इलाहाबाद हाई कोर्ट: विवाह अपरिवर्तनीय रूप से टूट चुका है”: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 21 वर्षों से अलग रह रहे दंपति के विवाह को समाप्त करने के परिवार न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक परिवार न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें 21 वर्षों से अलग

इलाहाबाद उच्च न्यायालय

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक परिवार न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें 21 वर्षों से अलग रह रहे एक दंपति के विवाह को भंग कर दिया गया था। कोर्ट ने इस अपील को हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 28 के तहत सुना, जिसमें अपीलकर्ता ने उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसके द्वारा परिवार न्यायालय ने दोनों पक्षों के बीच संपन्न हिंदू विवाह को समाप्त कर दिया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट

इस मामले में न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया कि इस मामले में विवाह इतना टूट चुका है कि उसे पुनःस्थापित करना संभव नहीं है, और इसलिए इसे समाप्त करना न्यायसंगत होगा।

इलाहाबाद हाई कोर्ट: मामले की पृष्ठभूमि

अपीलकर्ता और प्रतिवादी के बीच विवाह वर्ष 2000 में संपन्न हुआ था। प्रारंभ में, अपीलकर्ता अपने ससुराल में कुछ समय के लिए रहीं, लेकिन उन्होंने अपने ससुराल में पुरुष परिजनों के साथ अकेले रहने में असुविधा महसूस की। इस असुविधा को देखते हुए, उनके पति ने उन्हें अपने कार्यस्थल पर ले जाने का प्रयास किया, ताकि वे वहाँ आराम से रह सकें, लेकिन अपीलकर्ता ने वहाँ भी अधिक समय तक रहने की इच्छा नहीं जताई और जल्द ही वहाँ से चली गईं। इसके बाद, अपीलकर्ता ने अपने मायके में ही रहना शुरू कर दिया।

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विवाह के प्रारंभिक वर्षों में अपीलकर्ता और प्रतिवादी के बीच विभिन्न स्थानों पर कुछ समय के लिए सहवास हुआ, लेकिन अपीलकर्ता ने बार-बार मायके लौटना ही पसंद किया। पति ने इसे ध्यान में रखते हुए अपना स्थानांतरण कराने का प्रयास किया और किराये के मकान में रहने लगे ताकि वे अपीलकर्ता के पास रह सकें, लेकिन अपीलकर्ता ने उनके साथ रहने से पुनः इंकार कर दिया। इस बीच, दंपति की एक बेटी का भी जन्म हुआ।

अपीलकर्ता ने अपनी ओर से भरण-पोषण के लिए धारा 125 सीआरपीसी (Cr.P.C.) के तहत एक याचिका दायर की, जिसका उत्तरदायी पति नियमित रूप से भुगतान कर रहे हैं। इसके बावजूद, दंपति के बीच का संवाद और संबंध इतने जटिल हो गए थे कि उनके पुनः साथ आने की कोई संभावना नहीं रह गई थी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट: कोर्ट में प्रस्तुत दलीलें

अपीलकर्ता की ओर से अधिवक्ता जैनेंद्र कुमार मिश्रा ने दलील पेश की, जबकि प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता के.के. त्रिपाठी, अधिवक्ता पवन कुमार राव, और अधिवक्ता शिव राम सिंह ने प्रतिवादी का प्रतिनिधित्व किया। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं, जिसमें अपीलकर्ता ने अपने पति के साथ पुनःसहवास करने से इंकार किया और प्रतिवादी ने अपनी स्थिति स्पष्ट की कि अब वे भी इस वैवाहिक संबंध को पुनर्जीवित करने में असमर्थ हैं।

कोर्ट ने प्रतिवादी पति के उस पक्ष पर ध्यान दिया जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ अपनी वैवाहिक संबंधों को पुनः स्थापित करने की काफी कोशिश की थी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने दो वर्षों तक सेवा से निलंबित रहने के दौरान जेल में भी समय बिताया था, जिसके कारण वह अपनी पत्नी के साथ संबंध पुनः स्थापित करने की स्थिति में नहीं थे। पति ने इस बात पर जोर दिया कि अब इस विवाह को बनाए रखने की कोई व्यावहारिक संभावना नहीं बची है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट: कोर्ट का अवलोकन

न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की पीठ ने यह कहा कि इस मामले में विवाह के अपरिवर्तनीय रूप से टूटने के स्पष्ट संकेत हैं। कोर्ट ने यह पाया कि अपीलकर्ता को न तो अपने ससुराल में रहने की इच्छा थी और न ही वह अपने पति के कार्यस्थल के पास रहने के लिए तैयार थीं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने अपने पति के साथ रहने की कोई इच्छा भी नहीं जताई थी।

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कोर्ट ने इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अपीलकर्ता सिर्फ अपने मायके में रहना चाहती थीं और अपने पति के साथ किसी भी प्रकार का सहवास करने में उनकी कोई रुचि नहीं थी। पति की ओर से की गई सभी कोशिशों के बावजूद, पत्नी ने किसी भी प्रकार की पुनः सहवास की कोई इच्छा नहीं जताई।

इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि अपीलकर्ता ने अपने पति के खिलाफ दहेज की मांग को लेकर एक आपराधिक मामला भी दर्ज किया था, लेकिन यह मामला तब दर्ज किया गया जब उनके पति ने तलाक की कार्यवाही शुरू की थी। इस प्रकार, कोर्ट ने इसे वैवाहिक संबंधों के पुनःसंधान के प्रयास के खिलाफ एक और सबूत माना।

इलाहाबाद हाई कोर्ट: विवाह अपरिवर्तनीय रूप से टूट चुका है:

कोर्ट ने इस मामले में यह पाया कि 21 वर्षों के लंबे समय से दोनों पक्ष एक-दूसरे से अलग रह रहे थे और उनके बीच वैवाहिक संबंध पूरी तरह से टूट चुके थे। कोर्ट ने यह माना कि इस मामले में दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति या समझौता संभव नहीं है, और इस प्रकार, विवाह को भंग करना ही एकमात्र सही विकल्प है।

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कोर्ट ने यह भी माना कि इस मामले में किसी भी प्रकार के स्थायी भरण-पोषण का कोई प्रावधान नहीं होना चाहिए, क्योंकि अपीलकर्ता ने अपने पति के साथ किसी भी प्रकार के पुनःसंबंध स्थापित करने की कोई इच्छा नहीं जताई थी। इसके आधार पर, कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया।

इस फैसले के माध्यम से इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब एक विवाह इस प्रकार से टूट चुका हो कि उसके पुनःस्थापना की कोई संभावना न हो, तब उसे समाप्त करना न्यायसंगत होता है। कोर्ट ने परिवार न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए अपील को खारिज कर दिया और इस प्रकार, 21 वर्षों से अलग रह रहे इस दंपति का विवाह कानूनी रूप से समाप्त कर दिया गया।

दिल्ली हाईकोर्ट

Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi

'50 सीटों' का फॉर्मूला 1 'NFS कांग्रेस की देन है' धर्मेंद्र प्रधान का पलटवार 1 'अपरिवर्तनीय' शब्द का प्रभाव 1 'अपरिवर्तनीय' शब्द के प्रयोग मात्र से पावर ऑफ अटॉर्नी अपरिवर्तनीय नहीं 1 'अब का सलाद खईब' गाने से मनोज तिवारी ने दिखाया महंगाई का दर्द 1 'आतंकवादी' शब्द ने बिगाड़ा माहौल 1 'आप' और बीजेपी के बीच मुकाबला 1 'कस्टम अधिकारी' 'पुलिस अधिकारी' नहीं 1 'कांग्रेस को पीलिया हो गया है' 1 'केसरी चैप्टर 2' का ट्रेलर दर्शकों के दिलों को कर गया छू 1 'गलती से मिस्टेक' 1 'जलसा' बंगला श्वेता बच्चन को किया गिफ्ट? 1 'जाट' की रिलीज से पहले उठे सवाल क्या कला और आस्था के बीच संभव है संतुलन? 1 'जाट' टाइटल पर रणदीप हुड्डा का तीखा जवाब "पहचान खुद फिल्म में सामने आएगी" 1 'जुमलों पर झाड़ू चलाएंगे फिर केजरीवाल को लाएंगे' 1 'ट्रिपल इंजन' सरकार की दिशा में सुदृढ़ कदम 1 'देवा' फिल्म की स्क्रीनिंग में रुकावट से अली गोनी का गुस्सा INOX को किया निशाना 1 'पराक्रमो विजयते' बोले अखिलेश यादव 1 'पुष्पा' पर बड़े प्रड्यूसर की विवादित टिप्पणी 1 'बड़ा भाई' 1 'बिग बॉस 18' के विनर बने करण 1 'बिग बॉस 18' में भी दिखा था अनोखा रिश्ता 1 'बिग बॉस 18' से बनी दोस्ती 1 'बिस्मिल्लाह' के साथ मां बनने की भावुक घोषणा 1 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' का नारा 0 'भूल भुलैया 2' की सफलता और तैमूर का प्यार 1 'भूल भुलैया 2'और 'भूल भुलैया 3' की सफलता 1 'मर्दानी' फ्रेंचाइजी की वापसी का ऐलान 1 'मुफ्त की रेवड़ी' आरोपों पर भाजपा को जवाब 1 'मैया यशोदा' गाने की शूटिंग के दौरान क्या हुआ था? 1 'मोहल्ला बस' से 'नमो बस सेवा' तक 1 'रावण के वंशज' आरोप 1 'लाफ्टर शेफ्स 2' में बर्थडे सेलिब्रेशन 0

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GEMINI 3 FEATURES जो ChatGPT को कर सकते हैं Obsolete

Gemini 3 Features ने AI की दुनिया में तहलका मचा दिया है। इसके उन्नत फीचर्स और

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GEMINI 3 FEATURES उन्नत reasoning और मल्टीमॉडल कौशल

Gemini 3, LMArena leaderboard में शीर्ष स्थान पर है, PhD-स्तर की reasoning क्षमता रखता है और विज्ञान, गणित जैसे विषयों में उच्च सफलता प्राप्त करता है। वीडियो, इमेज और मल्टीमॉडल क्वेरी पर भी यह बेहतरीन प्रदर्शन करता है, जो इसे व्यापक और बहु-आयामी प्रश्नों के लिए उपयुक्त बनाता है।

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Gemini 3 Deep Think मोड

यह नया मोड Gemini 3 की reasoning और समझ को और भी गहरा बनाता है, जिससे कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान संभव होता है। इसका प्रदर्शन AI परीक्षाओं में अप्रत्याशित रूप से बेहतर है, जो इसे विश्लेषण और योजना कार्यों में उपयोगी बनाता है।

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सीखना, बनाना, और योजना बनाना

Gemini 3 के साथ सीखना आसान है, चाहे वह परिवार की परंपरागत रेसिपी ट्रांसलेट करना हो या ऐडवांस रिसर्च पेपर का विश्लेषण। यह ब्लॉक्स, कोड और विजुअलाइजेशन के माध्यम से जटिल जानकारियों को समझाने और प्रदर्शित करने में सक्षम है।

डेवलपर्स के लिए नया अनुभव

Google ने Google Antigravity नामक एजेंटिक डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जिससे डेवलपर्स Gemini 3 के साथ अधिक स्वायत्त और कार्य-केंद्रित एप्लिकेशन बना सकते हैं। यह कोडिंग को नए स्तर पर ले जाता है और निरंतर स्व-पुष्टिकरण प्रदान करता है।

योजना और ऑटोमेशन में सुधार

Gemini 3 लंबे समय के लिए योजना बनाने और जटिल, बहु-चरण वाली प्रक्रियाओं को संचालित करने में सक्षम है। यह आपके ईमेल को व्यवस्थित कर सकता है, स्थानीय सेवाएं बुक कर सकता है, और दैनिक कार्यों में मदद करता है।

सुरक्षा और जिम्मेदारी

Google ने Gemini 3 को सबसे सुरक्षित AI मॉडल बनाया है। इसमें साइबर हमलों, गलत जानकारी, और हानिकारक प्रोत्साहनों से सुरक्षा के लिए व्यापक परीक्षण और सहयोग किया गया है।

Gemini 3 का भविष्य

Gemini 3 अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में है और जल्द ही इसके कई नए संस्करण और फीचर जारी होंगे। Google इसे Google एजेंसियों, डेवलपर्स, और एंटरप्राइज क्लाइंट्स तक पहुंचा रहा है।

Gemini 3 की उपलब्धता

Gemini 3 एप्लिकेशन, AI Studio, Vertex AI, Google Antigravity, और Gemini CLI के माध्यम से उपलब्ध है। कॉलैबोरेशन प्लेटफॉर्म्स जैसे GitHub, Replit में भी इसका उपयोग किया जा रहा है।

Gemini 3 पर Google की यह नई पहल AI के आयामों का विस्तार करती है और इसे हर क्षेत्र में व्यावहारिक, सुलभ और अधिक सक्षम बनाती है। इसका लक्ष्य AI को उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत और प्रभावी बनाना है।

विषयविवरण
मॉडल का नामGemini 3
मुख्य विशेषताएंउन्नत reasoning, मल्टीमॉडल इनपुट, एजेंटिक कोडिंग
प्रमुख प्रदर्शन मानकLMArena leaderboard topper, PhD-level reasoning
नया मोडGemini 3 Deep Think
उपयोगकर्ता लाभबेहतर सीखना, निर्माण, योजना, और ऑटोमेशन
डेवलपर टूल्सGoogle Antigravity, AI Studio, Vertex AI
सुरक्षाव्यापक परीक्षण, सुरक्षा सुधार
उपलब्धताGemini app, AI Studio, Vertex AI, CLI, Dritt platforms
भविष्य की योजनानए संस्करण, फीचर्स, व्यापक उपयोग
लक्ष्यAI को ज्यादा प्रभावी और व्यक्तिकृत बनाना