CULCUTTA HC: कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 केवल उस पति पर लागू होती है, जिसने अपनी पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी की हो। अदालत ने यह भी कहा कि यह धारा पति की दूसरी पत्नी पर लागू नहीं होती।
यह फैसला न्यायमूर्ति शांपा दत्त (पॉल) की एकल पीठ ने सुनाया। उन्होंने दूसरी पत्नी (याचिकाकर्ता) द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उनके खिलाफ धारा 498ए, 494, 406, 506 IPC और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3 और 4 के तहत दर्ज आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी।
CULCUTTA HC: मामले का पृष्ठभूमि
यह मामला शिकायतकर्ता (पहली पत्नी) द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर आधारित था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज की मांग की और उसे मानसिक और शारीरिक यातना दी। शिकायत में यह भी कहा गया कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली और दूसरी पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं।
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इस आधार पर शिकायतकर्ता ने अपने पति, उसकी दूसरी पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया था।
दूसरी पत्नी (याचिकाकर्ता) ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि वह शिकायतकर्ता के पति की रिश्तेदार नहीं हैं और न ही वह शिकायतकर्ता पर किसी प्रकार का मानसिक या शारीरिक दबाव डालने के लिए जिम्मेदार हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि IPC की धारा 494 और अन्य प्रावधान उनके खिलाफ लागू नहीं होते हैं।
CULCUTTA HC: न्यायालय की टिप्पणी
न्यायमूर्ति शांपा दत्त (पॉल) ने IPC की धारा 494 के दायरे को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह प्रावधान केवल उस व्यक्ति पर लागू होता है जिसने अपनी पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी की हो। उन्होंने कहा, “धारा 494 IPC का अपराध केवल उस व्यक्ति पर लागू होता है जिसने वैध विवाह के दौरान दूसरी बार विवाह किया हो।”
अदालत ने यह भी पाया कि शिकायत में याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए अन्य आरोप, जैसे कि धारा 498ए (दहेज उत्पीड़न), 406 (आपराधिक विश्वासघात), और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अपराध, प्राथमिक रूप से उन पर लागू नहीं होते।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत में ऐसे कोई तथ्य नहीं हैं, जो IPC की उक्त धाराओं के तहत अपराध साबित कर सकें। उन्होंने कहा, “दूसरी शादी का यह कार्य शिकायतकर्ता के पति पर लागू होता है और याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोपों की सामग्री प्राथमिक रूप से असंगत हैं।”
CULCUTTA HC: धारा 506 IPC के तहत भी आरोप खारिज
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि IPC की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोपों के लिए आवश्यक तत्व याचिकाकर्ता के संबंध में मौजूद नहीं हैं।
अदालत ने याचिकाकर्ता (दूसरी पत्नी) के खिलाफ चल रही सभी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया और कहा कि शिकायत में उनके खिलाफ लगाए गए अन्य आरोप भी प्राथमिक रूप से गलत हैं।
यह फैसला IPC की धारा 494 के दायरे और इसके लागू होने की स्थिति को स्पष्ट करता है। अदालत ने माना कि यह धारा केवल उस व्यक्ति पर लागू होती है जिसने दूसरी शादी की हो, न कि उसकी दूसरी पत्नी पर।
CULCUTTA HC: मामला: S बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य
प्रतिनिधित्व:
- याचिकाकर्ता: अधिवक्ता सौरव मंडल और रोनी मंडल
- प्रतिवादी: अधिवक्ता तनमय कुमार घोष और एम.एफ.ए. बेग