केरल के मलप्पुरम जिले की नीलांबुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
यह उपचुनाव पूर्व विधायक पी.वी. अनवर के इस्तीफे के बाद हो रहा है, जिन्होंने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होने के बाद पद से त्यागपत्र दे दिया था। इस उपचुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि टीएमसी की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है।
एलडीएफ ने एम. स्वराज को बनाया उम्मीदवार
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने नीलांबुर उपचुनाव के लिए पार्टी नेता एम. स्वराज को वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) का उम्मीदवार घोषित किया है। स्वराज पहले एर्नाकुलम जिले की त्रिपुनिथुरा विधानसभा सीट से 2016 से 2021 तक विधायक रह चुके हैं और वर्तमान में माकपा की राज्य समिति के सदस्य हैं। उनका मूल निवास नीलांबुर में ही है, जिससे उन्हें स्थानीय समर्थन मिलने की उम्मीद है।
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कांग्रेस ने आर्यादन शौकत को उतारा मैदान में
कांग्रेस पार्टी ने दिवंगत वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आर्यादन मोहम्मद के बेटे आर्यादन शौकत को नीलांबुर सीट से उम्मीदवार घोषित किया है। शौकत पहले नीलांबुर पंचायत अध्यक्ष और नगरपालिका अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत अपने पिता की कब्र पर श्रद्धांजलि अर्पित करके की और स्थानीय चर्चों, स्कूलों का दौरा किया।
टीएमसी की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं
टीएमसी के राज्य संयोजक पी.वी. अनवर ने उपचुनाव लड़ने को लेकर अभी कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की है। उन्होंने कहा कि कई नेता उन्हें इंतजार करने की सलाह दे रहे हैं, इसलिए उन्होंने फैसला एक दिन के लिए टाल दिया है। अनवर ने पहले विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन पर आरोप लगाया था कि वह यूडीएफ में उनके प्रवेश को रोकने के लिए गोपनीय एजेंडा चला रहे हैं।
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19 जून को मतदान सभी दलों ने तेज की प्रचार रणनीति
नीलांबुर उपचुनाव में एलडीएफ और यूडीएफ के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। एम. स्वराज के स्थानीय होने और उनके पिछले राजनीतिक अनुभव को देखते हुए एलडीएफ को उनसे काफी उम्मीदें हैं। वहीं, आर्यादन शौकत अपने पिता की राजनीतिक विरासत और स्थानीय विकास के मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में हैं। टीएमसी की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन अगर अनवर चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं, तो यह मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।
मतदान 19 जून को निर्धारित है, और सभी दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। यह उपचुनाव न केवल नीलांबुर विधानसभा क्षेत्र के लिए, बल्कि केरल की राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।