26 साल बाद इंसाफ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खाद्य अपमिश्रण केस में सजा घटाई

26 साल बाद इंसाफ़: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में खाद्य अपमिश्रण मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति आदित्य कुमार

26 साल बाद इंसाफ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खाद्य अपमिश्रण केस में सजा घटाई

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26 साल बाद इंसाफ़: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में खाद्य अपमिश्रण मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति आदित्य कुमार की सजा को घटाकर पहले से ही भुगती गई सजा में बदल दिया।

26 साल बाद इंसाफ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खाद्य अपमिश्रण केस में सजा घटाई
26 साल बाद इंसाफ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खाद्य अपमिश्रण केस में सजा घटाई

इस निर्णय ने भारतीय न्याय प्रणाली में त्वरित सुनवाई और अभियोजन की लंबी प्रक्रियाओं पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। इस मामले में अदालती कार्यवाही 26 वर्षों तक चली, जिसमें दोषसिद्धि की तलवार याचिकाकर्ता के सिर पर लटकी रही।

26 साल बाद इंसाफ़: हिसार में खाद्य अपमिश्रण का मामला बना कानूनी देरी की मिसाल

मामले की शुरुआत वर्ष 1999 में हुई थी, जब हरियाणा के हिसार जिले में सरकारी खाद्य निरीक्षक ने आदित्य कुमार के पास सार्वजनिक बिक्री के लिए रखे गए 20 किलोग्राम रंगीन मसूर दाल जब्त की थी। जांच में पाया गया कि उसमें प्रतिबंधित रंग मिलाया गया था, जो खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम (पीएफए) 1954 और उसके नियमों का उल्लंघन था। इसके बाद आदित्य कुमार के खिलाफ पीएफए की धारा 7 सहपठित धारा 16(1)(ए)(आई) के तहत मामला दर्ज किया गया।

ट्रायल कोर्ट ने 2007 में आदित्य कुमार को दोषी ठहराते हुए तीन महीने के कठोर कारावास और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके बाद उन्होंने अपीलीय अदालत में फैसले को चुनौती दी, लेकिन 2010 में अपील खारिज कर दी गई। इसी वर्ष उच्च न्यायालय में आपराधिक संशोधन याचिका दायर की गई। इस याचिका पर अंतिम सुनवाई के लिए 15 वर्षों तक इंतजार करना पड़ा।

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जमानत पर रिहाई के बावजूद याचिकाकर्ता की पीड़ा को कोर्ट ने माना गंभीर

जस्टिस दीपक गुप्ता की एकल पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 26 वर्षों तक दोषसिद्धि की तलवार लटके रहना किसी भी व्यक्ति के मानसिक, सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन पर गहरा आघात डालता है। अदालत ने टिप्पणी की, “यह कहना आसान है कि याचिकाकर्ता इस पूरे समय जमानत पर था, लेकिन कोई कल्पना नहीं कर सकता कि इस दौरान वह मानसिक और सामाजिक स्तर पर कैसी पीड़ा झेलता रहा होगा।”

कोर्ट ने इस बात को भी अहम माना कि अपराध के समय आदित्य कुमार की उम्र 27 वर्ष थी और अब 53 साल का हो चुका है। लंबे अभियोजन के दौरान उसके खिलाफ किसी अन्य आपराधिक मामले की जानकारी सामने नहीं आई। साथ ही, हिरासत प्रमाण पत्र के अनुसार, वह पहले ही सात दिन की वास्तविक हिरासत भुगत चुका है।

26 साल बाद इंसाफ़

15 साल से लिस्टिंग का इंतजार करती रही याचिका

न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय संविधान के तहत त्वरित सुनवाई का अधिकार एक मौलिक और बहुमूल्य अधिकार है, जो वर्तमान मामले में लगातार बाधित होता रहा। अदालत ने माना कि जब तक मामले का अंतिम निपटारा होता, तब तक याचिकाकर्ता अपनी सजा की अवधि काट चुका होता और इस देरी ने न्याय प्रणाली की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए।

कोर्ट ने इस सवाल पर भी विचार किया कि क्या याचिकाकर्ता को शेष सजा काटने के लिए जेल भेजा जाना उचित होगा? या फिर उसकी सजा को परिवीक्षा पर छोड़ा जा सकता है? या उसे अब तक की भुगती गई सजा के आधार पर रिहा किया जाना चाहिए? अदालत ने कहा कि पीएफए अधिनियम की धारा 20एए के तहत 18 वर्ष से कम आयु के दोषियों को ही परिवीक्षा अधिनियम, 1958 या दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 360 का लाभ दिया जा सकता है। चूंकि अपराध के समय आदित्य कुमार की उम्र 27 वर्ष थी, इसलिए उसे यह राहत नहीं दी जा सकती।

सभी पहलुओं पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने न केवल लंबी कानूनी प्रक्रिया की पीड़ा सही, बल्कि 15 वर्षों से अधिक समय तक उसकी आपराधिक संशोधन याचिका भी लिस्टिंग का इंतजार करती रही। अदालत ने माना कि न्याय में अत्यधिक देरी, अपने आप में अन्याय है।

मुकदमे में देरी के लिए आदित्य कुमार जिम्मेदार नहीं

आखिरकार, अदालत ने आदित्य कुमार की तीन महीने की सजा को सात दिन की पहले से भुगती गई सजा में बदल दिया। हालांकि, 500 रुपये के जुर्माने की सजा और उसके डिफ़ॉल्ट क्लॉज को बरकरार रखा गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि मामले की सुनवाई में हुई देरी के लिए न तो याचिकाकर्ता जिम्मेदार था और न ही उसने मुकदमे को लंबा खींचने की कोशिश की थी।

जस्टिस गुप्ता ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष के रिकॉर्ड और प्रस्तुतियों में कहीं भी यह नहीं दर्शाया गया है कि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर मुकदमे को टालने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, “इस प्रकार, अब जबकि वह उम्र के इस पड़ाव पर है, उसे जेल भेजना न तो व्यावहारिक होगा और न ही न्यायोचित।”

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ऐतिहासिक निर्णय ने सरकार और न्यायालयों को चेताया

इस फैसले ने एक बार फिर देश की न्याय प्रणाली में त्वरित सुनवाई के महत्व को रेखांकित किया है। कोर्ट ने कहा कि लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा होना चाहिए ताकि दोषियों को या निर्दोषों को समय पर न्याय मिल सके। अदालत ने संकेत दिया कि इस तरह के मामलों में सुनवाई की देरी केवल अभियुक्त के जीवन को प्रभावित नहीं करती, बल्कि न्याय व्यवस्था की साख और विश्वसनीयता पर भी असर डालती है।

इस ऐतिहासिक निर्णय ने न केवल एक व्यक्ति को वर्षों पुरानी सजा से राहत दी, बल्कि न्यायालयों और सरकार को भी लंबित मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए गंभीरता से सोचने पर विवश कर दिया है।

बिल के खिलाफ क्या बोले आरसीबीए के प्रेजिडेंट

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GEMINI 3 FEATURES जो ChatGPT को कर सकते हैं Obsolete

Gemini 3 Features ने AI की दुनिया में तहलका मचा दिया है। इसके उन्नत फीचर्स और

GEMINI 3 FEATURES जो ChatGPT को कर सकते हैं Obsolete

Gemini 3 Features ने AI की दुनिया में तहलका मचा दिया है। इसके उन्नत फीचर्स और नए एल्गोरिदम इंसानों के काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

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GEMINI 3 FEATURES उन्नत reasoning और मल्टीमॉडल कौशल

Gemini 3, LMArena leaderboard में शीर्ष स्थान पर है, PhD-स्तर की reasoning क्षमता रखता है और विज्ञान, गणित जैसे विषयों में उच्च सफलता प्राप्त करता है। वीडियो, इमेज और मल्टीमॉडल क्वेरी पर भी यह बेहतरीन प्रदर्शन करता है, जो इसे व्यापक और बहु-आयामी प्रश्नों के लिए उपयुक्त बनाता है।

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Gemini 3 Deep Think मोड

यह नया मोड Gemini 3 की reasoning और समझ को और भी गहरा बनाता है, जिससे कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान संभव होता है। इसका प्रदर्शन AI परीक्षाओं में अप्रत्याशित रूप से बेहतर है, जो इसे विश्लेषण और योजना कार्यों में उपयोगी बनाता है।

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सीखना, बनाना, और योजना बनाना

Gemini 3 के साथ सीखना आसान है, चाहे वह परिवार की परंपरागत रेसिपी ट्रांसलेट करना हो या ऐडवांस रिसर्च पेपर का विश्लेषण। यह ब्लॉक्स, कोड और विजुअलाइजेशन के माध्यम से जटिल जानकारियों को समझाने और प्रदर्शित करने में सक्षम है।

डेवलपर्स के लिए नया अनुभव

Google ने Google Antigravity नामक एजेंटिक डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जिससे डेवलपर्स Gemini 3 के साथ अधिक स्वायत्त और कार्य-केंद्रित एप्लिकेशन बना सकते हैं। यह कोडिंग को नए स्तर पर ले जाता है और निरंतर स्व-पुष्टिकरण प्रदान करता है।

योजना और ऑटोमेशन में सुधार

Gemini 3 लंबे समय के लिए योजना बनाने और जटिल, बहु-चरण वाली प्रक्रियाओं को संचालित करने में सक्षम है। यह आपके ईमेल को व्यवस्थित कर सकता है, स्थानीय सेवाएं बुक कर सकता है, और दैनिक कार्यों में मदद करता है।

सुरक्षा और जिम्मेदारी

Google ने Gemini 3 को सबसे सुरक्षित AI मॉडल बनाया है। इसमें साइबर हमलों, गलत जानकारी, और हानिकारक प्रोत्साहनों से सुरक्षा के लिए व्यापक परीक्षण और सहयोग किया गया है।

Gemini 3 का भविष्य

Gemini 3 अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में है और जल्द ही इसके कई नए संस्करण और फीचर जारी होंगे। Google इसे Google एजेंसियों, डेवलपर्स, और एंटरप्राइज क्लाइंट्स तक पहुंचा रहा है।

Gemini 3 की उपलब्धता

Gemini 3 एप्लिकेशन, AI Studio, Vertex AI, Google Antigravity, और Gemini CLI के माध्यम से उपलब्ध है। कॉलैबोरेशन प्लेटफॉर्म्स जैसे GitHub, Replit में भी इसका उपयोग किया जा रहा है।

Gemini 3 पर Google की यह नई पहल AI के आयामों का विस्तार करती है और इसे हर क्षेत्र में व्यावहारिक, सुलभ और अधिक सक्षम बनाती है। इसका लक्ष्य AI को उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत और प्रभावी बनाना है।

विषयविवरण
मॉडल का नामGemini 3
मुख्य विशेषताएंउन्नत reasoning, मल्टीमॉडल इनपुट, एजेंटिक कोडिंग
प्रमुख प्रदर्शन मानकLMArena leaderboard topper, PhD-level reasoning
नया मोडGemini 3 Deep Think
उपयोगकर्ता लाभबेहतर सीखना, निर्माण, योजना, और ऑटोमेशन
डेवलपर टूल्सGoogle Antigravity, AI Studio, Vertex AI
सुरक्षाव्यापक परीक्षण, सुरक्षा सुधार
उपलब्धताGemini app, AI Studio, Vertex AI, CLI, Dritt platforms
भविष्य की योजनानए संस्करण, फीचर्स, व्यापक उपयोग
लक्ष्यAI को ज्यादा प्रभावी और व्यक्तिकृत बनाना