KERALA HC: सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को मेडिकल बोर्ड की राय का सम्मान करना चाहिए

Photo of author

By headlineslivenews.com

KERALA HC: सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को मेडिकल बोर्ड की राय का सम्मान करना चाहिए

KERALA HC: केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) को मेडिकल बोर्ड की राय

KERALA HC

KERALA HC: केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) को मेडिकल बोर्ड की राय का सम्मान करना चाहिए और उसे हल्के में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

KERALA HC

इस आदेश में कोर्ट ने स्पष्ट रूप से यह निर्देश दिया कि AFT, मेडिकल बोर्ड के विशेषज्ञों की राय में तभी हस्तक्षेप कर सकता है, जब बोर्ड की राय में कोई गंभीर त्रुटि हो, जैसे कि आवश्यक तथ्यों को नज़रअंदाज़ करना या उचित प्रक्रिया का पालन न करना। यह निर्णय उस समय आया जब केंद्र सरकार और उसके अधिकारियों ने AFT, कोचि के क्षेत्रीय बेंच द्वारा दिए गए एक आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एस. मणु की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को स्पष्ट किया:

TELANGANA HC: प्रेरित लगने पर बाल गवाह की गवाही अस्वीकार्य

चुनावों में नया मोर्चा: सचदेवा का केजरीवाल को पत्र दिल्ली की राजनीति में नया विवाद 2025 !

KERALA HC: मेडिकल बोर्ड की राय का सम्मान करना आवश्यक

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि AFT को हमेशा मेडिकल बोर्ड की राय का सम्मान करना चाहिए, जो एक विशेषज्ञ संस्था है। मेडिकल बोर्ड के विशेषज्ञों ने अपनी राय को पेशेवर दृष्टिकोण से और तथ्यों के आधार पर दिया होता है, और AFT को बिना गंभीर कारण के इस राय में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि केवल उन परिस्थितियों में हस्तक्षेप किया जा सकता है, जब मेडिकल बोर्ड की राय प्रक्रिया की दृष्टि से सही न हो या जब इसे विचार करते समय महत्वपूर्ण तथ्यों को नज़रअंदाज़ किया गया हो।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर मेडिकल बोर्ड की राय में कोई त्रुटि है, तो AFT हस्तक्षेप कर सकता है। यह हस्तक्षेप केवल तब किया जा सकता है जब बोर्ड की राय में कोई गंभीर त्रुटि हो, जैसे कि चिकित्सा के महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज करना या गलत तरीके से कोई निष्कर्ष निकालना।

इसके अलावा, यदि मेडिकल बोर्ड ने अपने निष्कर्षों के लिए कोई उचित कारण नहीं दिए या फैसले के पीछे कोई स्पष्ट तर्क नहीं था, तो भी AFT इस पर विचार कर सकता है और समीक्षा के लिए नया मेडिकल बोर्ड नियुक्त कर सकता है।

KERALA HC: मेडिकल बोर्ड के निर्णय पर पुनः विचार

यदि AFT को लगता है कि विभाग का निर्णय मेडिकल बोर्ड की राय के आधार पर सही नहीं था, तो AFT को इसे सही करने के लिए एक नए मेडिकल बोर्ड से राय प्राप्त करनी चाहिए। यह तब ही किया जा सकता है जब यह स्पष्ट हो कि मेडिकल बोर्ड की राय पर विचार करते समय सभी उचित कदम उठाए नहीं गए थे या उसमें कोई महत्वपूर्ण तत्व छोड़ दिया गया था।

कोर्ट ने कहा कि AFT को अपने स्वयं के निर्णय पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, और उसे केवल मेडिकल बोर्ड की राय के संदर्भ में ही निर्णय लेना चाहिए, जब तक कि इसके खिलाफ ठोस कारण न हों।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी मामले में समय की लंबी अवधि के बाद मेडिकल बोर्ड की राय को चुनौती दी जाती है, तो नई समीक्षा से शायद कोई उपयोगी परिणाम नहीं मिलेंगे। ऐसे मामलों में AFT को अपने निर्णय पर विचार करते समय पहले से उपलब्ध तथ्यों और रिकॉर्ड का ध्यान रखना चाहिए।

विशेष रूप से, अगर बीमारी या विकलांगता की स्थिति बहुत पुराने समय की है, तो कोई नया मेडिकल बोर्ड गठन करने से कोई नया परिणाम नहीं निकल सकता।

KERALA HC: केस का विशेष संदर्भ

इस मामले में एक सेवानिवृत्त सैनिक ने अपनी बीमारी के कारण विकलांगता पेंशन के लिए AFT में अपील की थी। सैनिक को 2013 में कम मेडिकल श्रेणी में डाला गया था, और मेडिकल बोर्ड ने उसे प्रकार-2 मधुमेह के कारण विकलांगता का 20% प्रतिशत दिया था, लेकिन यह माना कि यह विकलांगता उसकी सेवा से संबंधित नहीं है और इसलिए उसे विकलांगता पेंशन का लाभ नहीं दिया गया।

Headlines Live News

इस निर्णय के खिलाफ सैनिक ने AFT में अपील की, और AFT ने उसके पक्ष में निर्णय दिया, पेंशन का लाभ देने और विकलांगता को 50% तक बढ़ाने का आदेश दिया।

केंद्र सरकार ने इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद कोर्ट ने AFT के निर्णय को निरस्त कर दिया और मामले को पुनः विचारण के लिए वापस भेज दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि AFT को मेडिकल बोर्ड की राय पर हल्के में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, बल्कि जब तक कोई वैध कारण न हो, तब तक इस राय का सम्मान करना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर AFT को लगता है कि मेडिकल बोर्ड की प्रक्रिया में कोई त्रुटि है या राय में कोई दोष है, तो उसे मेडिकल बोर्ड की राय की पुनः जांच के लिए नया बोर्ड गठित करना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय सशस्त्र बलों के विकलांगता पेंशन से संबंधित नियम, जैसे कि 2008 के एंटाइटलमेंट रूल्स, लाभार्थी के लिए सहायक होते हैं और इन्हें लचीले तरीके से लागू किया जाना चाहिए।

Headlines Live News

कोर्ट ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि विकलांगता पेंशन का निर्णय लेने के लिए मेडिकल बोर्ड की राय को देखा जाए, क्योंकि यही वह प्रमुख तत्व है, जो किसी विकलांगता पेंशन की स्वीकृति या अस्वीकृति का निर्धारण करता है। इस मामले में, बोर्ड की राय के बिना कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता, और यदि कोई त्रुटि होती है तो उसे सही करना जरूरी है।

इस निर्णय में, केरल हाईकोर्ट ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) को स्पष्ट दिशा निर्देश दिए हैं कि मेडिकल बोर्ड की राय का सम्मान करना आवश्यक है, और केवल गंभीर त्रुटियों या प्रक्रिया की उल्लंघन के मामलों में ही इस पर हस्तक्षेप किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी बताया कि मेडिकल बोर्ड की राय को चुनौती देने के लिए एक मजबूत मामला प्रस्तुत करना होगा, और यदि निर्णय के आधार पर कोई त्रुटि पाई जाती है, तो नए मेडिकल बोर्ड से राय ली जा सकती है।

इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि विकलांगता पेंशन से संबंधित मामलों में, मेडिकल बोर्ड की राय का महत्व सर्वोपरि होता है, और इसे बिना ठोस कारणों के नकारा नहीं किया जा सकता। AFT को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वह मेडिकल बोर्ड की राय में केवल तब हस्तक्षेप करे जब इसके पास ठोस और वैध कारण हों।

KERALA HC