सरदार ढींढसा का निधन: पंजाब की राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ और पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदार सुखदेव सिंह ढींढसा का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
उन्होंने मोहाली के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां वे उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भर्ती थे।
वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में निभाई अहम भूमिका
सरदार ढींढसा का निधन: सुखदेव सिंह ढींढसा का जन्म 9 अप्रैल 1936 को पंजाब के संगरूर जिले के उभवाल गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से शुरू की और पार्टी के विभिन्न पदों पर रहते हुए राज्य और केंद्र स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। वे 1999 से 2004 तक वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे, जहां उन्होंने खेल, रसायन और उर्वरक मंत्रालयों का नेतृत्व किया।
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पद्म भूषण से सम्मानित
उनकी सेवाओं के लिए भारत सरकार ने 2019 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। हालांकि, 2020 में किसानों के विरोध प्रदर्शनों के समर्थन में उन्होंने यह सम्मान लौटा दिया, जिससे उनकी जनसंवेदनशीलता और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट हुई।
राजनीतिक मतभेद और नया दल
पार्टी के भीतर मतभेदों के चलते ढींढसा ने शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) की स्थापना की, जो बाद में 2024 में पुनः शिअद में विलय हो गया। उनकी यह पहल पंजाब की राजनीति में सुधार और पारदर्शिता लाने के प्रयास के रूप में देखी गई।
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अंतिम समय और श्रद्धांजलि
ढींढसा पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन की खबर से पंजाब की राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया।
राजनीति में मूल्यों और सिद्धांतों के प्रतीक थे ढींढसा
सुखदेव सिंह ढींढसा का जीवन और कार्य भारतीय राजनीति में एक प्रेरणास्रोत के रूप में याद किया जाएगा। उनकी प्रतिबद्धता, सिद्धांतों के प्रति निष्ठा और जनसेवा की भावना आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी।