BOMBAY HC: गर्भवती पत्नी की हत्या ‘अत्यधिक क्रूर’ नहीं

Photo of author

By headlineslivenews.com

Spread the love

BOMBAY HC: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि दहेज की मांग को लेकर गर्भवती पत्नी की गला दबाकर हत्या करना ‘अत्यधिक हिंसा या क्रूरता’ की श्रेणी में नहीं आता। अदालत ने यह फैसला प्रदीपसिंह मुरलीधरसिंह ठाकुर द्वारा दायर एक याचिका पर दिया, जिन्होंने अपनी सजा माफी की मांग की थी। यह मामला 2001 में उनकी पत्नी की हत्या से जुड़ा है।

BOMBAY HC

खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति नितिन सांबरे और न्यायमूर्ति वृशाली जोशी शामिल थे, ने 26 नवंबर 2024 को आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का मामला 15 मार्च 2010 के सरकारी प्रस्ताव (GR) के तहत “अत्यधिक हिंसा” की परिभाषा में फिट नहीं बैठता, जो 26 साल के विस्तारित कारावास की आवश्यकता वाले मामलों के लिए लागू होता है।

BOMBAY HC: हाईकोर्ट ने क्यों दी राहत?

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि गला दबाना भले ही एक हिंसक कृत्य हो, लेकिन इसे ‘अत्यधिक हिंसा या क्रूरता’ की श्रेणी में रखना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने कहा:

CULCUTTA HC: बलात्कार मामले में दावा साबित करने डीएनए टेस्ट मंजूर

विमानन कंपनियां घाटे में: लेकिन यात्री ट्रैफिक में मजबूत वृद्धि की उम्मीद 2024 !

“गला दबाने का कार्य निश्चित रूप से हिंसक है। लेकिन इसे ‘अत्यधिक क्रूरता’ के साथ किया गया कृत्य कहा जा सकता है या नहीं, यह देखना आवश्यक है। हमारे विचार में, इसे अत्यधिक क्रूरता या हिंसा के साथ किया गया कृत्य नहीं कहा जा सकता।”

कोर्ट ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता को दो चोटें थीं:

  1. उसकी गर्दन पर गला घोंटने का निशान।
  2. गर्दन के दाहिनी ओर नाखून से खरोंच।

इन चोटों के आधार पर कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता का कृत्य ‘अत्यधिक क्रूर’ नहीं था और इसे सजा माफी के लिए निर्धारित मानकों के तहत नहीं रखा जा सकता।

BOMBAY HC: सरकारी प्रस्ताव और याचिकाकर्ता का तर्क

याचिकाकर्ता ने अपनी सजा को GR की श्रेणी 2(b) में रखने की मांग की थी, जिसमें उन दोषियों को 22 साल की सजा के बाद माफी का प्रावधान है, जिनका अपराध ‘अत्यधिक हिंसा’ की श्रेणी में नहीं आता।

हालांकि, राज्य सरकार ने 2018 में उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि याचिकाकर्ता एक पुलिसकर्मी थे और उनकी पत्नी गर्भवती थी, इसलिए उनका अपराध अधिक गंभीर है।

राज्य सरकार के इस तर्क को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा:

“सिर्फ इसलिए कि याचिकाकर्ता पुलिस विभाग का कर्मचारी था और उसने अपनी गर्भवती पत्नी की हत्या की, यह उसे सजा माफी के लिए अयोग्य नहीं बनाता। सरकारी प्रस्ताव में ऐसे मामलों के लिए कोई अलग श्रेणी नहीं बनाई गई है।”

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 432 के तहत सजा माफी के नियम सभी दोषियों पर समान रूप से लागू होते हैं।

BOMBAY HC: सजा माफी का निर्णय

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को GR की श्रेणी 2(b) में रखा, जिसमें 22 साल की सजा के बाद दोषियों को माफी दी जा सकती है। कोर्ट ने जेल अधिकारियों को यह जांचने का आदेश दिया कि क्या याचिकाकर्ता ने 22 साल की सजा पूरी कर ली है।

Headlines Live News

अदालत ने अपने आदेश में कहा:

“याचिकाकर्ता को 22 साल की सजा पूरी करने के बाद सजा माफी का लाभ दिया जाना चाहिए। नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाए। इस प्रकार याचिका स्वीकार की जाती है।”

अदालत ने यह सुनिश्चित करने के लिए संबंधित जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता ने यदि 22 साल की सजा पूरी कर ली है तो उसे रिहा किया जाए।

BOMBAY HC: प्रकरण का विवरण

  • मामला: प्रदीपसिंह मुरलीधरसिंह ठाकुर बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।
  • निर्णय संख्या: 2024:BHC-NAG:13098-DB
  • याचिकाकर्ता के वकील: अधिवक्ता वाई. पी. भेलेन्दे।
  • उत्तरदाता: अतिरिक्त लोक अभियोजक (APP) एन. आर. त्रिपाठी।

बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल सजा माफी के नियमों को स्पष्ट करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि दोषियों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाए। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी प्रस्ताव और कानून के तहत सभी दोषियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।

BOMBAY HC: गर्भवती पत्नी की हत्या 'अत्यधिक क्रूर' नहीं
JUDGES ON LEAVE

Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi

Sharing This Post:

Leave a Comment

Optimized by Optimole
DELHI HC: भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज को सत्येंद्र जैन के मानहानि केस में नोटिस जारी किया BOMBAY HC: पतंजलि पर जुर्माने पर रोक लगाई अतुल सुभाष आत्महत्या: बेंगलुरु कोर्ट ने पत्नी और परिवार को न्यायिक हिरासत में भेजा SUPREME COURT: भाजपा नेता गिर्राज सिंह मलिंगा को मारपीट मामले में जमानत दी” SUPREME COURT: मामूली अपराधों में जमानत में देरी पर जताई चिंता