ठाणे कोर्ट: जज पर चप्पल फेंकने के आरोप में हत्या के आरोपी पर मामला दर्ज

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By headlineslivenews.com

ठाणे कोर्ट: जज पर चप्पल फेंकने के आरोप में हत्या के आरोपी पर मामला दर्ज

ठाणे कोर्ट: महाराष्ट्र के ठाणे जिले में सोमवार को एक सत्र न्यायालय में सुनवाई के दौरान एक गंभीर घटना घटित हुई, जब एक

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ठाणे कोर्ट: महाराष्ट्र के ठाणे जिले में सोमवार को एक सत्र न्यायालय में सुनवाई के दौरान एक गंभीर घटना घटित हुई, जब एक 22 वर्षीय हत्या के आरोपी ने अपने वकील की अनुपस्थिति के कारण नाराज होकर सत्र न्यायालय के न्यायाधीश पर चप्पल फेंकने की कोशिश की।

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यह मामला न्यायिक कार्यों में बाधा डालने और अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने का गंभीर आरोप है। आरोपी पर भारतीय न्याय संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

ठाणे कोर्ट: घटना का विवरण और आरोपी की पहचान

यह घटना ठाणे जिला अदालत में सोमवार को तब हुई, जब आरोपी किरण संतोष भारम एक सत्र न्यायालय में सुनवाई के लिए पेश हुआ। भारम हत्या के आरोपी के रूप में न्यायालय में पेश हो रहा था, और उसकी सुनवाई उस दिन होनी थी। हालांकि, उसने अपने वकील की अनुपस्थिति से नाराज होकर एक अनैतिक कदम उठाया।

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भारम ने न्यायालय में जज आरजी वाघमारे के समक्ष अपना मामला रखा और अनुरोध किया कि उसकी सुनवाई अन्य किसी अदालत में स्थानांतरित की जाए। न्यायाधीश ने आरोपी को यह सलाह दी कि वह अपने वकील के माध्यम से औपचारिक आवेदन दायर करें। जब उसका वकील सुनवाई में उपस्थित नहीं हुआ, तो न्यायाधीश ने भारम से एक नए वकील का नाम बताने के लिए कहा और सुनवाई की अगली तारीख तय की।

न्यायालय में इस दौरान भारम की स्थिति में तेजी से तनाव बढ़ गया। वह अपने वकील की अनुपस्थिति से काफी परेशान था और वह इस स्थिति से निपटने के लिए गुस्से में था। जब न्यायालय ने उसे अपने मामले को स्थगित कर अगली तारीख पर सुनवाई के लिए कहा, तो भारम की प्रतिक्रिया अत्यधिक आक्रामक हो गई।

निराश होकर, उसने अचानक न्यायाधीश आरजी वाघमारे की ओर अपनी चप्पल फेंक दी। चप्पल मंच के पास एक लकड़ी के फ्रेम पर जाकर अटक गई। यह घटना न केवल न्यायालय की मर्यादा का उल्लंघन थी, बल्कि अदालत के प्रति असम्मान भी था।

ठाणे कोर्ट: पुलिस द्वारा मामला दर्ज

घटना के बाद, ठाणे पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया। भारम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 132 और 125 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

  • धारा 132: यह धारा सरकारी कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का उपयोग करने को लेकर है।
  • धारा 125: यह धारा उन कृत्यों को दर्शाती है, जो दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालते हैं।

आरोपी के खिलाफ यह धाराएं इस घटना की गंभीरता को स्पष्ट करती हैं। भारम की हरकत ने अदालत की कार्यवाही को बाधित किया और न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा को ठेस पहुंचाई।

यह घटना न केवल न्यायिक प्रणाली की मर्यादा का उल्लंघन है, बल्कि यह अदालतों के समक्ष एक गंभीर चुनौती भी पेश करती है। न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों पर हमलों का मामला चिंताजनक है, क्योंकि यह केवल अदालतों के कार्यों को प्रभावित करता है, बल्कि न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

चप्पल फेंकने जैसी घटना, जो प्रतीत होती है कि एक क्षणिक गुस्से का परिणाम है, लेकिन इसका असर न्यायिक प्रक्रिया पर दीर्घकालिक हो सकता है। ऐसे मामलों में अदालतों के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि न्यायिक कार्यवाही बिना किसी बाहरी दबाव के चल सके, और सभी पक्षों को न्याय मिल सके।

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ठाणे कोर्ट: आरोपी की मानसिक स्थिति और उसकी कार्यवाही

भारम का यह कदम यह संकेत कर सकता है कि वह अपनी मानसिक स्थिति के कारण ऐसी स्थिति में था, जहां उसने न केवल न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन किया, बल्कि न्यायाधीश के प्रति असम्मान भी व्यक्त किया। हालांकि, यह भी संभव है कि भारम को अपनी स्थिति में निराशा और हताशा का अनुभव हो रहा हो, क्योंकि उसे अपने वकील के अभाव में सुनवाई की तारीख बढ़ा दी गई थी।

अक्सर आरोपी अपनी स्थिति को लेकर मानसिक दबाव का सामना करते हैं, और ऐसे में उनका व्यवहार अप्रत्याशित और हिंसक हो सकता है। हालांकि, न्यायालयों में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए सख्त सुरक्षा व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता है।

ठाणे कोर्ट: न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता

इस घटना से यह स्पष्ट हो जाता है कि न्यायपालिका को अधिक सख्त उपायों की आवश्यकता हो सकती है ताकि अदालतों में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। कोर्ट में सुरक्षात्मक उपायों के अलावा, न्यायिक कार्यवाही के प्रति सम्मान और अनुशासन बनाए रखने के लिए भी कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। अदालतों में अधिक से अधिक सुरक्षा तंत्र और गवाहों और आरोपियों के लिए एक बेहतर माहौल बनाए रखने के उपायों की आवश्यकता महसूस की जाती है।

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ठाणे जिले में हुई यह घटना एक गंभीर मामले को उजागर करती है, जिसमें न्यायाधीश पर चप्पल फेंकने की घटना से अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई है। आरोपी के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी और न्यायालय द्वारा उठाए गए कदमों से यह स्पष्ट हो जाता है कि न्यायिक कार्यवाही में असम्मान सहन नहीं किया जाएगा।

यह घटना न्यायपालिका के समक्ष सुरक्षा और अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता को फिर से साबित करती है। न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए अधिक सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है ताकि अदालतों में न्याय का काम बिना किसी विघ्न के जारी रह सके।

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