Chhath Puja 2024: दिल्ली में छठ पूजा की तैयारी को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच ताजा विवाद गहराता जा रहा है।
Chhath Puja 2024: इस विवाद का मुख्य कारण है AAP का आरोप लगाना कि बीजेपी पूर्वांचली वोटरों को लुभाने के लिए धार्मिक मुद्दों का उपयोग कर रही है। यह नोकझोंक तब शुरू हुई जब AAP सांसद संजय सिंह ने रविवार को आरोप लगाया कि बीजेपी के पार्षदों ने छठ पूजा के लिए बनाए गए घाटों को तोड़ दिया है।
Chhath Puja 2024: संजय सिंह का बयान छठ पूजा के लिए पार्षदों का असहयोग
Chhath Puja 2024: संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी पार्षदों का यह कार्य स्पष्ट रूप से पूर्वांचलियों के खिलाफ एक रणनीति का हिस्सा है। उनका यह भी कहना था कि डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) ने बाद में घाटों के निर्माण से मना कर दिया, जिससे छठ पूजा की तैयारियों में बाधा उत्पन्न हो रही है। सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें ग्रेटर कैलाश इलाके में बीजेपी पार्षद द्वारा घाट तोड़े जाने के विरोध में धरने पर बैठना पड़ा था।
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Chhath Puja 2024: AAP का प्रयास,दिल्ली में छठ पूजा का सम्मान और समर्थन
Chhath Puja 2024: आप के नेताओं का कहना है कि पिछले 10 वर्षों में, केजरीवाल सरकार ने छठ पूजा के घाटों की संख्या 10 गुना बढ़ाई है। यह दिल्ली सरकार की ओर से यूपी और बिहार के उन लोगों के प्रति की गई सुविधा का प्रयास है, जो अपने घर नहीं जा सकते और इस महापर्व को मनाने के लिए दिल्ली में रहते हैं। AAP के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी बीजेपी पर छठ पूजा की तैयारियों में बाधा डालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि डीडीए अधिकारियों ने उनके इलाके में दलितों द्वारा छठ पूजा के लिए उपयोग किए जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया है।
कांग्रेस का आरोप: AAP सरकार ने यमुना की सफाई में की विफलता
Chhath Puja 2024: वहीं, दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने AAP सरकार पर यमुना की सफाई नहीं करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि AAP ने लाखों श्रद्धालुओं के लिए साफ पानी में पूजा करने के लिए अलग से घाट बनाने के लिए कुछ नहीं किया है। यह स्थिति इस बात को दर्शाती है कि राजनीतिक दलों के बीच की बागडोर केवल वोटों के लिए संघर्ष कर रही है।
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सचदेवा का बयान: जहरीले झाग का मुद्दा प्रदूषण से ज्यादा है
Chhath Puja 2024: दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने यमुना में जहरीले झाग को पूर्वांचलियों के प्रति AAP सरकार की असंवेदनशीलता बताया। उन्होंने कहा कि यह झाग केवल प्रदूषण नहीं है, बल्कि यह AAP सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार का प्रतीक है। सचदेवा ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई के लिए केंद्र द्वारा दिए गए 8,500 करोड़ रुपये का दुरुपयोग किया है।
संजय सिंह का हमला: बीजेपी की जन कल्याणकारी योजनाओं पर चिंता
Chhath Puja 2024: इस बीच, संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी को आप सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं से परेशानी हो रही है। उन्होंने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि पार्टी शासित 22 राज्यों में से एक भी राज्य महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा या विश्व स्तरीय स्कूल नहीं दे रहा है। यह दिखाता है कि बीजेपी केवल हमला करने वाली और जुमलेबाजी करने वाली पार्टी बन गई है।
संजय सिंह ने यह भी कहा कि बीजेपी को चाहिए कि वे विकास परियोजनाओं में बाधा डालने के बजाय कल्याणकारी राजनीति पर ध्यान दें। उन्होंने पार्टी को चुनौती दी कि वे आप के नेताओं के खिलाफ जेल जाने की जगह सही राजनीति करें। इस प्रकार, छठ पूजा को लेकर चल रहा यह विवाद केवल धार्मिक भावनाओं का नहीं, बल्कि वोट बैंक की राजनीति का प्रतीक बन गया है।
Chhath Puja 2024: राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
Chhath Puja 2024: इस घटना से यह स्पष्ट है कि दिल्ली में छठ पूजा जैसे धार्मिक त्योहार भी राजनीतिक मुद्दों का रूप ले लेते हैं। AAP और बीजेपी के बीच इस प्रकार के संघर्ष से यह साफ होता है कि चुनावी राजनीति में धार्मिक संवेदनाएं कैसे खेलती हैं। दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचली समुदाय के लिए यह महापर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा है।
इस समय AAP का प्रयास है कि वह पूर्वांचली वोटरों को अपने पक्ष में लाने का कार्य करे, जबकि बीजेपी उनकी धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रही है। इस सबके बीच, छठ पूजा का महत्व और उसके प्रति श्रद्धा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि छठ पूजा का यह विवाद आगे कैसे बढ़ता है और दोनों पार्टियों का क्या रणनीतिक जवाब होगा। ऐसे में उम्मीद है कि धार्मिक मुद्दों को राजनीतिक दलों द्वारा न केवल समझा जाएगा, बल्कि लोगों की आस्था और उनकी परंपराओं का भी सम्मान किया जाएगा।
Chhath Puja 2024: दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़
Chhath Puja 2024: छठ पूजा का यह विवाद दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ लाने का काम कर सकता है। सभी पार्टियों को चाहिए कि वे इस अवसर का सही उपयोग करें और वोट बैंक के बजाय वास्तविक मुद्दों पर ध्यान दें। छठ पूजा जैसे महापर्व को राजनीतिक मंच पर नहीं लाना चाहिए, बल्कि इसे श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाना चाहिए। इस प्रकार, छठ पूजा का यह पर्व सभी के लिए एकता और सामंजस्य का प्रतीक बनेगा।