सरोजिनी नगर मार्केट: दिल्ली की सबसे लोकप्रिय और भीड़भाड़ वाली मार्केट्स में से एक सरोजिनी नगर मार्केट में हाल ही में एनडीएमसी (नई दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल) द्वारा अतिक्रमण हटाने की बड़ी कार्रवाई की गई, जिससे यहां की सड़कों और माहौल में बड़ा बदलाव देखने को मिला।
पहले जहां सड़कें अतिक्रमण और अवैध दुकानों की वजह से लगभग बंद सी हो गई थीं, वहीं अब पैदल चलना पहले से कहीं आसान हो गया है। लेकिन इस बदलाव के साथ कई सवाल और परेशानियां भी सामने आई हैं, खासकर अधिकृत दुकानदारों और नियमित ग्राहकों की तरफ से।
64 फीट की सड़क सिमटी थी 4 फीट में
एनडीएमसी की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद सरोजिनी नगर मार्केट में लोगों को राहत मिली है। जहां पहले अतिक्रमण के चलते करीब 64 फीट चौड़ी सड़क महज 4 फीट तक सिमट कर रह गई थी, अब वही सड़कें खुली और साफ दिखाई दे रही हैं। इससे मार्केट में आने-जाने वाले लोगों को राहत मिली है और उन्हें पैदल चलने में पहले जैसी परेशानी नहीं हो रही।
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आधी रात हुई कार्रवाई बिना नोटिस तोड़ी गईं दुकानें
हालांकि, एनडीएमसी की इस कार्रवाई को लेकर सरोजिनी नगर मिनी मार्केट असोसिएशन के प्रधान अशोक रंधावा ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि 17 अप्रैल की रात एनडीएमसी ने आधी रात को अचानक तोड़फोड़ शुरू कर दी, जिसमें लगभग 200 दुकानों को नुकसान पहुंचा। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कार्रवाई में बड़ी दुकानों और अधिकृत शॉपकीपर्स की छतें तक तोड़ दी गईं और किसी को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई।
रंधावा का कहना है कि यह कार्रवाई गैरकानूनी है और इससे मार्केट की छवि भी प्रभावित हुई है। कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिससे ग्राहकों में यह भ्रम फैल गया कि पूरी मार्केट तोड़ दी गई है। इसका असर सीधे दुकानदारों की बिक्री पर पड़ा है, क्योंकि पिछले चार दिनों में ग्राहकों की संख्या में करीब 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
अवैध दुकानों पर अब भी कार्रवाई नहीं
अशोक रंधावा ने कहा कि एनडीएमसी की कार्रवाई में केवल अधिकृत दुकानदारों को निशाना बनाया गया, जबकि अवैध विक्रेता अब भी सड़क के किनारे, यहां तक कि पुलिस चौकी के पास भी खुलेआम दुकानें लगाकर सामान बेच रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एनडीएमसी की जिम्मेदारी है कि वह नो वेंडिंग जोन में अनधिकृत दुकानों पर कार्रवाई करे, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।
उनकी मांग है कि इस पूरे अभियान की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जिन दुकानदारों के पास वैध लाइसेंस हैं, उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान न किया जाए। उन्होंने कहा कि रोज़ी-रोटी सबका अधिकार है, लेकिन उसके लिए भी एक प्रणाली होनी चाहिए।
ग्राहकों की भी नाराजगी टीनशेड और तिरपाल हटने से परेशानी
जहां एक ओर सड़कें चौड़ी होने से लोगों को पैदल चलने में राहत मिली है, वहीं टीनशेड और तिरपाल हटाए जाने से ग्राहकों को धूप में शॉपिंग करनी पड़ रही है, जिससे वे काफी परेशान हैं।
रिया (आर.के. पुरम) नाम की एक ग्राहक ने कहा, “मैं यहां अक्सर शॉपिंग करने आती हूं। आज सड़क तो चौड़ी दिखी लेकिन तेज धूप में तिरपाल न होने से काफी तकलीफ हुई।”
आरती (द्वारका) ने कहा, “आज पैदल चलने में कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन धूप के कारण पसीने छूट गए। दुकानों के बाहर कोई टीनशेड या तिरपाल नहीं है।”
ढोली जोश (संगम विहार) ने बताया, “मार्केट में रौनक कम हो गई है। टीनशेड न होने से धूप में ही शॉपिंग करनी पड़ी। दुकानदारों को ग्राहकों की सुविधा का ख्याल रखना चाहिए।”
जौली कश्यप (महरौली) ने कहा, “आज सड़कें तो साफ दिखीं लेकिन गर्मी में बिना किसी शेड के शॉपिंग करना मुश्किल हो गया। पसीने से भीग गए और खरीदी भी ढंग से नहीं हो पाई।”
प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल
देखा गया कि अंदर के हिस्सों में अधिकतर दुकानदारों ने अपनी दुकानों का सामान अंदर ही सजा रखा है। इससे सड़कों पर अतिक्रमण नहीं दिखा, लेकिन मार्केट के बाहरी हिस्से और पुलिस चौकी के पास अब भी कई अवैध दुकानें सक्रिय थीं।
इससे बड़ा सवाल उठता है कि जब पुलिस चौकी के पास ही अवैध दुकानदार खुलेआम सामान बेच रहे हैं तो फिर प्रशासन की कार्रवाई क्यों अधिकृत दुकानदारों पर केंद्रित रही?
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बिना नोटिस कार्रवाई पर उठे सवाल
सरोजिनी नगर मार्केट का यह मामला इस बात को उजागर करता है कि किसी भी सुधारात्मक कार्रवाई को संतुलित और न्यायसंगत तरीके से किया जाना चाहिए। एक तरफ जहां लोगों को साफ-सुथरी, खुली सड़कें मिली हैं, वहीं दूसरी ओर अधिकृत दुकानदारों को बिना सूचना नुकसान पहुंचाना प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है।
इसके साथ-साथ ग्राहकों की भी मांग है कि गर्मी से राहत देने के लिए कुछ अस्थायी व्यवस्था की जाए जैसे कि तिरपाल या छायादार संरचना ताकि वे आराम से शॉपिंग कर सकें।
टीनशेड हटे धूप में पसीने-पसीने हुए ग्राहक
एनडीएमसी द्वारा चलाया गया अतिक्रमण हटाओ अभियान भले ही मार्केट की स्थिति सुधारने के उद्देश्य से किया गया हो, लेकिन जिस तरीके से इसे अंजाम दिया गया, उसने अधिकृत दुकानदारों और ग्राहकों दोनों को नाराज कर दिया है। मार्केट को व्यवस्थित बनाना ज़रूरी है, मगर यह सुनिश्चित करना भी उतना ही आवश्यक है कि किसी की आजीविका पर बिना किसी नोटिस या बातचीत के कुठाराघात न हो।
सरकार और प्रशासन को अब चाहिए कि वे सभी संबंधित पक्षों – अधिकृत दुकानदारों, ग्राहकों और बाजार एसोसिएशनों – के साथ बैठकर इस समस्या का स्थायी और पारदर्शी समाधान निकालें। तभी दिल्ली की यह मशहूर मार्केट अपनी रौनक और प्रतिष्ठा को कायम रख पाएगी।