1 बयान 21 संहार की बात: हरियाणा की राजनीति एक बार फिर विवादित बयानों की गर्मी से सुलग रही है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री पंडित रामबिलास शर्मा ने भगवान परशुराम के प्रसंग का उल्लेख करते हुए एक ऐसा बयान दे दिया, जिसने क्षत्रिय समाज में रोष की लहर दौड़ा दी है। उन्होंने कहा कि “भगवान परशुराम ने पौराणिक कथाओं के अनुसार 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था,” और इस संदर्भ में उन्होंने परोक्ष रूप से क्षत्रियों को ‘आतंकवादी’ करार दे दिया।
भगवान परशुराम का उदाहरण और विवाद की जड़
रामबिलास शर्मा रोहतक में आयोजित होने वाली भगवान परशुराम जयंती (30 मई) की तैयारियों के सिलसिले में भिवानी पहुंचे थे। यहां उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए भगवान परशुराम की महत्ता का वर्णन किया और कहा कि, “पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने 21 बार क्षत्रियों का खात्मा किया था, क्योंकि वे अत्याचारी हो गए थे।” इसके आगे उन्होंने कहा कि परशुराम का फरसा उस समय परमाणु बम के समान शक्तिशाली माना जाता था।
हालांकि यह कथन पुराणों से लिया गया हो सकता है, लेकिन जब उन्होंने क्षत्रियों की तुलना ‘आतंकवादियों’ से की, तो यह बात क्षत्रिय समुदाय को नागवार गुज़री। सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो गया और कई संगठनों ने बयान को अपमानजनक और समाज को बांटने वाला बताया।
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‘आतंकवादी’ शब्द ने बिगाड़ा माहौल
शर्मा का बयान धार्मिक संदर्भ में दिया गया था, लेकिन उनका शब्द चयन भारी पड़ गया। उन्होंने यह भी कहा कि, “परशुराम ने केवल तलवार नहीं चलाई, उन्होंने अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई थी। जो समाज आतंक का प्रतीक बन गया था, उसे परशुराम ने समाप्त किया।” इस कथन को क्षत्रिय समाज ने सीधे तौर पर अपने विरुद्ध माना।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान केवल धार्मिक कथा के संदर्भ में होता तो शायद इतना विवाद न होता, लेकिन ‘आतंकवादी’ जैसे शब्द का प्रयोग इसे बेहद संवेदनशील बना देता है।
जांगड़ा के बयान से जुड़ा विवाद अभी थमा भी नहीं
रामबिलास शर्मा के इस बयान से पहले बीजेपी के ही राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा का एक और विवादित बयान सामने आया था। उन्होंने पहलगाम हमले में मारी गईं पर्यटक महिलाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि उन्हें आतंकवादियों से मुकाबला करना चाहिए था। उनके अनुसार, “अगर महिलाएं हाथ जोड़ने की बजाय झांसी की रानी या अहिल्याबाई होल्कर जैसी वीरता दिखातीं, तो शायद कम लोग मारे जाते।” जांगड़ा के इस बयान को भी जनता ने संवेदनहीन और महिलाओं के प्रति असंवेदनशील करार दिया था।
रामबिलास शर्मा ने राहुल गांधी पर भी साधा निशाना
अपने विवादित बयान के दौरान रामबिलास शर्मा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा, “सोनिया गांधी राहुल को ट्यूशन दिलवाती हैं, लेकिन वह हर बार फेल हो जाता है। पप्पू के पप्पूपन की वजह से कांग्रेस आज इस स्थिति में है।” यह बयान भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
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क्षत्रिय संगठनों का तीखा विरोध
रामबिलास शर्मा के बयान के बाद कई राजपूत और क्षत्रिय संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि किसी भी जाति या समुदाय को इस प्रकार से आतंकवाद से जोड़ना न केवल अपमानजनक है, बल्कि यह समाज में वैमनस्य पैदा करने वाला है।
राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सक्रिय कई क्षत्रिय समाज के नेताओं ने हरियाणा सरकार से मांग की है कि शर्मा अपने बयान पर सार्वजनिक माफी मांगें, अन्यथा समाज सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगा। कुछ संगठनों ने भगवान परशुराम के नाम पर दिए गए इस बयान को राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक प्रतीकों के दुरुपयोग का उदाहरण बताया।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का हमला
हरियाणा कांग्रेस के प्रवक्ता ने रामबिलास शर्मा के बयान की निंदा करते हुए कहा कि बीजेपी के नेता अब खुलेआम समुदाय विशेष को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी समाज को बांटकर राजनीति करना चाहती है।
आप (आम आदमी पार्टी) और इनैलो (इंडियन नेशनल लोकदल) नेताओं ने भी इस बयान को भड़काऊ और असंवेदनशील करार दिया है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि ऐसे बयानों पर तत्काल संज्ञान लिया जाए।
बीजेपी का डिफेंस और बचाव की कोशिश
हालांकि अभी तक बीजेपी की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार, रामबिलास शर्मा के बयान को उनके निजी विचार बताया जा रहा है। पार्टी अभी हालिया लोकसभा चुनाव के बाद बने राजनीतिक समीकरणों को साधने में लगी है, इसलिए ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती जिससे कोई वर्ग नाराज़ हो।
बीजेपी नेताओं के शब्द बने संकट का कारण
हरियाणा की राजनीति इन दिनों संवेदनशील मुद्दों और भड़काऊ बयानों से गर्माई हुई है। पहले रामचंद्र जांगड़ा का महिलाओं पर बयान और अब रामबिलास शर्मा का क्षत्रियों को लेकर विवादित वक्तव्य, बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। इन बयानों से यह भी स्पष्ट होता है कि पार्टी नेताओं को सार्वजनिक मंच से बोलते समय शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए।
ब्रह्मण और क्षत्रिय समुदायों के बीच धार्मिक संतुलन और सामाजिक एकता बनाए रखना राजनीति के लिए जरूरी है। ऐसे बयानों से न केवल राजनीतिक नुकसान होता है, बल्कि समाज में वैमनस्य का खतरा भी बढ़ता है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि क्या बीजेपी इन बयानों से खुद को अलग करती है या विवादों के इस बवंडर में खुद उलझती चली जाती है।