BOMBAY HC: शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के सांसद रवींद्र वायकर का चुनाव बरकरार रखा

Photo of author

By headlineslivenews.com

Spread the love

BOMBAY HC: बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर द्वारा शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के सांसद रवींद्र वायकर के खिलाफ दायर चुनाव याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका वायकर की 2024 के लोकसभा चुनावों में मुंबई उत्तर-पश्चिम संसदीय क्षेत्र से जीत को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी।

BOMBAY HC

कीर्तिकर ने चुनाव प्रक्रिया में विभिन्न अवैधताओं का आरोप लगाते हुए परिणाम को शून्य घोषित करने की मांग की थी, लेकिन न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया और वायकर को राहत प्रदान की।

BOMBAY HC: चुनाव याचिका का खारिज होना

न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की अध्यक्षता वाली पीठ ने कीर्तिकर की याचिका को खारिज करने के लिए उनके आवेदन को स्वीकार किया। कोर्ट ने कहा कि चुनाव याचिका में कोई ठोस आधार नहीं पाया गया और इसे भारतीय चुनाव कानून के तहत स्वीकार नहीं किया जा सकता।

न्यायालय ने कहा कि आरपी अधिनियम की धारा 100(1)(डी)(iii) या (iv) के तहत कोई आधार नहीं प्रस्तुत किया गया, जिसके तहत चुनाव परिणाम को चुनौती दी जा सकती है। इस वजह से अदालत ने याचिका पर सुनवाई करने से इंकार किया और इसे खारिज कर दिया।

ALLAHABAD HC: मोहम्मद जुबैर को दी गिरफ्तारी से अंतरिम राहत

SUPREME COURT: यूपी बार एसोसिएशनों को कार्यदिवस में हड़ताल पर रोक लगाई

अमोल कीर्तिकर ने 27-मुंबई उत्तर-पश्चिम संसदीय क्षेत्र में 2024 के लोकसभा चुनाव में रवींद्र वायकर की मामूली जीत (48 वोटों के अंतर से) को अवैध बताते हुए कई आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि चुनाव प्रक्रिया में कई अवैधताएँ हुईं, जैसे कि मतगणना प्रक्रिया के दौरान उनके एजेंटों को मतगणना टेबल पर बैठने की अनुमति न देना और मतों की पुनर्गणना का अनुरोध अस्वीकार करना।

इसके अलावा, कीर्तिकर ने आरोप लगाया कि मतगणना में फर्जी व्यक्तियों द्वारा वोट डाले गए थे और मोबाइल फोन का अनधिकृत रूप से उपयोग किया गया था, जो चुनाव प्रक्रिया का उल्लंघन था।

BOMBAY HC: अदालत का दृष्टिकोण

हालांकि, अदालत ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि कीर्तिकर यह साबित करने में असफल रहे कि मतगणना प्रक्रिया में कोई गंभीर उल्लंघन हुआ था। अदालत ने यह भी कहा कि कीर्तिकर ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनके एजेंटों को किस टेबल पर बैठने की अनुमति नहीं दी गई थी और न ही यह बताया कि उनके एजेंटों को किस विशेष कंप्यूटर पर बैठने से रोका गया था।

इसके अलावा, अदालत ने यह भी पाया कि कीर्तिकर ने अपनी याचिका में मतगणना एजेंटों के नामों का उल्लेख नहीं किया, जो उनके आरोपों की विश्वसनीयता को कमजोर करता है।

कीर्तिकर ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि उन्हें फॉर्म 17-सी (भाग II) की आपूर्ति न करके उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया। इस फॉर्म में चुनाव परिणाम से संबंधित जानकारी होती है, जिसे चुनाव परिणामों को सत्यापित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, अदालत ने यह माना कि कीर्तिकर ने यह साबित नहीं किया कि उन्हें यह फॉर्म न दिया गया था और इससे परिणामों के सत्यापन में कोई समस्या आई थी।

इसके अलावा, कीर्तिकर ने आरोप लगाया था कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान कुछ लोगों ने फर्जी मत डाले और यह मतदाता पहचान प्रक्रिया में छेड़छाड़ की वजह से हुआ। इस आरोप को भी अदालत ने नकारते हुए कहा कि कीर्तिकर ने यह साबित नहीं किया कि चुनाव में कोई अवैध मत डाले गए थे, जो परिणामों पर असर डाल सकते थे।

BOMBAY HC: चुनाव याचिका की खारिजी के बाद की स्थिति

कोर्ट ने चुनाव याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन वायकर की जीत को चुनौती देने वाले सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद, रवींद्र वायकर को राहत मिली और उन्होंने अपनी जीत को बरकरार रखा।

Headlines Live News

अदालत ने यह स्पष्ट किया कि चुनाव परिणामों को चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ता को ठोस और विश्वसनीय प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है, और केवल संदेह या अस्पष्ट आरोपों के आधार पर चुनाव परिणामों को शून्य नहीं किया जा सकता।

वायकर ने कीर्तिकर की याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए अदालत में आवेदन दायर किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि कीर्तिकर ने केवल अवैध आरोप लगाए थे, जिनका कोई ठोस आधार नहीं था। कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए कीर्तिकर के आरोपों को निराधार बताया और चुनाव याचिका को खारिज किया।

भारतीय चुनाव कानून के तहत, चुनाव परिणाम को चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ता को यह साबित करना होता है कि चुनाव प्रक्रिया में कुछ ऐसा हुआ है, जिससे परिणाम प्रभावित हुए हों। याचिकाकर्ता को यह दिखाना होता है कि मतदाता पहचान प्रक्रिया में छेड़छाड़ हुई है, या मतगणना में कोई दोष हुआ है, जिससे परिणाम पर असर पड़ा हो।

Headlines Live News

इस मामले में कीर्तिकर ये साबित करने में असफल रहे कि चुनाव परिणामों में कोई अवैधता थी या चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार का उल्लंघन हुआ था।

बॉम्बे हाई कोर्ट का यह निर्णय चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बरकरार रखने के लिए महत्वपूर्ण है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि चुनाव याचिका केवल गंभीर और ठोस आरोपों के आधार पर ही स्वीकार की जा सकती है। इस मामले में कीर्तिकर के आरोपों को अस्वीकार करते हुए वायकर की जीत को बरकरार रखा गया।

इस फैसले से यह भी स्पष्ट हुआ कि चुनावी प्रक्रियाओं में उठाए गए आरोपों के लिए पुख्ता प्रमाण और ठोस आधार होना आवश्यक है, और केवल संदेह या अफवाहों के आधार पर चुनाव परिणामों को चुनौती नहीं दी जा सकती।

BOMBAY HC: शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के सांसद रवींद्र वायकर का चुनाव बरकरार रखा
Sharing This Post:

Leave a Comment

Optimized by Optimole
DELHI HC: भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज को सत्येंद्र जैन के मानहानि केस में नोटिस जारी किया BOMBAY HC: पतंजलि पर जुर्माने पर रोक लगाई अतुल सुभाष आत्महत्या: बेंगलुरु कोर्ट ने पत्नी और परिवार को न्यायिक हिरासत में भेजा SUPREME COURT: भाजपा नेता गिर्राज सिंह मलिंगा को मारपीट मामले में जमानत दी” SUPREME COURT: मामूली अपराधों में जमानत में देरी पर जताई चिंता