ATUL SUBHASH CASE: 34 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की बेंगलुरु में आत्महत्या के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया के चाचा सुशील सिंघानिया को ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी है। यह फैसला सोमवार को आया, जिसमें सुशील सिंघानिया को ₹50,000 के जमानत बांड और अन्य शर्तों के अधीन राहत प्रदान की गई।
ATUL SUBHASH CASE: आत्महत्या के पीछे का मामला
अतुल सुभाष ने अपनी जान लेने से पहले एक विस्तृत सुसाइड नोट और वीडियो छोड़ा था। इन दोनों में उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार के सदस्यों पर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और झूठे मामलों में फंसाने का आरोप लगाया।
अतुल का कहना था कि उनके खिलाफ तलाक, गुजारा भत्ता और बच्चे की कस्टडी को लेकर चल रहे पारिवारिक विवाद के दौरान उन्हें जानबूझकर प्रताड़ित किया गया।
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न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की एकल पीठ ने सुशील सिंघानिया के मामले को प्राथमिकता दी, जबकि निकिता, उनकी मां निशा सिंघानिया और उनके भाई अनुराग सिंघानिया की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि निकिता और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को बेंगलुरु पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है, जिससे उनकी जमानत याचिका निरर्थक हो गई।
69 वर्षीय सुशील सिंघानिया के वकीलों ने अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल वृद्ध और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनके अनुसार, सुशील का इस मामले में कोई प्रत्यक्ष हाथ नहीं है और आरोप सिर्फ उत्पीड़न से संबंधित हैं, जो आत्महत्या के लिए उकसाने की परिभाषा में नहीं आते।
ATUL SUBHASH CASE: सुसाइड नोट और आरोप
अतुल सुभाष के सुसाइड नोट में यह दावा किया गया था कि सुशील सिंघानिया ने उन्हें और उनके माता-पिता को धमकी दी थी। हालांकि, अदालत ने पाया कि इन आरोपों को ‘उकसाना’ के तहत स्थापित करना मुश्किल है।
अदालत ने यह भी माना कि उत्पीड़न और उकसाने में अंतर है, और मौजूदा तथ्यों के आधार पर यह धारा 108 के तहत अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
अतुल की आत्महत्या के बाद, निकिता और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 2023 की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और धारा 3(5) (एक ही इरादे से आपराधिक कृत्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
ATUL SUBHASH CASE: अग्रिम जमानत की शर्तें
अदालत ने सुशील सिंघानिया को यह जमानत दी कि वह जांच में सहयोग करेंगे और अदालत द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन करेंगे। उन्हें दो जमानतदारों के साथ ₹50,000 का जमानत बांड भरने का निर्देश दिया गया।
सुशील सिंघानिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तेजस सिंह, अजय कुमार सिंह और आशिम लूथरा ने अदालत में उनकी पैरवी की। राज्य की ओर से सरकारी अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड और राजीव कुमार सिंह ने अपना पक्ष रखा।
ATUL SUBHASH CASE: निष्कर्ष
इस मामले में सुशील सिंघानिया को मिली ट्रांजिट अग्रिम जमानत एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मामला एक ओर परिवारिक विवादों के कारण उत्पन्न तनावों को उजागर करता है, वहीं न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता और संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर देता है। फिलहाल, निकिता और उनके परिवार के अन्य सदस्यों की न्यायिक हिरासत जारी है और मामले की आगे की सुनवाई लंबित है।