धमकी से चुप्पी तक: क्यों पीछे हटा पाकिस्तान? जानिए 5 बड़े कारण2025 !

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By headlineslivenews.com

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धमकी से चुप्पी तक: भारत की एयर स्ट्राइक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया, लेकिन इसके बाद पाकिस्तान की प्रतिक्रिया ने सबको चौंका दिया है।

धमकी से चुप्पी तक: क्यों पीछे हटा पाकिस्तान? जानिए 5 बड़े कारण2025 !
धमकी से चुप्पी तक: क्यों पीछे हटा पाकिस्तान? जानिए 5 बड़े कारण2025 !

पहले पाकिस्तान की ओर से लगातार धमकियां दी जा रही थीं, लेकिन अब पाकिस्तान की स्थिति में अचानक बदलाव नजर आ रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुद यह स्वीकार किया कि पाकिस्तान अब कोई पलटवार नहीं करेगा। हालांकि, इस बदलाव के पीछे कई कारण हैं, जो पाकिस्तान की आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक हालत को बयां करते हैं। आइए जानते हैं वे 5 प्रमुख कारण, जिनकी वजह से पाकिस्तान अब भारत के खिलाफ कोई और कार्रवाई करने से बच रहा है।

धमकी से चुप्पी तक: भारत की सैन्य शक्ति के सामने पाकिस्तान की कमजोरी

पाकिस्तान ने हमेशा अपनी सैन्य ताकत का ढिंढोरा पीटा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान की सैन्य ताकत भारत के मुकाबले कहीं पीछे है। स्वीडन के प्रमुख थिंक टैंक, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 2024 में अपनी सेना पर 86.1 अरब डॉलर (करीब 7,32,453 करोड़ रुपये) खर्च किए, जबकि पाकिस्तान ने महज 10.2 अरब डॉलर (2,85,397 करोड़ पाकिस्तानी रुपये) खर्च किए। सैन्य खर्च के मामले में भारत पाकिस्तान से लगभग नौ गुना आगे है। इस भारी अंतर को देखते हुए पाकिस्तान के लिए भारत के खिलाफ किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई करना असंभव सा प्रतीत हो रहा है।

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आर्थिक संकट और जीडीपी का असमान अंतर

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गंभीर संकट व्याप्त है, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत होती जा रही है। विश्व अर्थशास्त्र के अनुसार, पाकिस्तान की जीडीपी 350 अरब डॉलर के करीब है, जबकि भारत की जीडीपी लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर (4000 अरब डॉलर) के करीब है। यह दर्शाता है कि आर्थिक मोर्चे पर दोनों देशों के बीच किसी भी प्रकार का मुकाबला असंभव है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि वहां महंगाई की दर बढ़ रही है, और लोग रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

पाकिस्तान के लिए यह स्थिति और भी बिगड़ सकती है, क्योंकि उसकी सरकार पर विदेशी कर्ज का बोझ बहुत अधिक है। पाकिस्तान का कुल बाहरी कर्ज उसकी जीडीपी के 42% के आसपास है, जबकि भारत इस मामले में कहीं बेहतर स्थिति में है। पाकिस्तान के पास वित्तीय संकट को दूर करने के लिए सीमित विकल्प हैं, और यह उसे किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई से दूर रखने में मदद कर रहा है।

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चीन से मदद की उम्मीदों का टूटना

पाकिस्तान ने हाल ही में चीन से आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन चीन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा था कि उन्होंने चीन से अपने स्वैप लाइन को 10 अरब डॉलर बढ़ाने की मांग की थी। यह स्वैप लाइन फिलहाल 30 अरब युआन है, और इसे 40 अरब युआन तक बढ़ाने की गुजारिश की गई थी। हालांकि, चीन इस मामले में चुप्पी साधे हुए है, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है।

पाकिस्तान की यह मदद न मिलने की स्थिति उसके लिए और भी ज्यादा घातक हो सकती है, क्योंकि पाकिस्तान को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की आवश्यकता है। चीन की चुप्पी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से मदद न मिल पाने के कारण पाकिस्तान की सैन्य और आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है, जो उसकी कड़ी प्रतिक्रिया की संभावना को कम कर रहा है।

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पाकिस्तान का शेयर बाजार बुरी तरह से गिरा

पाकिस्तान का शेयर बाजार भी इस समय बुरी हालत में है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान के शेयर बाजार पर गंभीर असर पड़ा है। पाकिस्तान के शेयर बाजार के हालात इस बात को बयां करते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति कितनी बिगड़ी हुई है। 22 अप्रैल से लेकर अब तक पाकिस्तान का शेयर बाजार 11,000 अंक गिर चुका है, और ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह और भी गिर गया है। पाकिस्तान का KSE-100 इंडेक्स 1,13,568.51 पर बंद हुआ था, लेकिन इसके बाद यह गिरकर 1,07,296 के स्तर तक पहुंच गया।

शेयर बाजार में यह गिरावट इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान के निवेशक और व्यापारिक समुदाय भारत के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई को लेकर चिंतित हैं। इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हुई है और वह किसी सैन्य संघर्ष को टालने की कोशिश कर रहा है।

आईएमएफ से मदद रुकने का डर

पाकिस्तान की सरकार को इस समय एक और बड़ा डर है, और वह है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाली मदद का रुक जाना। 9 मई को होने वाली IMF की बैठक में पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर की मदद मिलने पर फैसला होने वाला है। पाकिस्तान की सरकार को डर है कि अगर उसने भारत के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई की, तो यह मदद रुक सकती है, और देश का वित्तीय संकट और गहरा हो जाएगा। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि IMF की मदद से वह अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ा सकेगा, लेकिन अब उसे यह डर है कि उसकी सैन्य कार्रवाई इस मदद को प्रभावित कर सकती है।

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भारत की सैन्य ताकत के सामने पाकिस्तान की कमजोर स्थिति

ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को एक साफ संदेश दिया कि भारत अब अपनी सीमा पर चुप नहीं बैठेगा और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करेगा। पाकिस्तान की ओर से पहले जो धमकियां दी जा रही थीं, वे अब ठंडा पड़ती हुई नजर आ रही हैं, और इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं – भारत की सैन्य ताकत, पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति, चीन से मदद की उम्मीदों का टूटना, पाकिस्तान का गिरता शेयर बाजार और IMF से मदद के रुकने का डर।

ये सभी तत्व पाकिस्तान के लिए भारत के खिलाफ कोई और कार्रवाई करने की राह को और भी कठिन बना रहे हैं। अब पाकिस्तान की स्थिति ऐसी हो गई है कि उसे अपनी सुरक्षा और आर्थिक स्थिति को लेकर कहीं ज्यादा चिंता करने की जरूरत है, और यह उसके सैन्य निर्णयों को प्रभावित कर रहा है।


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