57.5 टन सोने की खरीद से भारत ने बढ़ाई आर्थिक सुरक्षा

Photo of author

By headlineslivenews.com

Spread the love

57.5 टन सोने की खरीद: हाल के वर्षों में वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक अस्थिरता ने दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों को अपने भंडार में सोने का हिस्सा बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।

57.5 टन सोने की खरीद से भारत ने बढ़ाई आर्थिक सुरक्षा
57.5 टन सोने की खरीद से भारत ने बढ़ाई आर्थिक सुरक्षा

इसी दिशा में कदम उठाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 में 57.5 टन सोना खरीदा है। यह कदम भारत की अर्थव्यवस्था के लिए न केवल सुरक्षा कवच का कार्य करेगा, बल्कि मुद्रा भंडार की विविधता और मजबूती को भी बढ़ाएगा।

भारत की यह खरीद केंद्रीय बैंकों की वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है, जहां अमेरिका के ट्रेजरी बॉन्ड पर निर्भरता घटाने और अमेरिकी डॉलर में उतार-चढ़ाव से बचने के लिए सोने को एक स्थायी विकल्प माना जा रहा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की 2024 की रिपोर्ट बताती है कि केंद्रीय बैंक वैश्विक सोने की मांग के एक अहम कारक बन चुके हैं।

57.5 टन सोने की खरीद: RBI की अब तक की सबसे बड़ी खरीद में से एक

आरबीआई द्वारा की गई यह 57.5 टन की सालाना खरीद, दिसंबर 2017 में रिजर्व बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से दूसरी सबसे बड़ी है। इससे पहले 2021-22 में 66 टन सोने की खरीद हुई थी। इस बार की खरीद ने भारत के कुल स्वर्ण भंडार को 879.6 टन तक पहुंचा दिया है, जो पिछले वित्त वर्ष में 822.1 टन था। यह 7% की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है।

11 अप्रैल 2025 तक भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा 11.8% हो गया है, जबकि यह पिछले साल सिर्फ 8.7% था। यह वृद्धि सोने की कीमतों में 30% से अधिक की बढ़ोतरी और नए खरीद के संयोजन से संभव हुई है।

मार्च 2025 तिमाही: कचोलिया-अग्रवाल ने कैसे की गिरावट में निवेश की बाज़ीगरी?

अमेरिका में मंदी की आहट: अमेरिका की सुस्ती से भारतीय बाजार को सतर्क रहने की जरूरत 2025 !

वैश्विक कारण और भू-राजनीतिक प्रभाव

डॉलर में उतार-चढ़ाव, अमेरिका के ट्रेजरी बॉन्ड की घटती विश्वसनीयता और मध्य-पूर्व, रूस-यूक्रेन युद्ध, तथा एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में तनाव जैसी घटनाओं ने वैश्विक वित्तीय अस्थिरता को जन्म दिया है। इस अस्थिरता के दौर में सोना एक विश्वसनीय संपत्ति के रूप में उभरा है। ऐसे में RBI की रणनीति समझदारी भरी प्रतीत होती है।

नुवामा के करेंसी और कमोडिटीज के प्रमुख सजल गुप्ता के अनुसार, “दुनिया के लगभग सभी केंद्रीय बैंक अमेरिकी ट्रेजरी पर निर्भरता कम कर रहे हैं और सोने का भंडार बढ़ा रहे हैं।” यही बात भारतीय रिजर्व बैंक की रणनीति में भी दिखती है।

57.5 टन सोने की खरीद से भारत ने बढ़ाई आर्थिक सुरक्षा

RBI का रणनीतिक दृष्टिकोण

आरबीआई का दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से दोहरे उद्देश्य को लेकर है – सुरक्षा और तरलता। बैंक की अर्धवार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि भंडार प्रबंधन के लिए मुख्य उद्देश्य जोखिम से बचाव और विश्वसनीय रिटर्न है। भारत का केंद्रीय बैंक स्वर्ण भंडार के निपटान से परहेज करता है, जो इसे तुर्की, स्विट्जरलैंड और चीन जैसे कुछ अन्य देशों से अलग बनाता है।

भारत की मौद्रिक नीति में स्थिरता बनाए रखने और मुद्रा की अस्थिरता से निपटने के लिए यह सोना एक मजबूत ‘हेज’ के रूप में कार्य करता है। खासकर तब जब डॉलर कमजोर होता है या अमेरिका की मौद्रिक नीति में बदलाव होते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार में विविधता

RBI का सोना खरीदना विदेशी मुद्रा भंडार में विविधता लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। पारंपरिक रूप से यह भंडार डॉलर, यूरो और पाउंड जैसे मुद्रा परिसंपत्तियों में होता है, जो वैश्विक आर्थिक तनाव के समय मूल्य में गिरावट का जोखिम रखती हैं। वहीं, सोना संकट काल में मूल्यवर्धन करता है और परिसंपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

निवेशकों और नीति निर्माताओं को क्या संकेत मिलते हैं?

RBI की यह रणनीति भारत की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह न केवल देश की क्रेडिट रेटिंग को प्रभावित कर सकती है, बल्कि निवेशकों को भी संकेत देती है कि भारत का रिजर्व प्रबंधन सतर्क और दूरदर्शी है। इसके साथ ही यह घरेलू निवेशकों को भी सोने को एक अहम पोर्टफोलियो घटक के रूप में देखने को प्रेरित कर सकता है।

How To Make Professional Logo For Your Youtube Channel |Only 5 Mins

Big Breaking News | UP Social media policy | govt to pay influencers up to ₹8 lakh per month

BEST WIRELESS MIC || MEDIA MIC || BEST PRICE

BEST WIRELESS MIC || MEDIA MIC

आरबीआई की खरीद में गिरावट के संकेत

हालांकि पिछले महीनों की तुलना में RBI की सोना खरीद में कुछ मंदी के संकेत मिले हैं। जनवरी से नवंबर 2024 के बीच हर महीने औसतन 6.6 टन की खरीद दर्ज की गई, लेकिन दिसंबर और फरवरी में खरीद रोक दी गई और जनवरी और मार्च में औसत से कम रही।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह एक संतुलित दृष्टिकोण हो सकता है, जिसमें RBI मौजूदा भंडार के मूल्यांकन और वैश्विक परिस्थितियों के अनुसार कदम उठा रहा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट भी इस ओर संकेत करती है कि भारत सोने को लेकर अधिक रणनीतिक और संतुलित रुख अपना रहा है।

सोने की खरीद बनाम अमेरिकी ट्रेजरी

RBI की यह रणनीति उस समय में आई है जब अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड की यील्ड में उतार-चढ़ाव देखा गया है और उनका आकर्षण कम हुआ है। भारत सहित कई देश अब ट्रेजरी बॉन्ड के बजाय सुरक्षित भौतिक संपत्तियों जैसे सोने की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था में एक बड़े परिवर्तन का संकेत हो सकता है।

57.5 टन सोने की खरीद से भारत ने बढ़ाई आर्थिक सुरक्षा

आर्थिक सुरक्षा की दिशा में स्वर्ण रणनीति का विस्तार

भारत का स्वर्ण भंडार अब न केवल मात्रा में बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी मजबूत हो रहा है। RBI की यह खरीद देश की आर्थिक सुरक्षा और वैश्विक अस्थिरता के बीच एक संतुलित निवेश दृष्टिकोण का प्रतीक है। भारत वैश्विक केंद्रीय बैंकों के उस समूह में शामिल हो गया है जो अपने भंडार को डॉलर से इतर परिसंपत्तियों में विविध कर रहे हैं। यह दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और मुद्रा संकट से रक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम है।

RBI की आगे की रणनीति पर नजर बनी रहेगी कि वह कब और कितना सोना खरीदता है। लेकिन फिलहाल इतना तय है कि भारत की सोने की भूख सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि अब रणनीति बन चुकी है।


Spread the love
Sharing This Post:

Leave a comment

PINK MOON 2025 सरकार ने पूरी की तैयारी 2025 विश्व गौरैया दिवस: घरों को अपनी चहचहाहट से भरती है गौरैया, हो चुकी लुप्त स्पेस में खुद का युरीन पीते हैं एस्ट्रोनॉट्स! इस क्रिकेटर का होने जा रहा है तालाक!