पेरिया हत्याकांड: 10 को उम्रकैद, पूर्व विधायक को 5 साल

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By headlineslivenews.com

पेरिया हत्याकांड: 10 को उम्रकैद, पूर्व विधायक को 5 साल

पेरिया हत्याकांड: केरल के कासरगोड जिले के पेरिया में 2019 में हुई युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं कृपेश और सरथलाल पीके की हत्या के मामले

KERALA HC

पेरिया हत्याकांड: केरल के कासरगोड जिले के पेरिया में 2019 में हुई युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं कृपेश और सरथलाल पीके की हत्या के मामले में एक अहम फैसले की सुनवाई करते हुए, एक विशेष सीबीआई अदालत ने 10 लोगों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह हत्या राजनीतिक रूप से प्रेरित बताई जाती है और पेरिया जुड़वां हत्याओं के नाम से मशहूर हो चुकी है।

पेरिया हत्याकांड

पेरिया हत्याकांड: हत्याओं का घटनाक्रम और आरोप

2019 में कासरगोड जिले के पेरिया में दो युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं, कृपेश और सरथलाल पीके की हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] के पेरिया स्थानीय समिति के सदस्य ए पीतांबरन और उनकी टीम पर था, जिसमें आठ अन्य लोग शामिल थे। ये हत्या राजनीतिक विवादों के कारण हुई, और इसने राज्य के राजनीतिक माहौल को उथल-पुथल में डाल दिया।

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आरोप के अनुसार, ए पीतांबरन के नेतृत्व में माकपा के सदस्य युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मारने के लिए एक सशस्त्र टीम तैयार करते थे, जो उनके खिलाफ उत्पन्न हुए राजनीतिक मतभेदों को लेकर हिंसा में लिप्त हो गई। इसके बाद, सीबीआई द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि हत्याएं एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थीं।

सीबीआई अदालत ने इस मामले में 10 माकपा के सदस्यों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपियों को दोहरी आजीवन कारावास की सजा दी, यानी उन्हें जीवनभर जेल में रहना होगा। यह सजा उन्हें एक विशेष जांच एजेंसी द्वारा की गई जांच के बाद दी गई, जिसमें अपराधियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए थे।

पेरिया हत्याकांड: पूर्व माकपा विधायक का सजा

इसके अलावा, इस मामले में पूर्व माकपा विधायक (MLA) केवी कुन्हीरामन सहित चार अन्य व्यक्तियों को भी दोषी ठहराया गया। इन व्यक्तियों को पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। यह सजा इस बात का संकेत है कि राजनीतिक हिंसा में संलिप्तता के मामलों में किसी भी स्तर के व्यक्ति को माफी नहीं मिल सकती, चाहे वह कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो।

इस विवादास्पद मामले की शुरुआत में बेकल पुलिस ने जांच की थी, लेकिन मामले की संवेदनशीलता और राजनीति से जुड़ा होने के कारण यह मामला बाद में अपराध शाखा को सौंपा गया। हालांकि, पीड़ितों के माता-पिता ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने का अनुरोध किया।

राज्य सरकार ने पहले केरल उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय में यह दलील दी कि मामले की जांच सीबीआई को नहीं सौंपनी चाहिए, लेकिन अदालतों ने इस मांग को खारिज कर दिया। बाद में, सीबीआई ने इस मामले की जांच की और साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराया।

पेरिया हत्याकांड: सीबीआई द्वारा जांच और न्याय का स्वागत

28 दिसंबर, 2024 को सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में 24 आरोपियों में से 14 को हत्या के मामले में दोषी ठहराया। यह न्यायिक प्रक्रिया के लिए एक बड़ा कदम था, क्योंकि यह सिद्ध हुआ कि सत्ता में बैठे लोग अगर हिंसा में लिप्त होते हैं, तो उन्हें भी कानून के शिकंजे में लाया जा सकता है।

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इस फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आईं। जहां कुछ नेताओं ने न्याय व्यवस्था की सराहना की, वहीं अन्य ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा भी माना।

यह हत्याएं उस समय के राजनीतिक वातावरण की गहरी चिंता का विषय बन गई थीं, जब राज्य में माकपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक टकराव अपने चरम पर था। हत्याओं के बाद पेरिया में तनाव बढ़ गया था और कई दिनों तक इलाके में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था।

यह घटना केरल की राजनीति में एक काला धब्बा साबित हुई, क्योंकि इसने राजनीतिक संघर्षों को हिंसा और हत्या में बदलने का एक खतरनाक उदाहरण पेश किया। इस हत्याकांड ने राज्य में राजनीतिक हिंसा के मामले में एक नए मोड़ की शुरुआत की और इसे लेकर सरकार और विपक्ष दोनों के बीच तीखी आलोचनाएं हुईं।

पेरिया हत्याकांड: समाज पर प्रभाव और भविष्य की दिशा

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पेरिया जुड़वां हत्याओं का समाज पर गहरा असर पड़ा है। इसने यह स्पष्ट कर दिया कि जब राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष बढ़ता है, तो कभी-कभी यह हिंसा की ओर मोड़ ले सकता है। हालांकि, अदालत के फैसले ने यह संदेश दिया कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और राजनीतिक मतभेदों को सुलझाने का तरीका हिंसा नहीं हो सकता।

इस फैसले के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य में राजनीतिक हिंसा की घटनाओं में कमी आएगी और नेता एवं कार्यकर्ता भविष्य में अपने राजनीतिक मतभेदों को शांति के साथ हल करने की दिशा में कदम उठाएंगे।

पेरिया जुड़वां हत्याओं के मामले में सीबीआई अदालत का यह फैसला एक बड़ा कदम है, जो न केवल इस विवादास्पद हत्या के मामले में न्याय दिलाता है, बल्कि भविष्य में राजनीतिक हिंसा के मामलों में भी प्रभावी कार्रवाई की दिशा को स्पष्ट करता है। इस फैसले ने यह सिद्ध कर दिया कि चाहे कोई भी कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, वह कानून से बच नहीं सकता।

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