रामनवमी पर पुरुषोत्तम की गूंज: नई दिल्ली, 7 अप्रैल – रामनवमी के पावन अवसर पर देशभर में भक्ति, संस्कृति और साहित्य का अद्भुत संगम देखने को मिला।
इसी कड़ी में श्री रामलीला कमिटी इंद्रप्रस्थ द्वारा दिल्ली के आई.पी. एक्सटेंशन स्थित आईपेक्स भवन में आयोजित संगीतमय काव्य संध्या ‘पुरुषोत्तम’ ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इस विशेष अवसर पर प्रतिष्ठित युवा कवि चिराग जैन ने अपने महाकाव्य ‘पुरुषोत्तम’ के अंतर्गत अयोध्या कांड के तीन प्रमुख प्रसंगों का भावपूर्ण और संगीतमय पाठ किया – राम वन गमन, भरत–कैकेयी संवाद, और राम–भरत मिलाप।
रामनवमी पर पुरुषोत्तम की गूंज: कविता और संगीत का अद्वितीय संगम
कार्यक्रम का आरंभ शाम 6:30 बजे हुआ। मंच पर जब चिराग जैन ने अपनी प्रस्तुति शुरू की, तो श्रोताओं की सांसें थम गईं। कविता में संगीत की मधुरता, भावनाओं की गहराई और शुद्ध हिंदी की मिठास ने दर्शकों को बांधे रखा। जब उन्होंने भरत और राम के मिलन का मार्मिक चित्र खींचा:
“स्वर दौड़ा, दृष्टि अलग दौड़ी, धड़कन भागी, रुक गये भरतअपना पूरा आचरण लिये, दो चरणों में झुक गये भरतपैरों से जा लिपटा भाई, लगता था चुम्बक हुए रामपीछे काया का स्पर्श हुआ, पहले आँसू ने छुए राम”
तो पूरा सभागार भावनाओं से सराबोर हो गया। न केवल आँखें भीगीं, बल्कि “जय श्रीराम” के उद्घोष से माहौल गूंज उठा।
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भरत-कैकेयी संवाद: संवेदनाओं का तूफान
चिराग जैन ने कैकेयी और भरत संवाद को भी प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। कैकेयी की ओर से जब ये पंक्तियाँ पढ़ीं:
“राजा पर थे दो वर उधार, अवसर पर मांग लिए मैंनेमेरा बेटा युवराज बने, यह इच्छा तो अपराध नहीं”
तो उसी के उत्तर में भरत के तीखे शब्दों ने दर्शकों के हृदय को झकझोर दिया:
“पति को खाकर आनंदित है, रत्ती भर पश्चाताप नहींचरणामृत में विष घोला है, निज जिह्वा से नागिन तूनेचाहता हूँ उसका वध कर दूँ, जिसने यह अत्याचार कियापर राम त्याग देंगे मुझको, यदि मैंने तुझको मार दिया”
इस संवाद ने सभागार में मौन और संवेदना की ऐसी लहर दौड़ा दी जिसे शब्दों में व्यक्त कर पाना कठिन है।
श्रीराम के आदर्शों की जीवंत प्रस्तुति
कवि चिराग जैन की कविताएं सिर्फ कविता नहीं थीं – वे एक संवेदनात्मक यात्रा थीं, जो रामकथा को नये दृष्टिकोण से समझने और अनुभव करने का अवसर दे रही थीं। राम का आदर्श, भरत की भक्ति, कैकेयी की पीड़ा और वनगमन की त्रासदी – सब कुछ मानो आंखों के सामने सजीव हो उठा।
प्रमुख अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे – पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल, पूर्व विधायक नसीब सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समन्वयक दयानंद जी, और विधायक संजय गोयल प्रमुख रूप से शामिल हुए।
राम दरबार की स्थापना के साथ श्रीरामचंद्रजी का विधिवत पूजन किया गया। संस्था के अध्यक्ष सुरेश बिंदल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “इंद्रप्रस्थ की रामलीला न केवल दिल्ली में प्रसिद्ध है बल्कि हम हर वर्ष इसमें कुछ नया जोड़कर रामकथा को आधुनिक संदर्भों में प्रस्तुत करते हैं।”
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रामलीला कमिटी की विशेष भूमिका
कार्यक्रम के आयोजन में श्रीरामलीला कमेटी इंद्रप्रस्थ के सभी सदस्यों का विशेष योगदान रहा। अध्यक्ष सुरेश बिंदल, चेयरमैन दिलीप बिंदल, महामंत्री नितिन गर्ग, संयोजक सत्येंद्र अग्रवाल, मुख्य संयोजक अश्विनी वत्ता, संरक्षक तरुण गुप्ता, वाइस चेयरमैन अरुण गुप्ता व अमित गोयल, कार्यकारी अध्यक्ष योगेंद्र बंसल आदि ने अपने सहयोग से आयोजन को भव्य और सफल बनाया।
कार्यक्रम का संचालन और समापन
मुंबई से आए बॉलीवुड लेखक प्रबुद्ध सौरभ ने कार्यक्रम का संचालन अत्यंत संजीदगी से किया। संगीत टीम ने कवि की प्रस्तुति को प्रभावशाली बनाने में अहम भूमिका निभाई। कार्यक्रम का समापन रात 9:00 बजे भोजन प्रसादी के साथ हुआ।
लीला के महामंत्री मितिन गर्ग ने अंत में सभी दर्शकों, अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया और बताया कि हर माह के पहले रविवार को आईपैक्स भवन में काव्य परंपरा को जीवित रखने के लिए इसी तरह के आयोजन होते रहेंगे।
कविता में राम का पुनर्जन्म
‘पुरुषोत्तम’ के रूप में प्रस्तुत यह काव्य संध्या न केवल एक साहित्यिक आयोजन था, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक भी बना। 83वें जन्मदिवस पर जब पूरा देश राम नवमी मना रहा था, तब चिराग जैन ने अपनी वाणी से श्रीराम को श्रद्धांजलि देते हुए, श्रोताओं को उनके आदर्शों से जोड़ने का कार्य किया।
यह प्रस्तुति दर्शाती है कि राम सिर्फ कथा के पात्र नहीं हैं, वे जीवन मूल्य हैं – जिनकी सीख आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी त्रेता युग में थी।