96 महिलाएं मैदान में: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए 5 फरवरी को मतदान होना है, और इस बार चुनावी मैदान में महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है।
पिछले चार दशकों में पहली बार, राजनीतिक पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों पर अधिक भरोसा जताया है। खासतौर से, दिल्ली में तीन प्रमुख राजनीतिक दलों ने महिला वोटर्स को ध्यान में रखते हुए महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाई है। इस चुनाव में कुल 699 उम्मीदवार हैं, जिनमें 96 महिलाएं शामिल हैं, जो अब तक की सबसे अधिक संख्या है। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि महिला वोटरों के प्रति राजनीतिक दलों की सोच में बदलाव आ रहा है।
96 महिलाएं मैदान में: आम आदमी पार्टी का महिला उम्मीदवारों पर फोकस
96 महिलाएं मैदान में: इस बार चुनावी मैदान में उतरे प्रमुख दलों में से बीजेपी और आम आदमी पार्टी (आप) ने 9-9 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने 7 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। इस बढ़ी हुई महिला भागीदारी का सीधा असर महिला मतदाताओं पर होने की उम्मीद है, जिनकी संख्या पिछले चुनावों के मुकाबले बढ़ी है।
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राजनीतिक पार्टियां महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अपनी रणनीतियां बना रही हैं, ताकि उन्हें अपनी ओर लाया जा सके और जीत की दर को बढ़ाया जा सके।
आम आदमी पार्टी (आप) ने महिला उम्मीदवारों को महत्वपूर्ण भूमिका दी है, जिसमें आतिशी, पूजा बालियान, प्रमिला टोकस, राखी बिडलान और अन्य महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इस बार पार्टी की रणनीति में 2020 के विधानसभा चुनावों से ज्यादा महिला उम्मीदवारों को उतारने का निर्णय लिया गया है। आतिशी, प्रमिला टोकस, धनवंती चंदेला, बंदना कुमार और सरिता सिंह फिर से मैदान में हैं।
2020 में ‘आप’ ने 9 महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा था और उनमें से 8 महिलाओं ने जीत हासिल की थी। इस बार पार्टी ने फिर से 9 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, और पार्टी को उम्मीद है कि वे फिर से अच्छा प्रदर्शन करेंगी।
2008 से 2020 तक बीजेपी की महिला उम्मीदवारों का प्रदर्शन
बीजेपी की बात करें तो, पार्टी ने पहले कभी महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाने पर ज्यादा जोर नहीं दिया था। 2008 में बीजेपी ने 4 महिलाओं को चुनाव में उतारा था, लेकिन कोई भी महिला उम्मीदवार जीत नहीं पाई थी। इसके बाद 2013, 2015 और 2020 में भी बीजेपी ने महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली। हालांकि, इस बार बीजेपी ने 9 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है और पार्टी को उम्मीद है कि महिला उम्मीदवारों के मुकाबले में वे बेहतर प्रदर्शन करेंगी। पार्टी ने रेखा गुप्ता, शिखा राय और प्रियंका गौतम जैसे उम्मीदवारों को उतारा है, जो पहले एमसीडी चुनाव में जीत चुके हैं।
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कांग्रेस ने भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की कोशिश की है, लेकिन पार्टी के लिए महिला उम्मीदवारों की सफलता दर में ज्यादा सुधार देखने को नहीं मिला। 1993 में जब पहली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिलाओं की संख्या पर गौर किया गया, तो कुल 1,316 उम्मीदवारों में से केवल 58 महिलाएं थीं, जो कि सिर्फ 4 फीसदी थीं।
इसमें से केवल तीन महिलाएं ही जीत पाईं थीं। 1998 तक महिला उम्मीदवारों की संख्या में थोड़ा बदलाव आया और 57 महिलाएं मैदान में उतरीं। इस दौरान सफलता दर में थोड़ी बढ़ोतरी हुई और 16 महिलाओं ने चुनाव जीतने में सफलता पाई। हालांकि, कांग्रेस को महिला उम्मीदवारों की जीत के प्रतिशत में ज्यादा सुधार नहीं मिल सका।
दिल्ली चुनाव 2025 में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
2013 और 2015 में कांग्रेस ने क्रमशः 6 और 5 महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन सफलता की दर बहुत कम रही। 2020 में पार्टी ने 10 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन किसी भी महिला उम्मीदवार को जीत नहीं मिल पाई। इस बार कांग्रेस ने 7 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन पार्टी को उम्मीद है कि इस बार कुछ और महिला उम्मीदवारों को सफलता मिल सकती है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की बढ़ी हुई संख्या, महिलाओं के मुद्दों पर जोर देने की पार्टी की रणनीतियों और महिला मतदाताओं के महत्व को दर्शाती है। इन बढ़ती हुई संख्या का असर चुनावी परिणामों पर कैसे होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। दिल्ली के चुनावी माहौल में इस बार महिलाओं की अधिक भागीदारी ने एक नई दिशा की ओर इशारा किया है, जिसमें महिलाओं की राजनीति में बढ़ती हुई भूमिका और चुनावी सफलता की ओर बढ़ते कदम देखे जा रहे हैं।
इस चुनाव में जीत का आंकड़ा महिला उम्मीदवारों के पक्ष में बढ़ सकता है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में महिला उम्मीदवारों के लिए राजनीतिक दलों की रणनीतियां और उनके जीतने की संभावना में इजाफा हुआ है। ‘आप’ ने इस बार महिलाओं के लिए जो उम्मीदें जताई हैं, वह उम्मीदें बीजेपी और कांग्रेस के लिए भी चुनौती का कारण बन सकती हैं। ऐसे में दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में महिला उम्मीदवारों की सफलता दर को लेकर विचार विमर्श जारी रहेगा।