BJP की प्रचंड जीत: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे अब पूरी तरह साफ हो चुके हैं और इस बार सत्ता के समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं।
जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रचंड बहुमत हासिल किया, वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए यह चुनाव बड़ा झटका साबित हुआ। हालांकि, इस पूरे चुनाव में एक दिलचस्प मोड़ कांग्रेस की भूमिका ने ला दिया। भले ही कांग्रेस एक भी सीट जीतने में नाकाम रही, लेकिन उसने अप्रत्यक्ष रूप से दिल्ली की राजनीति का सबसे बड़ा खेल खेल दिया।
BJP की प्रचंड जीत: दिल्ली में ‘मोदी मैजिक’ का असर
BJP की प्रचंड जीत: दिल्ली की जनता ने इस बार आम आदमी पार्टी को सत्ता से बेदखल कर दिया। 2020 के विधानसभा चुनाव में जहां आप को 53% से ज्यादा वोट मिले थे, वहीं इस बार पार्टी का वोट शेयर गिरकर 43.61% पर आ गया। दूसरी ओर, भाजपा ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ाकर 45.88% कर लिया, जिससे वह पहली बार दिल्ली विधानसभा में स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच गई।
आंकड़ों की तुलना करें तो पिछले चुनाव की तुलना में भाजपा को करीब 7% अधिक वोट मिले, जबकि आप को लगभग 10% का नुकसान हुआ। लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये वोट कहां गए? जवाब है – कांग्रेस के खाते में।
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BJP की प्रचंड जीत: कांग्रेस बनी ‘वोट कटवा’ पार्टी
BJP की प्रचंड जीत: चुनाव परिणामों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि कांग्रेस को इस बार भी कोई सीट नहीं मिली, लेकिन उसने आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर करने में बड़ी भूमिका निभाई। कांग्रेस का कुल वोट प्रतिशत 6.39% रहा, जो बहुत अधिक नहीं था, लेकिन कई सीटों पर यह वोट शेयर आप की हार की वजह बन गया।
दिल्ली की करीब 17 सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस के प्रत्याशी ने आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचाया। इन सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को मिले वोटों ने भाजपा को फायदा पहुंचाया और आप के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन हुआ होता, तो शायद चुनाव के नतीजे कुछ और ही होते।
इन सीटों पर कांग्रेस ने खेल बिगाड़ा
- नई दिल्ली सीट: तीन बार मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल इस बार अपनी परंपरागत सीट से चुनाव हार गए। बीजेपी के प्रवेश साहिब सिंह ने उन्हें करीब 4,000 वोटों से हरा दिया। खास बात यह रही कि कांग्रेस के संदीप दीक्षित को 4,500 से ज्यादा वोट मिले। अगर ये वोट आप को मिलते तो केजरीवाल जीत सकते थे।
- जंगपुरा सीट: यहां आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया 675 वोटों से हार गए, जबकि कांग्रेस के फरहाद सूरी ने 7,000 से ज्यादा वोट हासिल किए।
- ग्रेटर कैलाश सीट: आम आदमी पार्टी के सोमनाथ भारती को बीजेपी के उम्मीदवार ने हराया, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार को करीब 6,700 वोट मिले, जिसने हार-जीत का अंतर तय कर दिया।
- संगम विहार सीट: आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज महज 3,100 वोटों से हार गए, लेकिन कांग्रेस के गर्वित सांघवी ने 6,700 से ज्यादा वोट हासिल किए।
ऐसी ही 17 सीटें रहीं, जहां कांग्रेस के वोटों ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित कर दी।
क्या कांग्रेस ने BJP को फायदा पहुंचाने की रणनीति अपनाई?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने इस बार दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करके अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी को फायदा पहुंचाया। यह कहना मुश्किल है कि यह कोई सोची-समझी रणनीति थी या नहीं, लेकिन आंकड़े यही दिखाते हैं कि कांग्रेस की वजह से आम आदमी पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ।
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप ने गठबंधन किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में ऐसा कोई गठबंधन नहीं हुआ। इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला, क्योंकि कांग्रेस का वोट बैंक आप को ट्रांसफर नहीं हुआ, बल्कि उसने आप के वोटों को काटने का काम किया।
क्या आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती थी?
अब चुनाव नतीजों के बाद यह बहस तेज हो गई है कि अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन किया होता, तो क्या नतीजे अलग हो सकते थे? आंकड़ों को देखें तो कई सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या उतनी ही थी जितना कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच का जीत-हार का अंतर। इसका मतलब यह है कि अगर कांग्रेस आप के साथ मिलकर लड़ती, तो वह बीजेपी को रोक सकती थी।
क्या विपक्ष की कमजोरी ने बीजेपी को दिलाई बड़ी जीत?
बीजेपी ने इस बार दिल्ली चुनाव में बेहद आक्रामक रणनीति अपनाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने लगातार रैलियां कीं, जिसमें उन्होंने आम आदमी पार्टी की सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरा।
वहीं, आम आदमी पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की गिरफ्तारी और सीबीआई-ईडी की जांचों ने भी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया। कांग्रेस ने इन मुद्दों पर बहुत अधिक मुखर होकर आप का समर्थन नहीं किया, जिससे बीजेपी को इसका सीधा फायदा मिला।
2025 DELHI Election | MUSTAFABAD VIDHANSABHA | Bolega India
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AZAD SAMAJ PARTY KANSHIRAM DELHI | DELHI VIDHANSABHA ELECTION | CHANDER SHEKHAR AZAD
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KIRARI VIDHANSABHA | ANIL JHA | RAJESH GUPTA | BAJRANG SHUKLA | Bolega India
दिल्ली की राजनीति का भविष्य
अब सवाल उठता है कि दिल्ली की राजनीति आगे किस दिशा में जाएगी?
- बीजेपी की सरकार: अब बीजेपी को यह साबित करना होगा कि वह दिल्ली की जनता की उम्मीदों पर खरी उतर सकती है।
- आम आदमी पार्टी की रणनीति: अब आप को यह तय करना होगा कि वह विपक्ष में रहते हुए किस तरह दिल्ली में अपनी पकड़ बनाए रखेगी।
- कांग्रेस की भूमिका: कांग्रेस को भी इस पर मंथन करना होगा कि क्या वह वाकई दिल्ली में अपना आधार मजबूत कर सकती है, या फिर वह हमेशा ‘वोट कटवा’ पार्टी बनी रहेगी।
आम आदमी पार्टी के लिए नई रणनीति की जरूरत
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी की हार का एक बड़ा कारण कांग्रेस रही। कांग्रेस ने भले ही कोई सीट नहीं जीती, लेकिन उसके वोटों ने आप को हारने में अहम भूमिका निभाई। यह चुनावी नतीजे साबित करते हैं कि दिल्ली की राजनीति में अब नए गठबंधन और नई रणनीतियों की जरूरत होगी।
बीजेपी के लिए यह बड़ी जीत जरूर है, लेकिन अब उसे भी दिल्ली में अपनी परफॉर्मेंस से जनता को संतुष्ट करना होगा। वहीं, आम आदमी पार्टी को विपक्ष में रहकर खुद को फिर से मजबूत करने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।