बाबा रामदेव का ‘शरबत जिहाद’: दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को एक अहम सुनवाई हुई, जिसमें योग गुरु और पतंजलि आयुर्वेद के प्रमोटर बाबा रामदेव द्वारा हमदर्द कंपनी के लोकप्रिय उत्पाद रूह अफज़ा को लेकर दिए गए विवादित बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई।
बाबा रामदेव ने हाल ही में पतंजलि के गुलाब शरबत का प्रचार करते हुए जो टिप्पणी की थी, उसने सोशल मीडिया से लेकर बाजार तक में खासा विवाद खड़ा कर दिया।
उनके इसी बयान पर हमदर्द ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और इसे न केवल अपने ब्रांड की छवि धूमिल करने वाला, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला भी बताया। मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अमित बंसल की एकल पीठ के समक्ष हुई।
बाबा रामदेव का ‘शरबत जिहाद’: हमदर्द कंपनी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया
दरअसल, बाबा रामदेव ने हाल ही में पतंजलि के गुलाब शरबत का प्रचार करते हुए एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने दावा किया कि रूह अफज़ा ब्रांड से जो पैसा कमाया जाता है, उसका इस्तेमाल मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में होता है। उन्होंने इस बयान को ‘शरबत जिहाद‘ का नाम दिया। इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और काफी संख्या में प्रतिक्रियाएं आने लगीं।
हालाँकि, विवाद बढ़ने के बाद बाबा रामदेव ने सफाई दी कि उन्होंने किसी ब्रांड या किसी समुदाय का नाम नहीं लिया है। मगर सोशल मीडिया पर वीडियो में उनके स्पष्ट शब्द और इशारे साफ दिख रहे थे।
इसी बयान को लेकर हमदर्द ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और बाबा रामदेव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया। कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पैरवी की।
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हमदर्द ने अदालत में क्या कहा?
सुनवाई के दौरान हमदर्द कंपनी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने अदालत में कहा कि बाबा रामदेव ने अपने निजी व्यावसायिक स्वार्थ के लिए इस तरह की घृणित भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि यह केवल उत्पाद की छवि को नुकसान पहुंचाने का मामला नहीं है, बल्कि इससे सांप्रदायिक सौहार्द भी प्रभावित होता है।
रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि बाबा रामदेव ने जानबूझकर इस तरह की टिप्पणी की है, ताकि अपने ब्रांड पतंजलि का प्रचार कर सकें और हमदर्द के रूह अफज़ा की बिक्री को नुकसान पहुँचा सकें। उन्होंने कहा कि ‘शरबत जिहाद’ जैसे शब्द का इस्तेमाल करके बाबा रामदेव ने न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी बिगाड़ने का प्रयास किया है।
उन्होंने कोर्ट से मांग की कि बाबा रामदेव का यह वीडियो सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स से तुरंत हटवाया जाए। साथ ही बाबा रामदेव को ऐसे विवादास्पद और नफरत फैलाने वाले बयान देने से रोका जाए।
कोर्ट की तीखी प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के जस्टिस अमित बंसल ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा —
“यह टिप्पणी कोर्ट की अंतरात्मा को झकझोर देती है। इस प्रकार का बयान किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।”
जस्टिस बंसल ने आगे कहा कि इस तरह के बयानों का समाज में बहुत गलत असर पड़ता है और इसका समर्थन नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि एक प्रसिद्ध व्यक्ति का इस तरह सार्वजनिक रूप से कोई समुदाय विशेष को निशाना बनाना बेहद निंदनीय है।
रामदेव की ओर से कोर्ट में क्या हुआ?
बाबा रामदेव की ओर से कोई मुख्य वकील सुनवाई के दौरान मौजूद नहीं थे। उनकी तरफ से प्रॉक्सी वकील ने अदालत में हाजिर होकर बताया कि बाबा रामदेव के मुख्य वकील इस समय एनसीएलएटी (National Company Law Appellate Tribunal) में किसी मामले की सुनवाई में व्यस्त हैं। इसलिए इस मामले की सुनवाई दोपहर 12 बजे तक स्थगित की जाए।
इस पर कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि यदि 12 बजे तक उनके मुख्य वकील हाजिर नहीं होते हैं, तो कोर्ट इस मामले में बहुत सख्त आदेश पारित करेगा।
रामदेव के पुराने मामलों का भी जिक्र
मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को यह भी याद दिलाया कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही का सामना कर चुके हैं। उस समय पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर दोनों को अदालत में तलब किया था और सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने को कहा था।
रोहतगी ने कहा कि बाबा रामदेव को अपने पतंजलि ब्रांड के प्रचार के लिए किसी और उत्पाद या धर्म का अपमान करने की जरूरत नहीं है।
क्यों विवादित बना ‘शरबत जिहाद’ शब्द?
‘शरबत जिहाद’ शब्द का प्रयोग करते हुए बाबा रामदेव ने अप्रत्यक्ष रूप से रूह अफज़ा ब्रांड और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया था। इस शब्द का प्रयोग सांप्रदायिक संदर्भ में किया गया और इसे ‘धार्मिक जिहाद’ जैसे विवादित टर्म से जोड़ा गया, जो बेहद आपत्तिजनक है।
इस शब्द के इस्तेमाल से सोशल मीडिया पर बाबा रामदेव की तीखी आलोचना शुरू हो गई और कई लोगों ने इसे धर्म विशेष के खिलाफ घृणा फैलाने वाला बयान करार दिया।
हमदर्द की याचिका में क्या मांगें रखी गईं?
हमदर्द कंपनी ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट से निम्नलिखित मांगें कीं :
- बाबा रामदेव के इस बयान को हटवाने के आदेश
- सोशल मीडिया से वीडियो को डिलीट करवाना
- भविष्य में बाबा रामदेव द्वारा ऐसे बयान देने पर रोक
- बाबा रामदेव से सार्वजनिक माफ़ी की मांग
फैसले के मायने और आगे की सुनवाई
हाईकोर्ट के इस सख्त रुख ने साफ कर दिया है कि धार्मिक आधार पर किसी उत्पाद या समुदाय को निशाना बनाना अदालत के लिए कतई बर्दाश्त करने लायक नहीं है। अदालत ने बाबा रामदेव को साफ निर्देश दिया है कि 12 बजे तक उनके वकील कोर्ट में पेश हों, वरना अदालत सख्त आदेश पारित कर सकती है।
इस मामले की अगली सुनवाई दोपहर 12 बजे होगी, जिसके बाद तय होगा कि कोर्ट बाबा रामदेव के खिलाफ क्या आदेश पारित करता है।
अभिव्यक्ति की आज़ादी के साथ ज़िम्मेदारी भी ज़रूरी
यह मामला न केवल दो कंपनियों के बीच व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा का है, बल्कि भारतीय समाज में धार्मिक सौहार्द, अभिव्यक्ति की मर्यादा और जिम्मेदारी का भी बड़ा सवाल बन गया है। ऐसे मामलों में अदालत की सख्ती न केवल व्यवस्था की गरिमा बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि लोगों का न्यायपालिका पर विश्वास भी कायम रखती है।
इस प्रकरण से यह स्पष्ट हो गया है कि कोई भी व्यक्ति — चाहे वो कितना भी बड़ा या लोकप्रिय क्यों न हो — यदि कानून और सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन करेगा, तो उसे अदालत के कठघरे में आना ही पड़ेगा।
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