BOMBAY HC: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को टीपू सुल्तान जयंती के उपलक्ष्य में पुणे में रैली आयोजित करने से रोकने का कोई ठोस कारण नहीं है। न्यायालय ने कहा कि पुलिस कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रतिबंध लगा सकती है और यदि जरूरत हो तो कानून के उल्लंघन पर उचित कार्रवाई कर सकती है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और एसजी डिगे की पीठ ने यह बयान एआईएमआईएम पुणे जिला अध्यक्ष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें पुणे पुलिस द्वारा रैली के लिए अनुमति देने से इनकार करने को चुनौती दी गई थी। पुलिस ने 26 नवंबर को प्रस्तावित रैली की अनुमति देने से इनकार किया था, इसे लेकर उन्होंने आपत्तियां जताई थीं।
BOMBAY HC: न्यायालय का दृष्टिकोण
न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,
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“ऐसा कोई कारण नहीं है कि रैली की अनुमति न दी जाए। आप (पुलिस) कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शर्तें लगा सकते हैं। यदि किसी प्रकार की अप्रिय घटना होती है, तो आप अपराध दर्ज कर सकते हैं। कानून और व्यवस्था बनाए रखना आपका विशेषाधिकार है।”
पीठ ने जोर देकर कहा कि आयोजकों को शांतिपूर्ण रैली सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी और पुलिस द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों का पालन करना होगा।
BOMBAY HC: पुलिस की आपत्ति और न्यायालय का जवाब
पुणे ग्रामीण के एसपी पंकज देशमुख ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत को बताया कि पिछले वर्ष टीपू सुल्तान जयंती के जुलूस के दौरान हिंसा की घटनाएं हुई थीं, जिसके कारण अपराध दर्ज किए गए थे। उन्होंने कहा कि इस बार भी अन्य समुदायों से आपत्तियां मिलने के कारण अनुमति नहीं दी गई थी।
पुलिस ने संविधान दिवस और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सम्मान में आयोजित कार्यक्रमों के लिए अनुमति दी थी लेकिन टीपू सुल्तान जयंती के लिए इजाजत देने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोई औपचारिक प्रतिबंध न होने की स्थिति में इस तरह के आयोजनों को अनुमति देना जरूरी है।
न्यायालय ने एआईएमआईएम के आयोजकों से यह वचन लिया कि रैली शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित होगी और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जाएगा। आयोजकों ने आश्वासन दिया कि वे सभी शर्तों का पालन करेंगे।
BOMBAY HC: टीपू सुल्तान जयंती पर विवाद
टीपू सुल्तान, जिन्हें “मैसूर का शेर” कहा जाता है, भारतीय इतिहास में एक विवादित लेकिन महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं। कुछ लोग उन्हें स्वतंत्रता सेनानी मानते हैं, जबकि अन्य उनके शासनकाल को धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण मानते हैं। इसी कारण, उनकी जयंती को लेकर कई बार सामाजिक और राजनीतिक विवाद उठते रहे हैं।
अदालत ने पुलिस से कहा कि रैली के दौरान शांति सुनिश्चित करने के लिए जरूरी उपाय किए जाएं। साथ ही, यदि किसी प्रकार की अप्रिय घटना होती है, तो कानून के तहत उचित कार्रवाई की जाए।
मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी, जिसमें रैली की स्थिति और पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई पर चर्चा होगी।
BOMBAY HC: निष्कर्ष
बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ कि शांतिपूर्ण आयोजन की अनुमति देने में किसी भी प्रकार का पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए। आयोजकों को रैली के दौरान अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि पुलिस को कानून व्यवस्था का पालन सुनिश्चित करने के लिए पूरी छूट दी गई है।