पार्थ चटर्जी केस: पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित स्कूल भर्ती घोटाले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई 2025 को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह सह-आरोपियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी के संबंध में दो सप्ताह के भीतर निर्णय ले।
यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) के तहत दर्ज है और सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी लंबित होने के कारण मुकदमे की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
1. पार्थ चटर्जी केस: सह-आरोपियों पर अभियोजन की मंजूरी दो सप्ताह में दें
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह पार्थ चटर्जी के सह-आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी के संबंध में दो सप्ताह के भीतर निर्णय ले। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस आदेश का उद्देश्य मुकदमे की प्रक्रिया को सुचारु बनाना है और यह गुण-दोष पर कोई राय नहीं है।
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2. मुकदमे की प्रगति में बाधा: सह-आरोपियों की मंजूरी लंबित
चटर्जी के वकील ने अदालत को बताया कि सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी लंबित होने के कारण मुकदमे की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि चटर्जी के खिलाफ मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है, लेकिन सह-आरोपियों के मामले में राज्य सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है, जिससे मुकदमे की प्रगति में बाधा आ रही है।
3. हाईकोर्ट का विभाजित निर्णय: जमानत याचिका पर असहमति
नवंबर 2024 में कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने पार्थ चटर्जी और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर विभाजित निर्णय दिया था। एक न्यायाधीश ने सभी आरोपियों को जमानत दी, जबकि दूसरे ने चटर्जी और चार अन्य अधिकारियों को जमानत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद मामला एकल न्यायाधीश के समक्ष आया, जिन्होंने चटर्जी और अन्य चार अधिकारियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।
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4. सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित: 17 जुलाई को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने चटर्जी की जमानत याचिका को सह-आरोपियों की याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध करते हुए 17 जुलाई 2025 तक स्थगित कर दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के संबंध में दो सप्ताह के भीतर निर्णय ले, ताकि मुकदमे की प्रक्रिया आगे बढ़ सके।
5. मामला: स्कूल भर्ती घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोप
पश्चिम बंगाल में स्कूल भर्ती घोटाले के तहत सहायक शिक्षकों की अवैध भर्ती के आरोपों में पार्थ चटर्जी और अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत मामले दर्ज हैं। चटर्जी को जुलाई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2024 में उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी थी, लेकिन PC Act के तहत CBI मामले में उनकी हिरासत जारी रही।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से स्पष्ट है कि न्यायालय मुकदमे की प्रक्रिया को शीघ्रता से आगे बढ़ाने के पक्ष में है और राज्य सरकार को सह-आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने के लिए बाध्य कर रहा है। यह निर्णय न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।