राजस्थान कांग्रेस में दरार? राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस की ‘जयहिंद रैली’ ने एक बार फिर पार्टी के भीतर की खींचतान को उजागर कर दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बायतु विधायक हरीश चौधरी के बीच बढ़ती दूरियां इस रैली में साफ नजर आईं। जहां एक ओर मंच पर दोनों नेता एक साथ मौजूद थे, वहीं उनके बीच संवादहीनता और परस्पर दूरी ने राजनीतिक गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
1. रैली में दिखी गहलोत और हरीश चौधरी के बीच दूरी
बाड़मेर में आयोजित ‘जयहिंद रैली’ में अशोक गहलोत और हरीश चौधरी दोनों मंच पर उपस्थित थे, लेकिन दोनों के बीच कोई संवाद नहीं हुआ। पूर्व में जहां दोनों नेता एक-दूसरे के पास बैठते और चर्चा करते थे, इस बार वे अलग-अलग बैठे और आपस में बातचीत नहीं की। यह दूरी राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चर्चा का विषय बन गई है।
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2. निष्कासित नेताओं को लेकर मतभेद
रैली में हरीश चौधरी ने अपने भाषण में पार्टी से निष्कासित नेताओं का नाम लिए बिना कहा कि “चरित्रहीन और पार्टी विरोधी लोगों का निष्कासन का निर्णय एकदम सही था।” वहीं, अशोक गहलोत ने अपने संबोधन में अमीनखां को “इलाके का बड़ा आदमी” बताते हुए उनके महत्व को रेखांकित किया। यह स्पष्ट करता है कि दोनों नेताओं के बीच निष्कासित नेताओं की वापसी को लेकर मतभेद हैं।
3. अमीनखां और मेवाराम जैन की वापसी की कोशिशें
निष्कासित नेता अमीनखां और मेवाराम जैन रैली में अपने समर्थकों के साथ उपस्थित थे और पार्टी में वापसी की कोशिशें कर रहे हैं। हालांकि, नेताओं ने रैली स्थल पर पहुंचने के लिए रास्ता बदल दिया, जिससे समर्थकों में नाराजगी देखी गई। वापसी में नेताओं ने उत्तरलाई में अमीनखां और मेवाराम जैन से मुलाकात की, जहां अमीनखां ने अपनी नाराजगी जाहिर की।
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4. सचिन पायलट के प्रति झुकाव
रैली में हरीश चौधरी, हेमाराम चौधरी और सचिन पायलट पास में बैठे और आपस में घुले-मिले हुए थे, जबकि अशोक गहलोत प्रतिपक्ष नेता टीकाराम जूली के पास बैठे थे। यह दर्शाता है कि हरीश चौधरी का झुकाव सचिन पायलट की ओर है, जो पार्टी में नेतृत्व को लेकर एक संकेत माना जा सकता है।
5. सेना के सम्मान में आयोजित रैली
‘जयहिंद रैली’ का मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना के सम्मान में जन समर्थन जुटाना था। रैली में वीरांगनाओं का सम्मान किया गया और नेताओं ने सेना के पराक्रम की सराहना की। सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने कहा कि “सेना के पराक्रम पर हमें गर्व है।” वहीं, हरीश चौधरी ने केंद्र सरकार पर बॉर्डर क्षेत्र में विकास कार्यों की अनदेखी का आरोप लगाया।
निष्कासित नेताओं की वापसी पर कांग्रेस में मतभेद तेज
‘जयहिंद रैली’ ने जहां एक ओर भारतीय सेना के प्रति सम्मान प्रकट किया, वहीं कांग्रेस पार्टी के भीतर के मतभेदों को भी उजागर कर दिया। अशोक गहलोत और हरीश चौधरी के बीच की दूरी, निष्कासित नेताओं की वापसी को लेकर मतभेद और सचिन पायलट के प्रति झुकाव ने पार्टी के अंदरूनी हालात को स्पष्ट कर दिया है। आगामी चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने आंतरिक मतभेदों को सुलझाकर एकजुटता प्रदर्शित करे, ताकि जनता का विश्वास जीत सके।