BOMBAY HC: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पांच साल की बच्ची के अपहरण और मानव तस्करी के आरोपों का सामना कर रहे एक लेस्बियन जोड़े को जमानत दे दी। अदालत ने पाया कि उनका कार्य माता-पिता बनने की इच्छा से प्रेरित था और उनके खिलाफ कोई आपराधिक मंशा सिद्ध नहीं हुई।
BOMBAY HC: मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब सामने आया जब पांच साल की बच्ची अपने माता-पिता के घर से लापता हो गई। शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस जांच में पता चला कि यह बच्ची एक लेस्बियन जोड़े की कस्टडी में है। पुलिस ने इस जोड़े को मुंबई के उपनगर में गिरफ्तार किया। जांच से पता चला कि बच्ची को सह-आरोपियों के माध्यम से ₹9,000 की राशि में इस जोड़े को सौंपा गया था।
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 363 (अपहरण) और 370 (मानव तस्करी) के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद, जोड़े ने हाईकोर्ट में जमानत की याचिका दायर की।
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न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की अगुवाई वाली पीठ ने पाया कि आरोपियों का आचरण धारा 363 के तहत अपहरण के अपराध की श्रेणी में आ सकता है। हालांकि, मानव तस्करी (धारा 370) का मामला नहीं बनता क्योंकि इस अपराध के लिए जरूरी मापदंड पूरे नहीं हुए।
अदालत ने कहा कि यह जोड़ा करीब दस वर्षों से साथ रह रहा था और मंदिर में उन्होंने “शादी” भी की थी। उनके रिश्ते को सामाजिक और कानूनी मान्यता नहीं मिली थी, और बच्चा गोद लेने का भी विकल्प उनके लिए उपलब्ध नहीं था। इस स्थिति में, उन्होंने अवैध तरीका अपनाकर बच्चा हासिल करने की कोशिश की।
BOMBAY HC: कानूनी दृष्टिकोण
न्यायालय ने कहा कि यद्यपि इस मामले में बच्ची को ले जाने का कार्य अवैध था, लेकिन इसे यौन शोषण या मानव तस्करी के रूप में नहीं देखा जा सकता।
“इस संदर्भ में, अधिकतम यह कहा जा सकता है कि आरोपियों ने बच्चा पाने की अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए गलत तरीके से कदम उठाया। यह अपराध धारा 363 के अंतर्गत आता है, जो जमानती है,” अदालत ने कहा।
अदालत ने गवाहियों को ध्यान में रखते हुए पाया कि यह जोड़ा LGBTQ+ समुदाय से संबंध रखता है और उन्होंने बच्चा पाने के लिए सह-आरोपियों के साथ साजिश रची। हालांकि, बच्ची के यौन शोषण या तस्करी का कोई सबूत नहीं मिला।
अदालत ने माना कि LGBTQ+ समुदाय के सदस्य होने के कारण यह जोड़ा समाज और पुलिस हिरासत में अपमानजनक स्थिति का सामना कर चुका था। जज ने यह भी कहा कि आरोपियों ने पहले ही आठ महीने जेल में बिताए हैं, और अब उनके खिलाफ मानव तस्करी का आरोप बनाए रखना उचित नहीं होगा।
BOMBAY HC: अदालत का निर्णय
कोर्ट ने पाया कि मामला केवल अपहरण तक सीमित है। अदालत ने उन्हें ₹25,000 के निजी बांड और समान राशि के दो जमानतदारों के साथ जमानत देने का आदेश दिया।
- दिव्या कैलाश सिंह एवं अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य
- तटस्थ उद्धरण: [2024:BHC-AS:44211]
प्रतिनिधित्व:
- याचिकाकर्ता: अधिवक्ता हर्षद साठे, मानवी शर्मा, शुभम जी और सौरभ बुताला।
- उत्तरदाता: अतिरिक्त लोक अभियोजक सागर आर. अगरकर।