध उनके आत्म-सम्मान और न्यायपालिका के सम्मान की रक्षा के लिए है। अब यह देखना होगा कि इस मामले में न्यायिक संस्थाएं क्या कदम उठाती हैं और दोषी अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की जाती है।