BOMBAY HC: बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि दिवालियापन प्रक्रिया (CIRP) शुरू होने से पहले कॉर्पोरेट देनदार द्वारा अदालत में सुरक्षा के रूप में जमा की गई राशि उसकी संपत्ति बनी रहेगी, भले ही वह राशि उसकी सीधी कब्जे में न हो। यह निर्णय इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत ऐसी जमा राशियों के प्रबंधन को स्पष्ट करता है।
न्यायमूर्ति बी.पी. कोलाबावाला और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरासन की खंडपीठ ने यह फैसला सिटी नेटवर्क्स लिमिटेड से जुड़े एक लंबे विवाद में सुनाया, जो वर्तमान में IBC के तहत कॉर्पोरेट इनसॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) से गुजर रही है।
BOMBAY HC: विवाद का इतिहास
यह विवाद 2002 में शुरू हुआ जब राजीव सूरी ने सिटी नेटवर्क्स लिमिटेड पर 15 लाख रुपये के नुकसान का दावा करते हुए मुकदमा दायर किया। 2016 में, हाईकोर्ट ने सूरी के पक्ष में फैसला सुनाया और सिटी नेटवर्क्स को 24% ब्याज के साथ यह राशि चुकाने का निर्देश दिया। अपील लंबित रहने तक, अदालत ने कंपनी को 20 लाख रुपये सुरक्षा के रूप में जमा करने और एक बैंक गारंटी प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
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2023 में, सिटी नेटवर्क्स वित्तीय संकट के चलते CIRP में प्रवेश कर गई। कंपनी ने अपील वापस लेने, बैंक गारंटी रद्द करने और जमा राशि को अपनी संपत्ति बताते हुए इसे वापस पाने की याचिका दायर की।
BOMBAY HC: कोर्ट का फैसला
सिटी नेटवर्क्स के तर्क को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि जमा राशि अपील के लिए सुरक्षा के रूप में दी गई थी और उसकी स्वामित्व कंपनी के पास ही रहेगा। अदालत ने कहा, “यदि अपील स्वीकार हो जाती, तो जमा की गई राशि और उस पर स्वामित्व कंपनी को वापस मिल जाता।”
साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही सूरी, जो कि जजमेंट क्रेडिटर हैं, के पास इस राशि पर सुरक्षा का अधिकार हो, लेकिन यह संपत्ति सिटी नेटवर्क्स की ही मानी जाएगी। अदालत ने कहा, “यह संपत्ति कॉर्पोरेट देनदार की ही मानी जाएगी, हालांकि इसके ऊपर सुरक्षा हित सूरी का रहेगा।”
BOMBAY HC: IBC के प्रावधानों की प्राथमिकता
अदालत ने जोर दिया कि IBC के प्रावधान पारंपरिक लेनदार अधिकारों पर प्राथमिकता रखते हैं। दिवालियापन के मामलों में देनदार की सभी संपत्तियां, जिनमें अदालत में जमा राशि भी शामिल है, रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल (RP) के प्रबंधन के अधीन होती हैं।
अदालत ने निर्देश दिया कि सिटी नेटवर्क्स को 20 लाख रुपये की जमा राशि और उस पर अर्जित ब्याज वापस किया जाए। साथ ही, अपील वापस लेने की अनुमति भी दी गई। यह राशि अदालत द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत दो सप्ताह के भीतर जारी करने का आदेश दिया गया।
मामला: सिटी नेटवर्क्स लिमिटेड बनाम राजीव सूरी
उपस्थिति:
- आवेदक: एडवोकेट सौरभ बच्छावत, मितेश शाह, निशांत सोगानी, रोहन गजेरिया, ईशान वखलू।
- उत्तरदाता: एडवोकेट अजीत अनेकर, सिद्धांत सॉवरी।