‘लाल किताब’ की हकीकत: संविधान का प्रतीक या राजनीतिक ड्रामा? 2024

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By headlineslivenews.com

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‘लाल किताब’ की हकीकत: इस खबर के अनुसार, नागपुर में आयोजित कांग्रेस के ‘संविधान सम्मेलन’ में राहुल गांधी द्वारा लहराई गई ‘लाल किताब’ पर उठे विवाद ने एक नया राजनीतिक मोड़ ले लिया है।

'लाल किताब' की हकीकत: संविधान का प्रतीक या राजनीतिक ड्रामा? 2024

इस कार्यक्रम में जब राहुल गांधी ने संविधान की प्रति लहराई, तो कवर पर ‘कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया’ लिखा हुआ था, लेकिन किताब के अंदर के पन्ने कोरे थे। कांग्रेस का दावा है कि यह असल में एक नोटपैड था, जिसका उपयोग श्रोताओं को अपने विचार और वक्ताओं के भाषणों को लिखने के लिए दिया गया था। इस मुद्दे पर बीजेपी ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की है।

‘लाल किताब’ की हकीकत: विवाद की पृष्ठभूमि

‘लाल किताब’ की हकीकत: बुधवार को नागपुर के सुरेश भट सभागार में हुए इस सम्मेलन में राहुल गांधी ने एक ‘लाल किताब’ लहराई, जिस पर ‘कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया’ लिखा था। बीजेपी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी और कांग्रेस संविधान का अपमान कर रहे हैं। बीजेपी नेताओं का दावा है कि भारतीय संविधान नीले रंग में प्रकाशित होता है, जबकि राहुल गांधी ने एक लाल रंग की किताब को संविधान का रूप दिया, जिसमें अंदर कोरे पन्ने थे। इस विषय को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा और इसे संविधान का अपमान बताया।

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‘लाल किताब’ की हकीकत: बीजेपी नेताओं का हमला

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राहुल गांधी को संविधान की प्रति हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वे संविधान का सम्मान नहीं करते। रिजिजू ने यहां तक आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पहले भी संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अंबेडकर को चुनाव हराने का प्रयास किया था और उनके खिलाफ षड्यंत्र रचे थे। उन्होंने कहा कि नेहरू जी ने भी अंबेडकर को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने में आनाकानी की थी और बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। रिजिजू के अनुसार, कांग्रेस द्वारा संविधान को लेकर दिखावा और “नौटंकी” की जा रही है।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस मुद्दे पर राहुल गांधी को घेरते हुए कहा कि राहुल गांधी लाल किताब लेकर संविधान का अपमान कर रहे हैं। फडणवीस ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी अपने साथ “अर्बन नक्सल” और “अनार्किस्ट” जैसे तत्वों को जोड़ने के लिए इस प्रकार के नाटक कर रहे हैं। बीजेपी का मानना है कि कांग्रेस और राहुल गांधी संविधान का इस्तेमाल केवल राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं।

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‘लाल किताब’ की हकीकत: कांग्रेस का स्पष्टीकरण

इस मुद्दे पर कांग्रेस के महाराष्ट्र के उपाध्यक्ष किशोर कन्हेरे ने बयान देते हुए बीजेपी के आरोपों का खंडन किया। कन्हेरे ने कहा कि यह लाल किताब संविधान की प्रति नहीं, बल्कि एक नोटपैड था जिसे सम्मेलन के दौरान श्रोताओं को भाषणों के नोट्स लेने के लिए दिया गया था। कन्हेरे ने कहा कि बीजेपी के पास मुद्दों की कमी है, इसलिए वह गलत नेरेटिव सेट करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस नोटपैड के पीछे ‘संविधान सम्मेलन’ लिखा हुआ था और इसमें संविधान का अपमान करने जैसा कुछ भी नहीं था।

'लाल किताब' की हकीकत: संविधान का प्रतीक या राजनीतिक ड्रामा? 2024

‘लाल किताब’ की हकीकत: संविधान के प्रति कांग्रेस का रुख

कांग्रेस का कहना है कि वह संविधान और उसकी रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। पार्टी का दावा है कि राहुल गांधी द्वारा संविधान की बात उठाने के बाद से बाजार से संविधान की प्रति गायब कर दी गई है, जो एक साजिश के तहत किया गया प्रतीत होता है। कांग्रेस का कहना है कि उनके नेता केवल संविधान के संरक्षण और इसकी गरिमा को बनाए रखने की बात कर रहे हैं, और बीजेपी इस मामले को केवल राजनीतिक लाभ के लिए तूल दे रही है।

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राजनीतिक हलकों में बढ़ता तनाव

राहुल गांधी के इस कार्यक्रम के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है। जहां एक तरफ बीजेपी इसे संविधान का अपमान मान रही है, वहीं कांग्रेस इसे बीजेपी की ओर से उठाए गए एक बेबुनियाद मुद्दे के रूप में देख रही है। इस घटना ने संविधान को लेकर राजनीतिक बहस को और भी अधिक गहरा बना दिया है। बीजेपी का मानना है कि कांग्रेस का यह कदम केवल ध्यान भटकाने के लिए उठाया गया है और कांग्रेस इस तरह से संविधान की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रही है।

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संविधान का राजनीतिकरण: बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने

इस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय राजनीति में संवैधानिक मुद्दों का इस्तेमाल अक्सर अपने हितों को साधने के लिए किया जाता है। एक तरफ बीजेपी कांग्रेस पर संविधान के अपमान का आरोप लगा रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस अपने बचाव में संविधान की रक्षा की दुहाई दे रही है। इस मामले में सच्चाई क्या है, इसका पता तो जांच के बाद ही चल पाएगा, लेकिन इस घटनाक्रम ने यह दिखा दिया है कि राजनीतिक दल किस प्रकार संवैधानिक मुद्दों का राजनीतिकरण करते हैं।


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