BOMBAY HIGH COURT: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 6,606 करोड़ रुपये के बिटकॉइन आधारित पोंजी योजना में संलिप्तता के आरोप में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तार की गई सिंपी भारद्वाज को जमानत दी। यह मामला भारत में सबसे बड़ी बिटकॉइन आधारित धोखाधड़ी योजनाओं में से एक है, जिसे सिंपी भारद्वाज के पति, अमित भारद्वाज और उनके सहयोगियों ने चलाया था।
BOMBAY HIGH COURT: सिंपी भारद्वाज की गिरफ्तारी और जमानत का मामला
न्यायमूर्ति मनीष पिताले की एकल पीठ ने 11 अक्टूबर, 2024 को सिंपी भारद्वाज को जमानत दी। कोर्ट ने यह फैसला उस दौरान किया जब भारद्वाज ने यह तर्क दिया कि वह छह साल के बच्चे की मां हैं और उन्हें PMLA की धारा 45(1) के तहत महिलाओं के लिए दिए गए विशेष संरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। इस धारा में स्पष्ट रूप से यह प्रावधान है कि महिलाएं, जब तक उनके खिलाफ विशेष गंभीर आरोप न हों, उन्हें जमानत देने में विशेष विचार किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने इस तर्क को मानते हुए कहा, “याचिकाकर्ता महिला होने के कारण PMLA की धारा 45(1) के प्रावधान का लाभ पाने की हकदार है। इस अदालत को कोई ऐसा ठोस कारण नजर नहीं आता जिससे इस प्रावधान के तहत उसे दी गई विशेष छूट को नकारा जाए।”
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अदालत ने यह भी कहा कि सिंपी भारद्वाज छह साल के बच्चे की मां हैं, जिसे उसकी देखभाल और साथ की जरूरत है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता लगभग दस महीने से हिरासत में हैं, और वर्तमान मामले में मुकदमे की शुरुआत की कोई निकट संभावना नहीं है। ऐसी स्थिति में, याचिकाकर्ता को और अधिक समय तक हिरासत में रखना उचित नहीं होगा।
BOMBAY HIGH COURT: बिटकॉइन पोंजी योजना और सिंपी भारद्वाज की भूमिका
सिंपी भारद्वाज को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिसंबर 2023 में गिरफ्तार किया था, जब उन्होंने एक तलाशी अभियान के दौरान बाधा उत्पन्न की थी, जिसके चलते उनके पति अमित भारद्वाज और उनके ससुर फरार हो गए थे। अमित भारद्वाज, GainBitcoin.com के संस्थापक हैं, जिन पर भारत के सबसे बड़े बिटकॉइन आधारित पोंजी योजना को चलाने का आरोप है। इस योजना में निवेशकों को प्रति बिटकॉइन 18 महीनों तक 10% रिटर्न देने का वादा किया गया था, जिसके जरिए 80,000 से अधिक बिटकॉइन जुटाए गए। इस धोखाधड़ी से करीब 6,606 करोड़ रुपये की राशि का घोटाला हुआ था।
ED ने 2018 में इस मामले में मुकदमा दर्ज किया था और अमित भारद्वाज और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार किया था। हालांकि, सिंपी भारद्वाज का नाम प्रारंभिक एफआईआर में शामिल नहीं था। बाद में, उन्हें दिसंबर 2023 में ED द्वारा गिरफ्तार किया गया, जब ED के अधिकारियों ने यह आरोप लगाया कि उन्होंने तलाशी अभियान के दौरान उनके पति और ससुर को भागने में मदद की थी। ED ने यह भी आरोप लगाया कि सिंपी इस धोखाधड़ी योजना को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रही थीं और अपराध से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पासवर्ड उनके पास थे।
हालांकि, सिंपी भारद्वाज ने अपनी गिरफ्तारी को अवांछित और कमजोर सबूतों पर आधारित बताया। उन्होंने तर्क दिया कि उनके खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, वे निष्पक्ष नहीं हैं और ED ने उनके खिलाफ ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए हैं।
BOMBAY HIGH COURT: अदालत की टिप्पणी और जमानत आदेश
न्यायमूर्ति पिताले ने सिंपी भारद्वाज की हिरासत के संबंध में कहा कि याचिकाकर्ता पिछले दस महीने से जेल में हैं और इस मामले में मुकदमे की शुरुआत की कोई निकट संभावना नहीं है। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सबूतों को अदालत ने अपर्याप्त माना और यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के कारण जल्दबाजी में तैयार किए गए प्रतीत होते हैं, जो उनकी वैधता पर संदेह उत्पन्न करते हैं।
न्यायालय ने PMLA की धारा 45(1) के प्रावधानों का हवाला देते हुए यह माना कि महिलाएं, जब तक उनके खिलाफ ठोस सबूत न हों, उन्हें विशेष छूट दी जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के समय पर्याप्त विश्वसनीय साक्ष्य नहीं थे और संभवतः उनकी गिरफ्तारी PMLA की धारा 19 का उल्लंघन करती है।
इसके आधार पर, अदालत ने सिंपी भारद्वाज को 50,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दी। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश में दी गई टिप्पणियां केवल जमानत के मुद्दे तक सीमित हैं और ट्रायल कोर्ट इन टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना मामले की सुनवाई करेगा।
BOMBAY HIGH COURT: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के कलवकुंटला कविता बनाम प्रवर्तन निदेशालय मामले के फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया था कि जब कोई कानून किसी विशेष श्रेणी के आरोपियों के लिए विशेष उपचार प्रदान करता है, तो उस उपचार को अस्वीकार करने के लिए अदालत को ठोस कारण देना आवश्यक होता है। इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया था कि महिलाओं को जमानत देने में विशेष विचार किया जाना चाहिए।
BOMBAY HIGH COURT: अंतिम निष्कर्ष
अंततः, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सिंपी भारद्वाज को जमानत देने का फैसला किया, यह मानते हुए कि उनकी गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे और उन्हें महिला होने के कारण PMLA की धारा 45(1) के प्रावधानों के तहत छूट दी जानी चाहिए। न्यायालय ने इस मामले में अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सबूतों की कमजोरी को भी ध्यान में रखा और कहा कि जब तक मुकदमे की शुरुआत नहीं होती, तब तक याचिकाकर्ता की हिरासत में रहना उचित नहीं है।