BOMBAY HIGH COURT: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है जिसमें 71 वर्षीय व्यक्ति पर बीफ ले जाने के संदेह में हमले के आरोपित को पूर्व-गिरफ्तारी जमानत देने से इनकार कर दिया गया है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब पीड़ित, जो एक वरिष्ठ नागरिक हैं, को एक एक्सप्रेस ट्रेन में बेरहमी से पीटा गया। न्यायमूर्ति आर एन लड्ढा की एकल पीठ ने जमानत का आवेदन खारिज करते हुए कहा कि मामले की जांच प्रारंभिक चरण में है और आरोपी की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।
BOMBAY HIGH COURT: मामले का विवरण
28 अगस्त को, 71 वर्षीय पीड़ित धुले-छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) एक्सप्रेस के सामान्य कोच में यात्रा कर रहा था। जब वह कल्याण में उतरने के लिए अपने बैग को उठाने लगा, तब कुछ यात्रियों ने उस पर बीफ ले जाने का संदेह जताया और उसे रोक लिया। पीड़ित ने स्पष्ट किया कि वह भैंस का मांस ले जा रहा है, जो कि प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन इसके बावजूद उन यात्रियों ने गाली-गलौज करते हुए उसकी पिटाई शुरू कर दी।
KERALA HIGH COURT: आत्महत्या के प्रयास का मामला खारिज किया
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मामले की जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। न्यायालय ने कहा, “जानकारी देने वाले (पीड़ित) को बेरहमी से पीटा गया। इसलिए, आगे की जांच को सुगम बनाने के लिए आवेदक (अवहद) की हिरासत में पूछताछ आवश्यक होगी।” कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पूर्व-गिरफ्तारी जमानत दी जाती है, तो इससे जांच की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
BOMBAY HIGH COURT: आरोपी का डर और नए आरोप
आरोपी ने यह भी बताया कि उसे डर है कि उसे फिर से गिरफ्तार किया जा सकता है। पुलिस ने उसके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुँचाने, डकैती और गंभीर चोट पहुँचाने के आरोप लगाए हैं।
घटनाक्रम के तुरंत बाद, थाने पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब यह स्पष्ट हुआ कि आरोपी ने हमले की रिकॉर्डिंग अपने मोबाइल फोन पर की थी।
BOMBAY HIGH COURT: कोर्ट की टिप्पणियाँ
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पीड़ित पर पांच से छह अज्ञात व्यक्तियों, जिनमें आरोपी भी शामिल था, ने कथित बीफ के संबंध में हमला किया। न्यायालय ने कहा, “आवेदक (अवहद) और अन्य ने जानकारी देने वाले (पीड़ित) को कल्याण रेलवे स्टेशन पर उतरने से रोका और उसे पीटा और हत्या की धमकी दी। प्राइम फेसी, इस बात का सबूत है कि आवेदक ने जानकारी देने वाले पर हमला किया और हमले को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड किया।”
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल पीड़ित के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि जांच के दौरान पुलिस को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आरोपी की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है ताकि मामले की सच्चाई का पता लगाया जा सके और न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
मामला शीर्षक: आकाश राजेंद्र अवहद बनाम राज्य महाराष्ट्र, [2024:BHC-AS:41817]
इस निर्णय के माध्यम से कोर्ट ने यह संदेश दिया है कि किसी भी मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए न्यायालय को उचित निर्णय लेने की आवश्यकता होती है, जिससे कि न केवल पीड़ित के अधिकारों की रक्षा हो सके, बल्कि समाज में कानून का शासन भी सुनिश्चित किया जा सके।