CONGRESS का संगठनात्मक पुनर्गठन अभियान: नई दिल्ली- कांग्रेस पार्टी ने आगामी चुनावी तैयारियों को मजबूत करने और जमीनी संगठन को पुनर्गठित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।
पार्टी ने मध्य प्रदेश और हरियाणा में जिला कांग्रेस कमेटियों के नए अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए ऑब्जर्वरों (पर्यवेक्षकों) की नियुक्ति की घोषणा की है। यह पूरा अभियान “संगठन सृजन” के तहत किया जा रहा है, जिसके माध्यम से पार्टी जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ और सांगठनिक ढांचे को फिर से मजबूती देने की रणनीति पर काम कर रही है।
गुजरात मॉडल पर अब एमपी और हरियाणा में फोकस
CONGRESS का संगठनात्मक पुनर्गठन अभियान: पार्टी ने इससे पहले गुजरात में इसी तरह का प्रयोग किया था, जिसमें नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति संगठनात्मक प्रक्रिया के जरिए की गई थी। अब उसी मॉडल को मध्य प्रदेश और हरियाणा में भी लागू किया जा रहा है। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस संबंध में AICC (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।
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मध्य प्रदेश के लिए 50 ऑब्जर्वर नियुक्त
मध्य प्रदेश, जहां कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता नहीं प्राप्त कर सकी, वहां पार्टी अपनी जड़ें फिर से मजबूत करने के लिए बड़ा फेरबदल करने जा रही है। इसके लिए 50 वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों को ऑब्जर्वर बनाया गया है, जो राज्य के विभिन्न जिलों में जाकर वहां की परिस्थितियों का मूल्यांकन करेंगे और जिलाध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त नामों की सिफारिश करेंगे।
इन 50 पर्यवेक्षकों में कई नाम ऐसे हैं जो राष्ट्रीय राजनीति में खास पहचान रखते हैं। प्रमुख नामों में सप्तगिरि संकर उलाका, गुरदीप सिंह सप्पल, अखिलेश प्रसाद सिंह, यशोमति ठाकुर, आराधना मिश्रा मोना, सुखदेव भगत, अनिल चौधरी, भाई जगताप, कृष्णा तीरथ, अजय कुमार, सुरेश कुमार, शरत राऊत, अभिषेक दत्त जैसे लोग शामिल हैं। इनके अनुभव और सांगठनिक समझ का लाभ कांग्रेस को नए जिलाध्यक्ष चुनने में मिल सकता है।
हरियाणा में 21 पर्यवेक्षकों की सूची जारी
हरियाणा, जहां कांग्रेस ने हाल के दिनों में आंतरिक कलह के चलते नुकसान उठाया है, वहां भी संगठन को एक नई दिशा देने की कोशिश की जा रही है। 21 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति से यह संकेत साफ है कि पार्टी अब पुराने ढांचे में आमूलचूल बदलाव चाहती है।
हरियाणा के लिए जिन प्रमुख नेताओं को ऑब्जर्वर बनाया गया है, उनमें जगदीश ठाकुर, मनिकम टैगोर, वर्षा गायकवाड़, अमर सिंह, विजय इंदर सिंगला, लालजी देसाई, जय सिंह अग्रवाल, रफीक खान, प्रकाश जोशी, अमित विज और श्रीनिवास बी.वी. जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं। ये सभी पर्यवेक्षक जिला कांग्रेस कमेटी के साथ समन्वय स्थापित करेंगे और स्थानीय नेताओं तथा कार्यकर्ताओं की राय के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेंगे।
नए और प्रभावी चेहरों को अवसर देने की संभावना
कांग्रेस पार्टी ने इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और लोकतांत्रिक बनाए रखने का दावा किया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, ऑब्जर्वर जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं, नेताओं, पूर्व प्रत्याशियों और जनप्रतिनिधियों से संवाद करेंगे। इसके बाद उनकी संस्तुति के आधार पर जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी।
इस तरह की नियुक्तियों से पार्टी में नए चेहरों को मौका मिलने की संभावना बढ़ती है, साथ ही स्थानीय असंतोष को भी शांत किया जा सकता है। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि जिलाध्यक्ष पदों पर ऐसे नेता नियुक्त हों जो वास्तव में स्थानीय जनसमर्थन रखते हों और संगठन को निचले स्तर पर गतिशील बना सकें।
जमीनी स्तर पर पार्टी की मजबूती का संदेश
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संगठनात्मक सर्जरी कांग्रेस के लिए 2029 के लोकसभा चुनाव, मध्य प्रदेश और हरियाणा के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए आधार तैयार करने जैसा है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस के सामने कई चुनौतियाँ हैं, खासकर बीजेपी की मजबूत सांगठनिक उपस्थिति और क्षेत्रीय समीकरण।
इन नियुक्तियों के जरिए पार्टी यह संदेश भी देना चाहती है कि वह जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत कर रही है और “दिल्ली से चलने वाली कांग्रेस” की छवि से बाहर आना चाहती है।
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स्थानीय कार्यकर्ताओं को मिलेगा सम्मान
सूत्रों की मानें तो पार्टी इस बार जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में युवा नेताओं, महिलाओं और पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता देने की रणनीति पर भी विचार कर रही है। इससे पार्टी को नए वोटबैंक जोड़ने में मदद मिल सकती है। साथ ही लंबे समय से उपेक्षित चल रहे स्थानीय कार्यकर्ताओं को भी सम्मान मिल सकेगा।
चुनावी तैयारियों को मिलेगी नई गति
कांग्रेस पार्टी द्वारा मध्य प्रदेश और हरियाणा में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति हेतु पर्यवेक्षकों की सूची जारी करना महज संगठनात्मक कार्रवाई नहीं बल्कि एक रणनीतिक राजनीतिक कदम है। इससे पार्टी जहां अपने ढांचे को नवीनीकृत कर रही है, वहीं चुनावी तैयारियों को भी धार दे रही है। अब देखना यह होगा कि इन नियुक्तियों से पार्टी को कितनी नई ऊर्जा मिलती है और क्या यह बदलाव उसे आने वाले चुनावों में फायदा दिला पाएगा?