बिलासपुर रेलवे घोटाला: भारतीय रेलवे में भ्रष्टाचार को लेकर एक बार फिर से गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे (SECR) बिलासपुर के चीफ इंजीनियर विशाल आनंद समेत उनके परिवार के सदस्य और एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के शीर्ष अधिकारी शामिल पाए गए हैं। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में कुल सात नामजद लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है और जांच तेज़ कर दी गई है।
बिलासपुर रेलवे घोटाला: रिश्वत लेते हुए इंजीनियर का पूरा परिवार गिरफ्तार
यह मामला तब सामने आया जब सीबीआई को सूचना मिली कि साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे में निर्माण कार्यों का ठेका दिलाने और उसके एवज में बिल भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए भारी मात्रा में रिश्वत ली जा रही है। यह रिश्वत रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों और निर्माण कंपनी के बीच लेन-देन के रूप में हो रही थी। इस घोटाले में रांची स्थित हटिया से 32 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए CBI ने चार लोगों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार किए गए लोगों में मुख्य अभियंता विशाल आनंद के अलावा उनके पिता आनंद कुमार झा और भाई कुणाल आनंद भी शामिल हैं। सीबीआई की टीम ने इनकी निशानदेही पर रांची, बिलासपुर और छत्तीसगढ़ के कई स्थानों पर छापेमारी की और बड़ी मात्रा में लेन-देन से जुड़े दस्तावेज जब्त किए।
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इंजीनियर के पिता और भाई ने उठाया रिश्वत की राशि
मामले की पड़ताल में सामने आया कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित झाझरिया निर्माण लिमिटेड नाम की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी ने रेलवे में पुल, ओवरब्रिज, अंडरब्रिज और ट्रैक लाइनिंग जैसे कई कार्य किए थे। कंपनी को यह ठेका दिलाने और संबंधित बिलों के भुगतान के लिए कथित तौर पर कमीशन देना पड़ता था। इस कमीशन की रकम संबंधित रेलवे अधिकारी के परिजनों के माध्यम से ली जाती थी ताकि सीधे तौर पर रिश्वत के लेन-देन को साबित करना कठिन हो।
CBI की रिपोर्ट के अनुसार, 21 अप्रैल को झाझरिया निर्माण लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सुशील झाझरिया की मुख्य अभियंता विशाल आनंद से बिलासपुर में बैठक हुई थी। इस बैठक में सभी पुराने लंबित भुगतान मामलों पर चर्चा हुई थी। बैठक के बाद सुशील झाझरिया ने अपने बेटे विनाप झाझरिया को कहा कि विशाल आनंद से सभी बातें तय हो गई हैं। इसके बाद उन्होंने अपने कर्मचारी मनोज पाठक को 32 लाख रुपये विशाल आनंद के रिश्तेदारों को रांची में पहुंचाने का निर्देश दिया।
विशाल आनंद ने भी अपने भाई कुणाल आनंद को निर्देशित किया कि वह 25 अप्रैल को रांची के हटिया में मनोज पाठक से 32 लाख रुपये ले ले। इसी सूचना के आधार पर सीबीआई ने जाल बिछाया और जब मनोज पाठक, कुणाल आनंद और आनंद कुमार झा आपस में पैसे का लेन-देन कर रहे थे, तभी उन्हें रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद सीबीआई ने मुख्य अभियंता विशाल आनंद को भी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से गिरफ्तार किया।
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इंजीनियर समेत आठ पर नामजद FIR
CBI की टीम ने इस रिश्वतकांड में शामिल अन्य लोगों की भी पहचान कर ली है। इनके नाम हैं:
- विशाल आनंद – मुख्य अभियंता, साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे, बिलासपुर
- सुशील झाझरिया उर्फ शील झाझरिया – प्रबंध निदेशक, झाझरिया निर्माण लिमिटेड
- सारांश झाझरिया – निदेशक, झाझरिया निर्माण लिमिटेड
- विनाप झाझरिया – निदेशक, झाझरिया निर्माण लिमिटेड
- मनोज पाठक – कर्मचारी, झाझरिया निर्माण लिमिटेड
- आनंद कुमार झा – पिता, विशाल आनंद
- कुणाल आनंद – भाई, विशाल आनंद
- झाझरिया निर्माण लिमिटेड (कंपनी के रूप में)
CBI अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अब तक कुल कितनी बार रिश्वत का लेन-देन हुआ और इस पैसे का उपयोग कहां किया गया। इस सिलसिले में चीफ इंजीनियर विशाल आनंद और उनके परिजनों के बैंक खातों, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, जमीन-जायदाद, फ्लैट और दुकानों की जांच की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि परिवार के पास कई शहरों में फ्लैट और दुकानें हैं, जिनकी वैधता पर अब सवाल खड़े हो गए हैं। CBI यह भी पता लगा रही है कि इन संपत्तियों की खरीद किस फंड से की गई, और क्या ये रिश्वत की रकम से खरीदी गई थीं। एजेंसी के अधिकारी यह भी जांच कर रहे हैं कि कहीं इन संपत्तियों को अन्य रिश्तेदारों या परिचितों के नाम पर तो नहीं खरीदा गया।
कई बड़े अधिकारियों पर गिर सकती है गाज
इस हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार कांड ने रेलवे प्रशासन में हलचल मचा दी है। रेलवे बोर्ड ने भी इस पर गंभीरता दिखाई है और CBI को जांच में पूरा सहयोग देने का भरोसा दिलाया है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर जांच में और भी अधिकारियों की संलिप्तता पाई जाती है तो उनके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।
CBI के एक अधिकारी ने बताया कि यह सिर्फ एक मामला नहीं बल्कि एक व्यापक नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है, जिसमें रेलवे के ठेके और भुगतान प्रक्रिया के नाम पर सालों से भ्रष्टाचार चल रहा हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस प्रकार के मामलों की निष्पक्ष जांच की जाए तो रेलवे जैसे बड़े विभाग में फैले भ्रष्टाचार की जड़ें सामने लाई जा सकती हैं।
फिलहाल विशाल आनंद और अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और अदालत में मामले की सुनवाई आगे जारी है। सीबीआई ने अदालत से अनुरोध किया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी आरोपियों की संपत्ति को फ्रीज किया जाए ताकि कोई सबूत मिटाया न जा सके।
इस पूरे मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत में भ्रष्टाचार अब भी एक गहरी समस्या है और जब तक बड़े पदों पर बैठे लोग कानून के शिकंजे में नहीं आएंगे, तब तक ईमानदारी की उम्मीद करना व्यर्थ होगा। हालांकि, सीबीआई की इस कार्रवाई से एक उम्मीद जरूर जगी है कि कानून के हाथ कितने भी ताकतवर के खिलाफ क्यों न हों, पहुंच सकते हैं।