दिल्ली जल भराव: एक बारिश हुई दिल्ली की सड़कों पर पानी भर गया, एक बारिश हुई दिल्ली का छतरपुर विधानसभा की असोला-फतेहपुर बेरी की वाल्मीकि बस्ती और हरिजन बस्ती के घरों मे 4 से 5 फुट पानी भर गया , एक बारिश हुई सड़कों पर पानी के साथ करंट फेल गया ओर पटेल नगर में एक UPSC छात्र की दर्दनाक मौत हो गई , एक बारिश हुई राजेन्द्र नगर की बिल्डिंग के बैसमेंट मे पानी घुस गया ओर तीन छात्रों की डूबने से दर्दनाक मौत हो गई , ओर जब बारिश नहीं हुई तो मुनक नहर का किनारा टूटने से बवाना का इलाका डूब गया
दिल्ली जल भराव: “दिल्ली में जल संकट और गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाएं: सरकारें राजनीति में व्यस्त, समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं”
ओर जब बारिश नहीं होती है जब गर्मी का मौसम होता है तब घरों मे पीने के पानी की किल्लत बेतहाशा हो जाती है ओर मुखर्जी नगर जैसे संस्थानों मे आग लग जाती है अब बारिश हो या नहीं हो दोनों स्तिथि मे दिल्ली की जनता खतरे के निशान से भी ऊपर जीती है लेकिन इसका समाधान नहीं तो दिल्ली सरकार ओर नहीं केंद्र सरकार कुछ निकाल नहीं पा रही है तो इन सबका जिम्मेदार कौन है ओर अभी तो आप देखना की एक नेता दूसरे नेता की कमी निकलेगा ओर खूब राजनीति होगी लेकिन इसमे नये कहाँ होगा यह बड़ी बात होगी यह सरकार जिसका नाम भ्रष्टाचार है
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दिल्ली जल भराव: “दिल्ली नगर निगम की तैयारी पर सवाल: मेयर की विश्वास दिलाने की कोशिशों की सच्चाई क्या है?”
जिसके दिमाग मे आलस ओर लापरवाही भरी पड़ी है , जिसकी जेब कितनी भी भरी हो लेकिन हमेशा खाली ही रहती है , जिसकी जीब हमेशा दूसरों पर आरोप लगाने मे ओर अपना पल्ला झड़ने मे रहती है । मानसून शुरू होने से पहले उसकी तैयारी कितनी अहम होती है ओर उसकी कितनी अहमियत दिल्ली नगर निगम देती है इसको भी देख लेते है सुनते है है मानसून शुरू होने से पहले दिल्ली की मेयर दिल्ली की जनता को कैसे विश्वास मे लेती है
दिल्ली जल भराव: “दिल्ली की मेयर ने मुस्कुराते हुए विश्वास दिलाया है, लेकिन राजेन्द्र नगर के हादसे के स्थल पर अब तक उनका दौरा नहीं हुआ है, जो सच्चाई की कमी को दर्शाता है।”
आपने सुना की दिल्ली की मेयर कितना मुस्कुराकर विश्वास दिला रही है लेकिन अभी तक रजिन्द्रा नगर के घटना स्थल पर नहीं आई है , अच्छा है नहीं पहुंची , वरना क्या से क्या हो सकता था लेकिन इस घटना स्थल पर कई लोग आए है सिवाए आप पार्टी के नेताओ के चाहे आतिशी हो , इलाके के विधायक दुर्गेश पाठक हो , या सौरभ भारद्वाज हो इस घटना स्थल पर कोई नहीं आया है लेकिन स्वाती मलीवल आई है उन्होंने क्या कहा इस घटना पर आए सुनते है
इस घटना पर कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र यादव भी पहुंचे ओर कांग्रेस की पूरी टीम भी आइए सुनते है उन्होंने क्या कहा
देवेन्द्र यादव अब बात करते है शिक्षा की क्रांति की उस जमीनी हकीकत की जो दिल्ली के राजेन्द्र नगर से लेकर मुखर्जी नगर तक फेली हुई है इसके लिए सुनते है उन छात्रों से जो अपने लाखों रुपये इन संस्थानों के देते है ओर उसके बाद भी सुरक्षा का क्या इंटेजम इनके पास होता है
दिल्ली जल भराव: “राऊस आई एएस संस्थान में तीन बच्चों की मौत ने सुरक्षा मानकों की गंभीर लापरवाही को उजागर किया है, लेकिन संबंधित विभागों की चुप्पी बनी हुई है।”
अगर हम बात करे राऊस आई ए एस संस्थान की जिसमे तीन बच्चे डूब गए है यह संस्थान इस जगह का सबसे बडा ओर महंगा संस्थान है ओर यह संस्थान लगभग 70 साल से चल रहा है ओर इस इलाके मे लगभग 500 से भी ज्यादा संस्थान है ओर एक दर्जन के करीब लायब्रेरी है जिसमे लगभग 90 प्रतिशत बेसमेंट मे है लेकिन कमाल की बात यह है की फायर सेफ़्टी हो या बिल्डिंग के नक्शा का पास होना हो सब हो जाता है ओर जब हादसे होते है तब सब चुप रहते है |
अगर आज फायर डिपार्टमेंट यह कहे की हमने तो इन्हे फायर सेफ़्टी दी नहीं है तो आपने इसे चलने क्यों दिया ओर अगर नगर निगम के भी अनुसार इसमे सुरक्षा मानक के एग्जिट गेट नहीं बने थे तो आपने इसे सील क्यों नहीं किया ।
इन संस्थानों की जमीनी हकीकत को समझे तो दिल्ली के 70 प्रतिशत से भी अधिक संस्थानों के पास फायर सेफ़्टी का अभाव नजर आएगा ओर अगर बिल्डिंग के नक्शे या सुरक्षा मानकों की बात करेंगे तो वो भी फेल नजर आएंगे तो इसके लिए क्या इन विभाग मे बैठे छोटे से बड़े अधिकारियों पर क्या एफ आई आर नहीं होनी चाहिए , क्या इस घटना पर दिल्ली नगर निगम की लापरवाही नहीं है क्या इस पर इलाके के निगम पार्षद की लापरवाही नहीं है , क्या इस पर इलाके के विधायक की लापरवाही नहीं है
अब सिर्फ ओर सिर्फ एक ही आदमी की लापरवाही नजर आएगी ओर वह है रओस आई ए एस संस्थान की , इस पूरे मामले पर दिल्ली पुलिस का क्या कहना है आइए सुनते है