फिर से बेटी होने का डर: साउथ सिनेमा के मेगास्टार चिरंजीवी अपने एक हालिया बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं।
उन्होंने एक इवेंट के दौरान परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए पोते की इच्छा जाहिर की और यह भी कहा कि उन्हें डर है कि उनके बेटे राम चरण को फिर से बेटी हो सकती है। उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है और लोग इसे लैंगिक भेदभाव से जोड़कर देख रहे हैं।
फिर से बेटी होने का डर: चिरंजीवी के बयान पर विवाद क्यों?
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब चिरंजीवी ‘ब्रह्म आनंदम’ फिल्म की प्री-रिलीज़ इवेंट में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। वहां उन्होंने अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने की बात करते हुए कहा, “जब मैं घर पर होता हूं, तो ऐसा लगता है कि मैं लेडीज हॉस्टल का वार्डन हूं, क्योंकि चारों ओर महिलाएं ही महिलाएं हैं। मैं राम चरण से चाहता हूं कि इस बार बेटा हो, ताकि हमारी विरासत आगे बढ़ सके। लेकिन उसकी बेटी उसकी आंखों का तारा है… मुझे डर है कि कहीं उसे फिर से लड़की न हो जाए।”
उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर भूचाल ला दिया और कई यूजर्स ने उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया। लोगों का कहना है कि यह मानसिकता बताती है कि आज भी कुछ लोग बेटियों की तुलना में बेटों को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं।
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सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा
चिरंजीवी का यह बयान तेजी से वायरल हो गया और कई लोगों ने इसे महिला विरोधी करार दिया। एक यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा, “2025 में भी कुछ लोग बेटा पैदा करने के लिए इतने जुनूनी क्यों हैं? चिरंजीवी को डर है कि उनके बेटे को फिर से बेटी हो सकती है। यह निराशाजनक है लेकिन आश्चर्यजनक नहीं।”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “अगर कोई लड़की है, तो डरने की क्या बात है? बेटियां भी विरासत आगे बढ़ा सकती हैं, बल्कि कई मामलों में बेटों से भी बेहतर तरीके से। यह सोच हमें पीछे ले जाती है और गलत संदेश देती है।”
वहीं, एक तीसरे यूजर ने लिखा, “प्रिय चिरंजीवी गारू, एक अभिनेता के तौर पर मैं आपका सम्मान करता हूं, लेकिन आपके इस बयान को लेकर मैं स्पष्टीकरण चाहता हूं। क्या आप यह कहना चाहते हैं कि विरासत केवल पुरुष बच्चे के माध्यम से ही आगे बढ़ सकती है? क्या आप अपने बेटे और बहू के फिर से लड़की होने की संभावना से असहज हैं?”
क्या यह सिर्फ एक मजाक था?
कई लोगों ने यह भी तर्क दिया कि चिरंजीवी का यह बयान संभवतः मजाक के रूप में दिया गया था, लेकिन इसका असर गंभीर हुआ। फिल्म इंडस्ट्री में कई बड़े सितारे मंच पर हल्के-फुल्के अंदाज में बातें करते हैं, लेकिन जब कोई बयान समाज की रूढ़िवादी सोच को दर्शाने लगे, तो उसकी आलोचना लाजमी हो जाती है।
बेटियों को लेकर चिरंजीवी का पिछला नजरिया
गौरतलब है कि जब राम चरण और उनकी पत्नी उपासना कोनिडेला को 20 जून 2023 को बेटी हुई थी, तो चिरंजीवी ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था, “स्वागत है, लिटिल मेगा प्रिंसेस! आपने अपने आने से लाखों लोगों के मेगा परिवार में खुशियां फैला दी हैं, जैसे आपने धन्य माता-पिता राम चरण, उपासना और हम दादा-दादी को खुश और गौरवान्वित किया है!!”
तब उनके इस संदेश की खूब तारीफ हुई थी, लेकिन अब उनके हालिया बयान के बाद लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर उनके मन में बेटे और बेटी को लेकर यह फर्क क्यों?
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क्या बेटियां परिवार की विरासत नहीं संभाल सकतीं?
चिरंजीवी के परिवार की बात करें तो उनके तीन बच्चे हैं—बेटा राम चरण और दो बेटियां, श्रीजा कोनिडेला और सुष्मिता कोनिडेला। श्रीजा की दो बेटियां हैं, नविष्का और निवरती, जबकि सुष्मिता की भी दो बेटियां हैं, समारा और संहिता। परिवार में सबसे छोटी राम चरण और उपासना की बेटी क्लिन कारा हैं, जो चिरंजीवी की पोती हैं।
उनका यह कहना कि घर पर लड़कियां ज्यादा होने से उन्हें “लेडीज हॉस्टल” जैसा महसूस होता है, इस ओर भी इशारा करता है कि वे अपने परिवार में किसी लड़के की कमी महसूस कर रहे हैं। हालांकि, यह बयान महिलाओं और बेटियों को लेकर उनकी सोच पर भी सवाल खड़ा करता है।
लैंगिक भेदभाव पर बहस
चिरंजीवी का बयान इस बड़ी बहस का हिस्सा बन गया है कि क्या अब भी समाज में बेटों को बेटियों से ज्यादा अहमियत दी जाती है। हालांकि, समय के साथ लोगों की सोच बदल रही है और बेटियां हर क्षेत्र में बेटों के बराबर या उनसे भी बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन जब समाज के प्रभावशाली लोग इस तरह की बातें करते हैं, तो यह संकेत देता है कि अभी भी मानसिकता में बदलाव की जरूरत है।
क्या चिरंजीवी को माफी मांगनी चाहिए?
अब सवाल यह उठता है कि क्या चिरंजीवी को अपने इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए? कई लोगों का मानना है कि उन्हें अपने बयान पर स्पष्टीकरण देना चाहिए, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें माफी मांगकर इस विवाद को समाप्त कर देना चाहिए।
बहरहाल, यह मामला सिर्फ चिरंजीवी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे समाज की सोच को दर्शाता है। यह बहस जरूरी है ताकि हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ सकें जहां बेटियों और बेटों में कोई फर्क न किया जाए और दोनों को समान अवसर दिए जाएं।