2 साल पहले हुई थी मौत: दुनिया भर में करोड़ों लोग WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कभी-कभी इस ऐप से जुड़ी घटनाएं इतनी हैरान कर देने वाली होती हैं कि लोग सोच में पड़ जाते हैं।
ऐसी ही एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने एक परिवार को हैरान और परेशान कर दिया। मामला एक ऐसे शख्स से जुड़ा है जिसकी मौत हुए पूरे दो साल हो चुके थे, लेकिन अचानक एक दिन WhatsApp पर नोटिफिकेशन आता है कि वह व्यक्ति फैमिली ग्रुप से लेफ्ट कर गया है।
इस नोटिफिकेशन को देखने के बाद परिवार के लोगों के होश उड़ गए। सवाल ये उठता है कि जो व्यक्ति अब इस दुनिया में नहीं रहा, उसका नंबर कैसे अचानक ग्रुप से हट गया?
2 साल पहले हुई थी मौत: घटना कैसे सामने आई?
यह मामला तब सामने आया जब मृतक के बेटे ने अपने फोन पर एक नोटिफिकेशन देखा कि उसके पिता ने फैमिली WhatsApp ग्रुप छोड़ दिया है। बेटे ने जब यह देखा तो वह स्तब्ध रह गया। उसने तुरंत अपनी मां और अन्य परिजनों से संपर्क किया और सभी यह सोचने लगे कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। यह मामला इसलिए और भी रहस्यमयी बन गया क्योंकि जिस फोन में वह नंबर था, वह दो साल से अलमारी में बंद पड़ा था। न तो उसे रिचार्ज किया गया था, न ही चार्ज किया गया और न ही कोई उसे इस्तेमाल कर रहा था।
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घर में कोई मौजूद नहीं था
मृतक के बेटे ने बताया कि जिस घर में फोन रखा था, वहां उस समय कोई मौजूद नहीं था। पूरा परिवार एक अलग शहर में रह रहा था। पहले तो परिवार को लगा कि शायद घर में चोरी हो गई है और किसी ने फोन निकालकर नंबर को एक्टिव किया होगा। लेकिन जब पड़ोसियों से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि घर में कोई घुसा नहीं है और सब कुछ सुरक्षित है। इसके बाद मामला और भी उलझ गया।
एयरटेल से की गई जानकारी
परिवार ने आगे की पड़ताल करते हुए मोबाइल नंबर के सर्विस प्रोवाइडर एयरटेल से संपर्क किया। एयरटेल से मिली जानकारी के मुताबिक, वह नंबर अभी भी एक्टिव है और किसी अन्य ग्राहक को अलॉट नहीं किया गया है। चौंकाने वाली बात यह रही कि बिना रिचार्ज और उपयोग के भी वह नंबर अभी तक बंद नहीं हुआ है। इससे यह भी साफ हुआ कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उस नंबर को इस्तेमाल किए जाने की संभावना नहीं है।
WhatsApp की सीमित सहायता सेवा
जब परिवार ने WhatsApp से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्हें यह पता चला कि भारत में WhatsApp की कोई डायरेक्ट कस्टमर केयर सेवा नहीं है। हालांकि, WhatsApp का एक हेल्प सेंटर है, जहां यूजर अपनी समस्याएं रिपोर्ट कर सकते हैं। मृतक के बेटे ने इस हेल्प सेंटर पर शिकायत दर्ज की है और मामले की जानकारी दी है। अब उन्हें WhatsApp की ओर से जवाब मिलने का इंतजार है।
आखिर ऐसा कैसे हो सकता है?
इस मामले में अब तक जो जानकारियां सामने आई हैं, उनसे कुछ संभावनाएं निकल कर आती हैं:
- खुद से ग्रुप छोड़ना: आमतौर पर WhatsApp पर यूजर खुद ग्रुप छोड़ता है, लेकिन इस केस में यह संभव नहीं है क्योंकि शख्स की मौत हो चुकी है और फोन किसी के पास नहीं था।
- एडमिन द्वारा हटाया जाना: दूसरी संभावना यह हो सकती है कि ग्रुप एडमिन ने उसे हटाया हो, लेकिन मृतक के बेटे ने स्पष्ट किया कि वह खुद ग्रुप एडमिन है और उसने ऐसा कुछ नहीं किया।
- WhatsApp अकाउंट डिएक्टिवेट होना: तीसरी और सबसे मजबूत संभावना यही लगती है। अगर कोई नंबर लंबे समय तक निष्क्रिय रहता है, तो WhatsApp उस अकाउंट को डिएक्टिवेट कर देता है। हो सकता है, इसी प्रक्रिया के तहत वह अकाउंट अपने आप ग्रुप से हट गया हो।
- टेक्निकल गड़बड़ी: WhatsApp में कभी-कभी तकनीकी गड़बड़ी के कारण भी अकाउंट्स अपने आप ग्रुप से हट सकते हैं। यह एक दुर्लभ लेकिन संभव कारण है।
नंबर बैंक अकाउंट से जुड़ा था
मृतक के बेटे ने बताया कि यह नंबर एक बैंक अकाउंट से जुड़ा हुआ था, लेकिन उसमें पैसे नहीं हैं। इसलिए आर्थिक नुकसान की कोई चिंता नहीं है। हालांकि, इस घटना ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि यदि नंबर से कोई दूसरी महत्वपूर्ण जानकारी जुड़ी हो, तो क्या होगा? यह घटना साइबर सुरक्षा और डिजिटल विरासत (Digital Legacy) के प्रति लोगों की जागरूकता की कमी को भी उजागर करती है।
परिवार के लिए भावनात्मक झटका
यह घटना केवल एक तकनीकी समस्या नहीं थी, बल्कि परिवार के लिए भावनात्मक रूप से भी एक बड़ा झटका था। दो साल पहले जिस पिता को उन्होंने खोया था, उसका नाम अचानक WhatsApp पर देखकर परिवार भावुक हो गया। यह उनके लिए किसी ट्रॉमा से कम नहीं था। इससे यह भी पता चलता है कि तकनीक, चाहे जितनी भी एडवांस क्यों न हो, जब भावनाओं से टकराती है, तो वह एक नई कहानी बना देती है।
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WhatsApp की निष्क्रियता नीति
WhatsApp की नीति के अनुसार, अगर कोई अकाउंट 120 दिन (लगभग चार महीने) तक निष्क्रिय रहता है, तो उसे डिएक्टिवेट कर दिया जाता है। हालांकि, यह डिएक्टिवेशन प्रोसेस धीरे-धीरे होता है और इसमें कई चरण होते हैं। संभव है कि इसी प्रोसेस के तहत अकाउंट ग्रुप से रिमूव हो गया हो। लेकिन सवाल ये उठता है कि यह प्रोसेस दो साल बाद क्यों हुआ?
सोशल मीडिया और डिजिटल जीवन की नई चुनौतियां
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि किसी व्यक्ति के निधन के बाद उसकी डिजिटल संपत्तियों का क्या किया जाए। क्या हमें किसी के गुजरने के बाद उसके डिजिटल प्रोफाइल को बंद कर देना चाहिए या उन्हें मेमोरियल के रूप में बनाए रखना चाहिए? साथ ही, WhatsApp जैसे ऐप्स को भी ऐसी परिस्थितियों के लिए एक स्पष्ट नीति बनानी चाहिए।
WhatsApp अकाउंट एक्टिविटी से परिवार में मचा हड़कंप
यह मामला तकनीक, भावना और रहस्य का एक अद्भुत मिश्रण है। जहां एक तरफ एक तकनीकी प्लेटफॉर्म का ऑटोमैटिक सिस्टम काम करता है, वहीं दूसरी ओर एक परिवार अपने प्रियजन की यादों के साथ जी रहा होता है। ऐसे में अगर कुछ ऐसा हो जाए जो दोनों को एक साथ जोड़ दे, तो वह अनुभव बेहद भावनात्मक हो जाता है।
फिलहाल, परिवार ने WhatsApp हेल्प सेंटर पर शिकायत दर्ज करा दी है और उन्हें उम्मीद है कि कंपनी इस मामले को गंभीरता से लेकर जवाब देगी। साथ ही, यह घटना हम सभी को यह सोचने पर मजबूर करती है कि डिजिटल दुनिया में भी हमारी जिम्मेदारियां और सावधानियां उतनी ही जरूरी हैं जितनी असल जीवन में।