ALLAHABAD HC: अनुकंपा नियुक्ति में विधवा बेटी को विवाहित बेटी से प्राथमिकता

Photo of author

By headlineslivenews.com

Spread the love

ALLAHABAD HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति योजना के तहत विधवा बेटी को ‘निर्भर’ की परिभाषा में शामिल किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि विधवा बेटी, जो अपने पति को खो चुकी हो और संभवतः आजीविका का साधन भी खो चुकी हो, विवाहित बेटी की तुलना में बेहतर स्थिति में होती है।

ALLAHABAD HC

यह फैसला न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने दिया, जिसमें याचिकाकर्ता की विधवा बेटी के रूप में अनुकंपा नियुक्ति की मांग को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) द्वारा खारिज करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

ALLAHABAD HC: कोर्ट का अवलोकन

अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि विधवा बेटी अपने पिता पर निर्भर रहती है, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि वह स्वयं के लिए पर्याप्त आजीविका का प्रबंधन कर रही है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी विधवा बेटी के पास जीवनयापन के साधन नहीं हैं, तो यह मान लेना न्यायसंगत होगा कि वह अपने पिता पर निर्भर थी।

DELHI HC: दंपति के नाम रिकॉर्ड से हटाने के आदेश दिए 2024!

ORISSA HC: सिर्फ 5 वर्षों की सेवा करने वाले को पेंशन लाभ देना असमानता पैदा करेगा

अदालत ने कहा, “विधवा बेटी, जिसने अपने पति को खो दिया है और संभवतः आजीविका का स्रोत भी, विवाहित बेटी की तुलना में बेहतर स्थिति में है। जब तक यह साबित नहीं होता कि वह स्वयं काम कर रही है या उसके पास पर्याप्त जीवनयापन के साधन हैं, यह मानना उचित होगा कि वह अपने पिता पर निर्भर थी।”

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पंकज कुमार त्रिपाठी ने अदालत में तर्क दिया कि विवाह के बाद भी बेटी अपने पिता की संतान बनी रहती है। पति की मृत्यु के बाद, याचिकाकर्ता अपने पिता पर निर्भर हो गई थी, इसलिए उसे ‘निर्भर परिवार सदस्य’ की परिभाषा में शामिल किया जाना चाहिए।

अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा और उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड बनाम उर्मिला देवी के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को परिवार के सदस्य के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का मामला सर्किल हाई पावर कमेटी के समक्ष प्रस्तुत ही नहीं किया गया, जो कि नियमानुसार अनिवार्य था।

ALLAHABAD HC: प्रतिवादी की दलील

प्रतिवादी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने तर्क दिया कि केंद्र सरकार की अनुकंपा नियुक्ति योजना में विधवा बेटी को ‘निर्भर परिवार सदस्य’ के रूप में शामिल नहीं किया गया है। BSNL ने कहा कि अदालत या न्यायाधिकरण नीति निर्माण में हस्तक्षेप नहीं कर सकते।

प्रतिवादी के वकील ने यह भी कहा कि दिशा-निर्देशों के अनुसार, विधवा बेटी योजना के तहत पात्रता सूची में नहीं आती है।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अनुकंपा नियुक्ति योजना का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार को आर्थिक संकट से उबारना है। यह योजना परिवार के उन सदस्यों को सहायता प्रदान करने के लिए है, जो मृतक कर्मचारी पर निर्भर थे।

अदालत ने योजना के नोट-1 का जिक्र करते हुए कहा, “निर्भर परिवार सदस्य की परिभाषा समावेशी है। इसमें ‘बेटी’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें गोद ली हुई बेटी भी शामिल है। अगर विवाहित बेटा पात्र हो सकता है, तो विवाहित या विधवा बेटी को भी पात्र होना चाहिए, बशर्ते वह अपने पिता पर निर्भर हो।”

ALLAHABAD HC: संवैधानिक आधार

अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार का भेदभाव असंवैधानिक है। अदालत ने कहा कि यदि विधवा बेटी अपने पिता पर निर्भर थी, तो उसे अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार मिलना चाहिए।

Headlines Live News

अदालत ने यह भी कहा, “अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है और अनुच्छेद 15 लिंग के आधार पर भेदभाव को रोकता है। यदि विवाहित बेटा पात्र है, तो विवाहित या विधवा बेटी को भी समान अवसर मिलना चाहिए। कोई भी नीति जो विधवा बेटी को वंचित करती है, वह संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन करेगी।”

अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया कि विधवा बेटी को ‘निर्भर परिवार सदस्य’ की परिभाषा में शामिल किया जाएगा, बशर्ते वह अपने पिता पर निर्भर हो।

अदालत ने कहा, “यदि यह साबित हो जाता है कि विधवा बेटी अपने पिता पर निर्भर थी, तो उसे अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार होगा। यह जांच संबंधित प्राधिकरण द्वारा की जाएगी।”

यह मामला पुनीता भट्ट उर्फ पुनीता धवन बनाम भारत संचार निगम लिमिटेड व अन्य का था।

ALLAHABAD HC: पक्षकारों की उपस्थिति

  • याचिकाकर्ता की ओर से: अधिवक्ता पंकज कुमार त्रिपाठी, भाविनी उपाध्याय, और संध्या दुबे।
  • प्रतिवादी की ओर से: अधिवक्ता प्रतुल कुमार श्रीवास्तव और ज्ञानेंद्र सिंह सिकरवार।

यह फैसला अनुकंपा नियुक्ति की व्यवस्था में महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ALLAHABAD HC: अनुकंपा नियुक्ति में विधवा बेटी को विवाहित बेटी से प्राथमिकता
JUDGES ON LEAVE

Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi✌🏻

Sharing This Post:

Leave a Comment

Optimized by Optimole
DELHI HC: भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज को सत्येंद्र जैन के मानहानि केस में नोटिस जारी किया BOMBAY HC: पतंजलि पर जुर्माने पर रोक लगाई अतुल सुभाष आत्महत्या: बेंगलुरु कोर्ट ने पत्नी और परिवार को न्यायिक हिरासत में भेजा SUPREME COURT: भाजपा नेता गिर्राज सिंह मलिंगा को मारपीट मामले में जमानत दी” SUPREME COURT: मामूली अपराधों में जमानत में देरी पर जताई चिंता