बैजनाथ धाम: बिहार के कैमूर जिले में स्थित बैजनाथ धाम को ‘बिहार का खजुराहो’ कहा जाता है। यह स्थान अपनी अनोखी और अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जो खजुराहो के मंदिरों से मिलती-जुलती है। पुरातत्व विभाग के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 500 ईसा पूर्व पाषाण काल में किया गया था। यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो कई रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए है। बैजनाथ धाम में भगवान शिव का एक अद्वितीय शिवलिंग स्थापित है, जिसकी ऊंचाई 82 फीट है और यह जमीन के अंदर स्थित है।
इस शिवलिंग का महत्व और इसकी विशालता इस स्थान को और भी खास बनाती है। भगवान ब्रह्मा जी की मूर्ति, जो राजस्थान के पुष्कर के बाद केवल कैमूर के बैजनाथ में खुदाई में मिली है, इस मंदिर की विशिष्टता को और बढ़ाती है।
बैजनाथ धाम: बिहार का खजुराहो: बैजनाथ धाम की ऐतिहासिक और वास्तुकला की विशेषता
इस क्षेत्र में आज भी जब घरों की नींव की खुदाई की जाती है, तो अनेकों मूर्तियां निकलती हैं। यह बताता है कि यह स्थान प्राचीन काल से ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा है। बैजनाथ धाम के मंदिर की मूर्तियां और शिल्पकारी खजुराहो की मूर्तियों से बहुत मिलती-जुलती हैं, जिससे इसे ‘बिहार का खजुराहो’ कहा जाता है। मंदिर के आसपास का क्षेत्र भी बेहद खूबसूरत और शांतिपूर्ण है। यहाँ के प्राकृतिक दृश्य और ऐतिहासिक धरोहर पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। बैजनाथ धाम की इस अद्वितीयता के कारण, यह स्थान न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
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बैजनाथ धाम का महत्व केवल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि यहां की कला और संस्कृति से भी है। मंदिर की मूर्तियों और शिल्पकारी में अद्वितीय कला का प्रदर्शन होता है, जो प्राचीन भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला की उत्कृष्टता को दर्शाता है। यह स्थान इतिहास, संस्कृति और धर्म का संगम है, जो इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाता है। इस प्रकार, बैजनाथ धाम न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति की अमूल्य धरोहर भी है।
इसकी अनोखी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण, यह स्थान हमेशा से ही श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। यहाँ आकर लोग न केवल धार्मिक शांति का अनुभव करते हैं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की समृद्धि को भी महसूस करते हैं।
बैजनाथ धाम: भगवान शिव का 82 फीट ऊंचा शिवलिंग
बैजनाथ धाम में भगवान शिव का 82 फीट ऊंचा शिवलिंग जमीन के अंदर स्थित है, जो इस स्थान की विशेषता को और बढ़ाता है। इसके अलावा, भगवान ब्रह्मा जी की मूर्ति, जो राजस्थान के पुष्कर के बाद केवल कैमूर के बैजनाथ में खुदाई में मिली है, इस मंदिर की विशिष्टता को और भी महत्वपूर्ण बनाती है। सावन के महीने में, बैजनाथ धाम में जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश और झारखंड से भी लोग इस धाम की यात्रा करते हैं।
झारखंड के बाबा बैद्यनाथ धाम की प्रसिद्धि तो सभी जानते हैं, लेकिन बिहार के कैमूर जिले में स्थित इस बैजनाथ धाम का अपना एक विशेष स्थान है। यहां पूरे सावन माह में बड़े पैमाने पर मेला लगता है, खासकर सोमवार के दिन, जब हजारों की संख्या में कांवरिए उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, बलिया और अन्य जिलों से जल भरकर बैजनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने आते हैं।
कैमूर जिले के रामगढ़ प्रखंड स्थित बैजनाथ मंदिर खजुराहो मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। यहां मंदिर में रखी मूर्तियां मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर में रखी मूर्तियों जैसी दिखाई देती हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसके आठ कोणों पर मंदिर के गर्भ गृह से आठ गुफाओं का रास्ता जाता है। इस प्रकार की संरचना इस मंदिर को अद्वितीय बनाती है।
बैजनाथ धाम: मंदिर की मूर्तियों की विशेषता
मंदिर के भीतर किन्नर और गंधर्व की आकर्षक मूर्तियां बनी हुई हैं। अष्टकोणीय इस मंदिर के चारों कोनों पर भी ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र और ध्रुव कुंड स्थापित हैं। बच्चों को स्तनपान कराती माता की प्रतिमा का चित्रण काफी संजीव लगता है। मंदिर के गर्भ गृह में मैथुनरत अप्सराओं की कलाकृतियां बनी हुई हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में स्थापित बैजनाथ धाम के शिवलिंग की आभा अद्भुत है। काले पत्थर से बने इस शिवलिंग के प्रति श्रद्धालु सहज ही आकर्षित हो जाते हैं।
यहां के लोगों का कहना है कि महादेव के त्रिशूल पर बसा हुआ है बैजनाथ धाम। पुरातत्व विभाग के अनुसार, यह मंदिर 500 ईसा पूर्व पाषाण काल में बनाया गया था। देश में भगवान ब्रह्मा जी की मूर्ति राजस्थान के पुष्कर के बाद केवल कैमूर के बैजनाथ में खुदाई में निकली है। यह तथ्य इस मंदिर की ऐतिहासिक महत्व को और भी बढ़ाता है।
यह पूरा गांव ही मूर्तियों के ऊपर बसा हुआ है। आज भी गांव में घरों की नींव की खुदाई के दौरान अनेकों मूर्तियां निकलती हैं। यह मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पुरातात्विक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। बैजनाथ धाम का यह अनूठा मंदिर न केवल भक्तों के लिए एक तीर्थ स्थल है, बल्कि इतिहास और कला प्रेमियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है।
बैजनाथ धाम: बैजनाथ धाम का धार्मिक महत्व
इस मंदिर का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। श्रद्धालु यहां भगवान शिव की पूजा करने और उनके दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। बैजनाथ धाम की पवित्रता और यहां की अद्वितीय मूर्तियों के कारण यह स्थान लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। बैजनाथ धाम की स्थापत्य कला भी अद्वितीय है। मंदिर की संरचना और यहां की मूर्तियों की बनावट खजुराहो मंदिर की याद दिलाती हैं। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और इसकी सुंदरता और भव्यता को देखने के लिए लोग यहां आते हैं।
बैजनाथ धाम का यह अनूठा मंदिर न केवल भक्तों के लिए एक तीर्थ स्थल है, बल्कि इतिहास और कला प्रेमियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी अद्वितीय स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व इसे एक विशेष स्थान बनाते हैं। बिहार के इस खजुराहो को देखना एक अद्वितीय अनुभव है और यह स्थान निश्चित रूप से एक बार देखने लायक है।
बैजनाथ धाम: रहस्यमयी गुफाएं और सीढ़ियां
जानकार बताते हैं कि मंदिर के पिछले हिस्से में एक तालाब है, जहां से मंदिर के गर्भगृह से सीढ़ियां गई हुई हैं। इस रहस्यमयी रास्ते को खोजने का प्रयास किया गया था, लेकिन आधे रास्ते के बाद गहरा अंधकार होने के कारण उस रास्ते को बंद कर दिया गया। यह अज्ञात और अंधकारमय रास्ता मंदिर की रहस्यमयी प्रकृति को और भी बढ़ाता है। मंदिर के दक्षिण दिशा में एक गुफा है, जिसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से बंद कर दिया गया है।
कई वर्ष पहले इस गुफा को खोला गया था, लेकिन वहां से विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और धुंआ निकलने लगा, जिसके बाद पत्थर से गुफा को बंद कर दिया गया। यह गुफा और उसमें से निकलने वाले जीव-जंतु और धुंआ इस स्थान को और भी रहस्यमयी बनाते हैं।