ALLAHABAD HC: इरफान सोलंकी की सजा पर स्थगन याचिका खारिज की

Photo of author

By headlineslivenews.com

Spread the love

ALLAHABAD HC:समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी सजा पर स्थगन की मांग की थी। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं, उन्हें चुनाव में भाग लेने से अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।

ALLAHABAD HC

सोलंकी की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने उन्हें सजा की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, जिससे उनकी विधानसभा चुनावों में भागीदारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

ALLAHABAD HC: सोलंकी का अपराध और सजा

यह मामला विशेष न्यायाधीश (एम.पी./एम.एल.ए.) द्वारा पारित एक फैसले से संबंधित है, जिसमें इरफान सोलंकी और उनके अन्य साथियों को विभिन्न गंभीर आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया था। इरफान सोलंकी को इस मामले में अधिकतम सात साल की सजा दी गई थी। आरोप थे कि सोलंकी और उनके साथियों ने मिलकर आगजनी की घटना को अंजाम दिया, जिसके कारण व्यक्ति की संपत्ति को नुकसान हुआ।

साथ ही, उनके आपराधिक इतिहास को देखते हुए, कोर्ट ने सजा को स्थगित करने की याचिका पर विचार किया।

TELANGANA HC: लोक अदालत को न्यायिक अधिकार नहीं

RAJASTHAN HC: आरोपी महिला को कनाडा जाने की अनुमति दी

हाईकोर्ट की खंडपीठ में न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह-आई ने इस मामले में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “यह कोर्ट सजा पर स्थगन देने की शक्ति रखती है, लेकिन यह शक्ति केवल विशेष परिस्थितियों में ही प्रयोग की जा सकती है, जब कोर्ट को लगता है कि स्थगन न देने से अन्याय हो सकता है और अपरिवर्तनीय परिणाम सामने आ सकते हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थगन देने के मामलों में अदालत को यह सुनिश्चित करना होता है कि बिना स्थगन दिए हुए न्यायिक प्रक्रिया में कोई गंभीर गड़बड़ी न हो।

ALLAHABAD HC: सोलंकी का तर्क और उसकी प्रतिक्रिया

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इमरान उल्ला ने दलील दी कि उनके मुवक्किल इरफान सोलंकी को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण इस मामले में फंसाया गया है। उन्होंने यह तर्क भी प्रस्तुत किया कि सोलंकी पिछले 17 वर्षों से जनता की सेवा में लगे हुए थे और इस मामले में उनका उद्देश्य केवल राजनीतिक प्रतिशोध था।

उनका आरोप था कि यह मामला सोलंकी को उनके राजनीतिक विरोधियों द्वारा फंसाए जाने के लिए दायर किया गया है।

वहीं, सरकारी वकील ने तर्क दिया कि सोलंकी पर गंभीर आरोप हैं, जिनमें आगजनी की घटनाएं शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सोलंकी और उनके साथियों के खिलाफ आपराधिक इतिहास लंबा है, जिसमें 17 से अधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से कई मामलों में उन्हें जमानत तक नहीं मिली।

सरकारी पक्ष ने सोलंकी के खिलाफ अदालतों में लंबित मामलों का भी उल्लेख किया और कहा कि इस तरह के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे व्यक्तियों को चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

कोर्ट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध निर्णय रविकांत एस. पटिल बनाम सर्वभौमा एस. बागली का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट में यह निर्णय दिया गया था कि सजा पर स्थगन देने का निर्णय एक अपवाद है और इसे केवल विशेष परिस्थितियों में लागू किया जा सकता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि स्थगन के लिए यह जरूरी नहीं है कि किसी व्यक्ति को केवल इस आधार पर स्थगन मिले कि उसे चुनावों में भाग लेने से रोक दिया गया है।

इसके बजाय, कोर्ट को यह देखना होता है कि क्या स्थगन देने से न्यायिक प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी हो रही है या कोई अपरिवर्तनीय परिणाम हो सकता है।

ALLAHABAD HC: विधानसभा चुनावों में भागीदारी पर प्रभाव

कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि सोलंकी की सजा के कारण उनकी विधानसभा सदस्यता के लिए अयोग्यता की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जैसा कि प्रतिनिधित्व लोगों के कानून, 1951 के तहत निर्धारित है। इसके अंतर्गत, जिन व्यक्तियों को आपराधिक अपराधों का दोषी पाया जाता है, उन्हें चुनाव में भाग लेने के लिए अयोग्य ठहराया जाता है।

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे व्यक्तियों का चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना देश की लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरे की बात हो सकती है, क्योंकि यह अनिवार्य है कि निर्वाचित प्रतिनिधि का साफ-सुथरा आपराधिक इतिहास हो।

Headlines Live News

अंततः, कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि केवल इस आधार पर सजा पर स्थगन नहीं दिया जा सकता कि सोलंकी की सजा उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराती है। कोर्ट ने यह माना कि सार्वजनिक कार्यालयों के लिए चयन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पात्र व्यक्तियों का आपराधिक इतिहास साफ होना चाहिए और ऐसे मामलों में सजा पर स्थगन देने की प्रक्रिया दुर्लभ होनी चाहिए।

हाईकोर्ट ने यह भी माना कि गंभीर आपराधिक मामलों में, जहां सजा पर स्थगन देने की संभावना सीमित होती है, ऐसे व्यक्तियों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बाहर रखना महत्वपूर्ण है। इस निर्णय ने यह स्पष्ट किया कि जो लोग आपराधिक मामलों में शामिल होते हैं, उन्हें चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने से रोका जाना चाहिए ताकि जनता का विश्वास लोकतंत्र में बना रहे।

मामला: इरफान सोलंकी और अन्य बनाम राज्य उत्तर प्रदेश
विराम याचिका संख्या: 6659/2024
याचिकाकर्ता: वरिष्ठ अधिवक्ता इमरान उल्ला, अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय
प्रतिक्रियाशील: सरकारी वकील

Sharing This Post:

Leave a Comment

Optimized by Optimole
DELHI HC: भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज को सत्येंद्र जैन के मानहानि केस में नोटिस जारी किया BOMBAY HC: पतंजलि पर जुर्माने पर रोक लगाई अतुल सुभाष आत्महत्या: बेंगलुरु कोर्ट ने पत्नी और परिवार को न्यायिक हिरासत में भेजा SUPREME COURT: भाजपा नेता गिर्राज सिंह मलिंगा को मारपीट मामले में जमानत दी” SUPREME COURT: मामूली अपराधों में जमानत में देरी पर जताई चिंता