ALLAHABAD HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक और तथ्य-जांचकर्ता मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी। जुबैर पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 152 के तहत मामला दर्ज किया था, जिसमें उन पर भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का आरोप है।
ALLAHABAD HC: अंतरिम आदेश और अगली सुनवाई
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति नलिन श्रीवास्तव की खंडपीठ ने आदेश दिया कि 6 जनवरी 2025 तक जुबैर के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। साथ ही, पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह इस मामले में विस्तृत जवाब दाखिल करे।
मामला जुबैर के एक ट्वीट से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद द्वारा दिए गए भाषण को “अपमानजनक और घृणास्पद” बताया था। जुबैर का यह ट्वीट यति नरसिंहानंद के एक पुराने वीडियो क्लिप के संदर्भ में था।
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जुबैर के इस पोस्ट के बाद, नरसिंहानंद समर्थकों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई। शिकायतकर्ता, यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी ने आरोप लगाया कि जुबैर का ट्वीट हिंसा भड़काने के उद्देश्य से किया गया था। उन्होंने जुबैर, अरशद मदनी और असदुद्दीन ओवैसी को डासना देवी मंदिर में हुई हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया।
ALLAHABAD HC: शिकायत में लगाए गए आरोप
गाजियाबाद पुलिस ने जुबैर पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया, जिनमें शामिल हैं:
- धारा 196: धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना।
- धारा 228: झूठे सबूत गढ़ने का आरोप।
- धारा 299: धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप।
- धारा 356(3): मानहानि।
- धारा 351(2): आपराधिक धमकी।
बाद में, धारा 152 (सार्वजनिक शांति को खतरा) भी जोड़ी गई।
अपनी याचिका में जुबैर ने कहा कि उन्होंने केवल नरसिंहानंद की भड़काऊ और अपमानजनक टिप्पणियों को उजागर किया था। जुबैर ने इसे उनके खिलाफ “दुर्भावनापूर्ण प्रयास” बताया और कहा कि एफआईआर का उद्देश्य नरसिंहानंद की आपराधिक गतिविधियों को सामने लाने से रोकना है।
ALLAHABAD HC: पिछली कानूनी कार्यवाही
मामले से पहले जुड़ी एक सुनवाई में, जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और प्रशांत कुमार की पीठ ने इस केस से खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद मामला नई पीठ के समक्ष आया।
29 सितंबर 2024 को यति नरसिंहानंद ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में विवादित भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कथित रूप से पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, और तेलंगाना में नरसिंहानंद के खिलाफ सांप्रदायिक नफरत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में कई एफआईआर दर्ज की गईं।
ALLAHABAD HC: अदालत का रुख
हाईकोर्ट ने जुबैर को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
अगली सुनवाई 6 जनवरी 2025 को होगी, जहां सरकार द्वारा दाखिल जवाब पर चर्चा होगी। इस मामले के परिणाम देश में पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।