युवराज सिंह कैंसर संघर्ष: कैंसर से जंग जीतकर टीम को बनाया चैंपियन: योगराज सिंह का युवराज पर गर्व

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By headlineslivenews.com

युवराज सिंह कैंसर संघर्ष: कैंसर से जंग जीतकर टीम को बनाया चैंपियन: योगराज सिंह का युवराज पर गर्व

युवराज सिंह कैंसर संघर्ष: पूर्व क्रिकेटर और कोच योगराज सिंह ने हाल ही में अपने बेटे युवराज सिंह के असाधारण क्रिकेट करियर और

युवराज सिंह कैंसर संघर्ष

युवराज सिंह कैंसर संघर्ष: पूर्व क्रिकेटर और कोच योगराज सिंह ने हाल ही में अपने बेटे युवराज सिंह के असाधारण क्रिकेट करियर और देश के लिए उनके योगदान के लिए भारत रत्न की मांग की है। योगराज सिंह ने कहा कि युवराज ने न केवल मैदान पर बल्कि जिंदगी की सबसे बड़ी जंग कैंसर को भी मात दी और इसके बावजूद भारत को 2011 में विश्व कप जिताया। योगराज ने युवराज के इस साहसिक संघर्ष और उनके अद्वितीय प्रदर्शन को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजने की बात कही।

युवराज सिंह कैंसर संघर्ष

योगराज सिंह ने महेंद्र सिंह धोनी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि धोनी के निर्णयों के कारण युवराज का करियर समय से पहले समाप्त हो गया। उनके अनुसार, धोनी के नेतृत्व में युवराज को वह समर्थन और अवसर नहीं मिले, जो उन्हें मिलना चाहिए था। उन्होंने कहा कि युवराज में अभी भी चार से पांच साल तक और खेलने की क्षमता थी, लेकिन उनके करियर को उचित सम्मान नहीं दिया गया।

योगराज का मानना है कि अगर युवराज को सही समय पर सही मौके दिए जाते, तो वह और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकते थे। उन्होंने युवराज के संघर्ष और योगदान को देश के लिए एक प्रेरणा बताया और कहा कि ऐसे खिलाड़ियों को उचित सम्मान मिलना चाहिए।

युवराज सिंह कैंसर संघर्ष: युवराज सिंह के संघर्षों पर गर्व

योगराज सिंह, पूर्व क्रिकेटर और कोच, अक्सर अपने बेटे युवराज सिंह के अद्वितीय क्रिकेट करियर और संघर्षों को लेकर गर्व महसूस करते हैं। उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में युवराज के कैंसर से जूझने और देश के लिए खेलने की उनकी अद्वितीय क्षमता को सराहा। योगराज ने कहा कि युवराज ने भारत के लिए जो किया, वह अविस्मरणीय है, और उनके योगदान को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।

योगराज सिंह ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि धोनी ने जानबूझकर युवराज सिंह के करियर को प्रभावित किया। उन्होंने धोनी के फैसलों की आलोचना करते हुए कहा कि युवराज को वह मौके नहीं दिए गए, जिनके वे हकदार थे। योगराज का मानना है कि धोनी के कारण युवराज का करियर चार साल पहले ही समाप्त हो गया, जबकि वह और खेल सकते थे।

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युवराज सिंह कैंसर संघर्ष: धोनी को माफ नहीं कर सकते योगराज

योगराज सिंह ने खुले तौर पर कहा कि वह धोनी को कभी माफ नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि धोनी एक महान क्रिकेटर हैं और वह उनकी खेल की काबिलियत का सम्मान करते हैं, लेकिन बतौर इंसान, धोनी ने युवराज के साथ जो किया, वह अक्षम्य है। योगराज ने धोनी पर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें अपने कृत्यों पर पछतावा होना चाहिए।

योगराज सिंह ने अपने इंटरव्यू में युवराज सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि युवराज ने न केवल देश के लिए, बल्कि अपने जीवन के सबसे कठिन समय में भी खेला और भारत को 2011 में विश्व कप जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इस बलिदान और योगदान को देखते हुए, योगराज का मानना है कि युवराज को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जाना चाहिए।

युवराज सिंह कैंसर संघर्ष: अन्य क्रिकेटरों की भी सराहना

योगराज सिंह ने गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग जैसे पूर्व क्रिकेटरों के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने भी युवराज सिंह की महानता को स्वीकार किया है। गंभीर और सहवाग ने माना है कि युवराज जैसा दूसरा खिलाड़ी कभी नहीं होगा। योगराज का मानना है कि युवराज का क्रिकेट के प्रति समर्पण और उनकी उपलब्धियां भारत रत्न के योग्य हैं।

युवराज सिंह का करियर, उनके खेल के साथ-साथ उनके जीवन के संघर्षों के लिए भी जाना जाएगा। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझते हुए उन्होंने न केवल भारतीय टीम में जगह बनाई, बल्कि 2011 में टीम को विश्व कप जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। योगराज सिंह का यह बयान उनके बेटे के प्रति गर्व और सम्मान को दर्शाता है, जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

युवराज सिंह कैंसर संघर्ष: कैंसर से जूझते हुए युवराज का विश्व कप प्रदर्शन

2011 के विश्व कप के दौरान, युवराज सिंह ने जिस समर्पण और दृढ़ता का प्रदर्शन किया, वह अद्वितीय था। कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझते हुए भी युवराज ने अपनी टीम के लिए न केवल खेलना जारी रखा, बल्कि वह टूर्नामेंट के ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ भी बने। उनके प्रदर्शन ने न केवल भारतीय क्रिकेट को गौरवान्वित किया, बल्कि उनकी कहानी ने लाखों लोगों को प्रेरित भी किया। 2011 के इस विश्व कप में युवराज सिंह ने गेंद और बल्ले दोनों से शानदार प्रदर्शन किया, जिससे भारत को विश्व विजेता बनने में मदद मिली।

कैंसर के खिलाफ लड़ाई जीतने के बाद, युवराज सिंह ने सितंबर 2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की। उनकी वापसी किसी प्रेरणा से कम नहीं थी, क्योंकि वह अपनी बीमारी के दौरान भी खेलते रहे और फिर से टीम में अपनी जगह बनाई। हालांकि, वापसी के बाद युवराज का प्रदर्शन पहले जैसा नहीं रहा, लेकिन उनकी लड़ाई और क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण किसी भी सम्मान से कम नहीं था।

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युवराज सिंह कैंसर संघर्ष: धोनी के साथ संबंध और करियर पर प्रभाव

युवराज सिंह ने खुद एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि महेंद्र सिंह धोनी के साथ उनके कभी करीबी संबंध नहीं रहे। रणवीर अल्लाहबादिया के पॉडकास्ट पर बात करते हुए युवराज ने बताया कि वे सिर्फ क्रिकेट की वजह से दोस्त थे, लेकिन उनकी जीवनशैली और सोच अलग-अलग होने के कारण वे कभी भी करीबी मित्र नहीं बन पाए। यह भी दिलचस्प है कि दोनों खिलाड़ियों ने भारत के लिए 273 मैच साथ खेले। 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में युवराज के एक ओवर में छह छक्के जड़ने के समय और 2011 के वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में धोनी के ऐतिहासिक छक्के के समय भी युवराज दूसरे छोर पर थे।

2011 के विश्व कप के बाद, युवराज का प्रदर्शन अस्थिर रहा। कैंसर से उबरने के बाद भी वे अपने पुराने फॉर्म को पुनः प्राप्त नहीं कर पाए। इसका नतीजा यह हुआ कि 2014 के टी20 वर्ल्ड कप और 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी के बाद उन्हें भारतीय टीम में जगह नहीं मिली। यहां तक कि 2015 के वनडे वर्ल्ड कप के लिए भी उन्हें टीम में नहीं चुना गया, जिसकी कप्तानी धोनी के हाथों में थी। इस चयन के बाद युवराज के पिता योगराज सिंह ने धोनी की आलोचना की थी और उन्हें युवराज के करियर को प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया था।

युवराज सिंह कैंसर संघर्ष: आईपीएल और अंतरराष्ट्रीय संन्यास

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भारतीय टीम से बाहर होने के बाद भी युवराज सिंह ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलना जारी रखा। हालांकि, वे अपनी पुरानी सफलता को दोहरा नहीं पाए और उनका प्रदर्शन आईपीएल में भी निरंतरता नहीं रख सका। अंततः, जून 2019 में युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, जिससे उनके शानदार करियर का अंत हो गया। युवराज के संन्यास ने उनके लाखों प्रशंसकों के दिलों में एक खालीपन छोड़ दिया, जो उनके अद्वितीय खेल कौशल और साहस की सराहना करते थे।

युवराज सिंह के संन्यास के एक साल बाद, न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद, महेंद्र सिंह धोनी ने भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। दोनों खिलाड़ियों का भारतीय क्रिकेट में योगदान अमूल्य है। जहां युवराज सिंह ने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी और गेंदबाजी से टीम को कई मैच जिताए, वहीं धोनी ने अपनी कप्तानी और विकेटकीपिंग से भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। दोनों की कहानियां भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा याद रखी जाएंगी।