विदेश मंत्री एस. जयशंकर: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की तीन देशों की यात्रा का अंतिम पड़ाव जर्मनी की राजधानी बर्लिन रहा, जहां उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान को सीधे शब्दों में चेतावनी दी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत न आतंकवाद बर्दाश्त करेगा और न ही परमाणु ब्लैकमेल के आगे झुकेगा। जयशंकर का यह बयान ऐसे समय आया है जब क्षेत्रीय तनाव और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति दोनों चरम पर हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी चुनौती
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में एक आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में कई जवानों और नागरिकों की जान गई। हमले की प्रकृति और इसकी योजना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि पाकिस्तान की धरती से संचालित हो रहे आतंकी नेटवर्क किस हद तक भारत की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं।
इस हमले का मुख्य उद्देश्य भारत के भीतर डर का माहौल बनाना, धार्मिक तनाव फैलाना और जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना था। हमलावरों ने न सिर्फ निर्दोष लोगों को निशाना बनाया बल्कि यह एक सुसंगठित योजना का हिस्सा था, जिसका मकसद भारत की आंतरिक स्थिरता को बाधित करना था।
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जयशंकर का पाकिस्तान को करारा जवाब
बर्लिन में एक संवाददाता सम्मेलन में जर्मनी के विदेश मंत्री जॉन वाडेपॉल के साथ संयुक्त रूप से प्रेस को संबोधित करते हुए एस. जयशंकर ने कहा:
“भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा। पहलगाम में जो हमला हुआ, वह केवल एक आतंकी घटना नहीं थी, बल्कि यह एक राजनीतिक साजिश थी। इसका जवाब भारत ने पहले भी दिया है और आगे भी देता रहेगा।”
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत अब ‘परमाणु ब्लैकमेल’ की रणनीति से नहीं डरता, जो पाकिस्तान कई दशकों से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस्तेमाल करता आया है। उनका सीधा संकेत पाकिस्तान द्वारा बार-बार परमाणु हमले की धमकियों और विश्व समुदाय को डराकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिशों की ओर था।
शक्तिशाली देश भी दखल नहीं कर सकते
जयशंकर ने दो टूक शब्दों में यह भी कह दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच के सारे मुद्दे केवल द्विपक्षीय तरीके से ही सुलझाए जाएंगे। इसमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की कोई आवश्यकता नहीं है।
“भारत और पाकिस्तान के बीच की बातचीत केवल उन्हीं दो देशों के बीच होगी। इसमें कोई अन्य पक्ष, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, हस्तक्षेप नहीं कर सकता।”
इस कथन के जरिए भारत ने उन देशों को भी संदेश दे दिया जो समय-समय पर भारत-पाक तनाव के बीच मध्यस्थता की बात करते हैं।
आतंकवाद पर भारत का प्रहार और वैश्विक समर्थन
जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत ने आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि भारत की यह कार्रवाई आत्मरक्षा में थी और वैश्विक समुदाय ने इसे समझा है। उन्होंने यह भी बताया कि जर्मनी जैसे देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को पूरी तरह समर्थन दिया है।
“हमारी लड़ाई किसी देश से नहीं, बल्कि आतंकवाद से है। लेकिन दुर्भाग्यवश, हमारे पड़ोसी देश में आतंकवाद को प्रायोजित किया जा रहा है। इस देश ने आतंक को एक रणनीतिक हथियार बना रखा है।”
जयशंकर का यह बयान न केवल पाकिस्तान को चेतावनी देता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह याद भी दिलाता है कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करेगा।
जर्मन विदेश मंत्री ने पहलगाम हमले की की तीखी निंदा
जर्मनी के विदेश मंत्री जॉन वाडेपॉल ने भी प्रेस वार्ता में पहलगाम हमले की निंदा की और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। उन्होंने कहा:
“भारत को अपनी रक्षा करने का पूरा हक है। भारत और पाकिस्तान को अपने मसले आपस में हल करने चाहिए। इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।”
यह बयान भारत की नीति को अंतरराष्ट्रीय वैधता और समर्थन प्रदान करता है, खासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिश करता है।
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भारत-जर्मनी सहयोग के नए आयाम
बर्लिन में जयशंकर और वाडेपॉल के बीच केवल आतंकवाद ही नहीं, बल्कि भारत-जर्मनी के द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत बनाने पर भी चर्चा हुई। ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, व्यापार और तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी।
जयशंकर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“आज बर्लिन में विदेश मंत्री जॉन वाडेपॉल के साथ बहुत अच्छी मीटिंग हुई। आतंकवाद के खिलाफ भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को जर्मनी ने समझा, इसके लिए मैं उनका आभारी हूं।”
उन्होंने यह भी लिखा कि दोनों देशों ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचार साझा किया।
भारत की चिंताओं को वैश्विक मंच पर मिली नई आवाज
एस. जयशंकर की यह यात्रा नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी को कवर करती है। इस यात्रा का उद्देश्य न सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना था, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका और चिंताओं को भी सामने रखना था। विशेष रूप से आतंकवाद और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भारत का पक्ष स्पष्ट रूप से सामने लाया गया।
वैश्विक मंचों पर भारत का कूटनीतिक प्रभाव बढ़ा
जयशंकर के बयानों से यह साफ है कि भारत अब पुरानी नीतियों से आगे बढ़ चुका है। अब आतंकवाद के मामले में भारत की प्रतिक्रिया केवल निंदा तक सीमित नहीं है, बल्कि ठोस जवाबी कार्रवाई उसकी प्राथमिकता है।
पाकिस्तान की ‘न्यूक्लियर शील्ड’ वाली रणनीति अब भारत पर असर नहीं डाल रही। यह नीति अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अब बेअसर होती दिख रही है क्योंकि भारत ने अपने कूटनीतिक प्रभाव और वैश्विक समर्थन को बढ़ाया है।
आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस का सख्त संदेश
एस. जयशंकर के बर्लिन में दिए गए बयानों ने यह स्पष्ट कर दिया कि आज का भारत न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा को लेकर सजग है, बल्कि किसी भी तरह के राजनीतिक या कूटनीतिक दबाव में नहीं आएगा।
परमाणु ब्लैकमेल, आतंकी प्रॉक्सी वॉर और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप—इन सभी को भारत ने अब पीछे छोड़ते हुए अपने रुख को साफ कर दिया है।
भारत की यह नई रणनीति – आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, परमाणु धमकियों से बेखौफ और तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार – यही बताती है कि भारत अब एक आत्मनिर्भर, दृढ़ और वैश्विक शक्ति की तरह व्यवहार कर रहा है।