चुनावी हिंदू टिप्पणी: दिल्ली चुनाव 2025 से पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा घोषित “पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना” राजनीतिक बहस का केंद्र बन गई है।
इस योजना के तहत दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। जहां आम आदमी पार्टी (AAP) इसे धार्मिक समुदायों के सशक्तिकरण के रूप में प्रस्तुत कर रही है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस योजना को चुनावी रणनीति करार देते हुए इसे “चुनावी हिंदू” का उदाहरण बताया है।
चुनावी हिंदू टिप्पणी: केजरीवाल की घोषणा और योजना के उद्देश्य
चुनावी हिंदू टिप्पणी: 30 दिसंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने “पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना” की घोषणा की। उन्होंने बताया कि यह योजना धार्मिक स्थलों के पुजारियों और ग्रंथियों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाई गई है। केजरीवाल ने कहा, “हमारी सरकार बनते ही पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपये दिए जाएंगे। यह योजना दिल्ली के सभी धार्मिक स्थलों पर लागू होगी।” इस योजना के लिए 31 दिसंबर से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू की गई है।
केजरीवाल ने इसके साथ ही बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा, “महिला सम्मान और संजीवनी योजना की तरह इस योजना को बंद करने की कोशिश न करें। मैं बीजेपी और कांग्रेस दोनों से अपील करता हूं कि वे अपने-अपने राज्यों में भी ऐसी योजना लागू करें।”
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चुनावी हिंदू टिप्पणी: बीजेपी का तीखा जवाब
AAP सरकार की इस घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए, बीजेपी ने इसे “चुनावी हिंदू” का प्रतीक बताया। दिल्ली बीजेपी ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर केजरीवाल की एक तस्वीर पोस्ट की और लिखा, “चुनावी हिंदू केजरीवाल:
- जो 10 साल से इमामों को सैलरी बांटता रहा।
- जो खुद और उनकी नानी प्रभु श्रीराम का मंदिर बनने से खुश नहीं थे।
- जिसने मंदिर और गुरुद्वारों के बाहर शराब के ठेके खोले।
- जिसकी पूरी राजनीति हिंदू विरोधी रही।
अब चुनाव आते ही पुजारियों और ग्रंथियों की याद आई?”
AAP बनाम BJP मुद्दों पर टकराव
बीजेपी ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल केवल चुनावी फायदे के लिए धार्मिक भावनाओं को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी के नेताओं ने सवाल उठाया कि AAP सरकार ने 10 वर्षों में पुजारियों और ग्रंथियों के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “यह योजना सिर्फ वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है। आम आदमी पार्टी पिछले 10 सालों में केवल इमामों को आर्थिक सहायता देती रही, और अब चुनाव नजदीक आने पर पुजारियों और ग्रंथियों को याद किया जा रहा है।”
दूसरी ओर, AAP ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी हमेशा से सभी धर्मों का सम्मान करती आई है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “बीजेपी को हमारी योजनाओं की आलोचना करने के बजाय यह सोचना चाहिए कि उन्होंने दिल्ली के धार्मिक स्थलों के लिए अब तक क्या किया है।”
चुनावी हिंदू केजरीवाल
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) December 31, 2024
🔳जो 10 साल से इमामों को सैलरी बांटता रहा
🔳जो ख़ुद और उनकी नानी प्रभु श्रीराम का मंदिर बनने से खुश नहीं थे
🔳जिसने मंदिर और गुरुद्वारों के बाहर शराब के ठेके खोले
🔳जिसकी पूरी राजनीति हिन्दू विरोधी रही
उसे अब चुनाव आते ही पुजारियों और ग्रंथियों की याद आई? pic.twitter.com/KMKntiOlXW
बीजेपी का ध्यान पुराने मुद्दों पर
बीजेपी ने केजरीवाल सरकार की पिछली नीतियों और कार्यों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने मंदिरों और गुरुद्वारों के पास शराब की दुकानें खोलने, धार्मिक स्थलों के लिए पर्याप्त फंड न देने और धार्मिक मामलों में पक्षपात करने का आरोप लगाया।
बीजेपी का दावा है कि “पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना” का ऐलान चुनावी लाभ पाने के लिए किया गया है। उन्होंने इसे “वोट बैंक की राजनीति” करार दिया और कहा कि केजरीवाल सरकार को धार्मिक मामलों में संतुलन बनाए रखना चाहिए।
चुनावी हिंदू का मुद्दा एक नई बहस
“चुनावी हिंदू” का टैग, जो बीजेपी ने केजरीवाल पर लगाया है, दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस छेड़ सकता है। इस टैग के जरिए बीजेपी यह बताने की कोशिश कर रही है कि AAP सरकार केवल चुनाव के समय हिंदू धर्म और उससे जुड़े समुदायों को तवज्जो देती है।
AAP ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारी सरकार धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती। हमने दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के लिए काम किया है, जो सभी समुदायों के लोगों को लाभ पहुंचाते हैं।”
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योजना के राजनीतिक निहितार्थ
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि “पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना” के जरिए AAP हिंदू समुदाय के एक बड़े वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है। इस योजना का उद्देश्य न केवल धार्मिक समुदायों का समर्थन हासिल करना है, बल्कि बीजेपी की हिंदुत्ववादी छवि को चुनौती देना भी है।
बीजेपी, जो लंबे समय से हिंदुत्व की राजनीति करती आई है, AAP के इस कदम को अपनी रणनीति के खिलाफ देख रही है। इसीलिए, बीजेपी ने इस योजना पर तीखा हमला करते हुए इसे चुनावी राजनीति का हिस्सा बताया।
चुनावी राजनीति में योजना की भूमिका
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही, “पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना” दोनों प्रमुख दलों के बीच राजनीतिक संघर्ष का मुख्य बिंदु बन गई है। एक तरफ जहां AAP इसे धार्मिक समुदायों के लिए “सम्मान और सुरक्षा” की योजना बता रही है, वहीं बीजेपी इसे “चुनावी लाभ पाने का प्रयास” मान रही है।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह योजना किस हद तक AAP को राजनीतिक लाभ पहुंचा पाती है और बीजेपी इसे कैसे एक चुनावी मुद्दा बनाती है।